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शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धियों का साल रहा 2023, 1.20 लाख शिक्षकों को एक साथ नियुक्ति पत्र देकर रचा गया इतिहास - ईटीवी भारत न्यूज

बिहार शिक्षा विभाग के लिए साल 2023 उपलब्धियों का वर्ष रहा है. सरकारी स्कूल ऑन के शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए विभाग की ओर से कई ऐसे निर्णय लिए गए जो सुर्खियों का कारण बने. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के तौर पर 8 जून को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक ने पदभार संभाला. इसके बाद से ही प्रतिदिन सुर्खियों में सिर्फ शिक्षा विभाग ही रहा.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 24, 2023, 6:01 AM IST

पटना : बिहार के शिक्षा विभाग के लिए 2023 उपलब्धियों और विवादों से भरा रहा. प्रथम चरण के शिक्षक बहाली के तहत रिकॉर्ड 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की वैकेंसी आई. राज्य स्तर पर देश में अब तक की यह सबसे बड़ी वैकेंसी थी. वैकेंसी निकलते ही परीक्षा आयोजित की गई और उत्तीर्ण हुए 1.20 लाख शिक्षक अभ्यर्थियों को एक साथ गांधी मैदान में 2 नवंबर को नियुक्ति पत्र दिया गया. एक साथ इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति पत्र देने का यह अपने आप में एक रिकॉर्ड बना.

साल की शुरुआत विभाग के लिए विरोध प्रदर्शन से हुई : साल के शुरुआती 6 महीने शिक्षकों के रिक्त पर पदों पर बहाली की मांग को लेकर आंदोलन में बीते. सातवें चरण की शिक्षक बहाली की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों ने आंदोलन किया. वहीं नियोजित शिक्षकों ने 11 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में लाखों की तादाद में जुट कर प्रदर्शन किया और राज्य कर्मी के दर्जा की मांग की. इसके बाद इन प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों को चिह्नित करके विभाग ने विभागीय कार्रवाई करनी शुरू कर दी. हजारों शिक्षक सस्पेंड हुए और आंदोलन कमजोर पर गया.

आधा साल कटने के बाद शुरू हुई बहाली : इसके बाद शिक्षा विभाग ने 1.70 लाख पदों पर वैकेंसी निकाली. 24 से 26 अगस्त तक परीक्षा का आयोजन किया गया और सितंबर में रिजल्ट प्रकाशित कर 1.20 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देते हुए संबंधित विद्यालयों में योगदान भी करा लिया गया. बीपीएससी ने परीक्षा का आयोजन कराया और पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई परीक्षा में अधिक विवाद नहीं हुए, जो शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धि रही.

साल के अंत तक दो चरणों की बहाली संपन्न : अभी पहले चरण के शिक्षक बहाली के अभ्यर्थी विद्यालयों में नियुक्ति के लिए इंतजार ही कर रहे थे. तभी शिक्षा विभाग ने दूसरे चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा की घोषणा कर दी. दूसरे चरण में प्रथम चरण के रिक्त पदों को भी जोड़ा गया और 1.22 लाख पदों पर वैकेंसी निकली. 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा का आयोजन शुरू हुआ और विषय वार तरीके से आयोग ने 22 दिसंबर से रिजल्ट प्रकाशित भी करना शुरू कर दिया.

उपलब्धि के साथ मुश्किलें भी आई सामने : 26 दिसंबर से उत्तीर्ण हुए शिक्षकों की शिक्षा विभाग की ओर से काउंसलिंग शुरू होगी और महीने भर के भीतर यह शिक्षक विद्यालय में योगदान करेंगे. ऐसे में इस वर्ष शिक्षा विभाग का यह कदम क्रांतिकारी साबित हुआ और विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ. शिक्षा विभाग के लिए ऐसी कुछ उपलब्धियां रही तो कुछ ऐसे भी निर्णय लिए गए जिससे युवाओं को परेशानी हुई.

बहाली के साथ ही विवाद का दौर भी हुआ शुरू : पहले चरण के शिक्षक बहाली की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई थी की परीक्षा के कुछ दिनों पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ गया कि बीएड योग्यता धारी अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक नहीं बनेंगे. ऐसे में फॉर्म भर चुके अभ्यर्थी परीक्षा में तो शामिल हुए लेकिन लगभग 3.90 लाख ऐसे अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया गया. अभ्यर्थियों को एक तरफ परेशानी हुई वहीं दूसरी ओर वैकेंसी के अनुरूप विभाग को शिक्षक नहीं मिले.

शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए आई मुसिबतें : दूसरे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया जब शुरू हुई तो इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एक और आदेश आ गया कि 18 महीने का डीएलएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते हैं. ऐसे में यह अभ्यर्थी परेशान है. इसी बीच पटना हाई कोर्ट का एक ऐसा फैसला आ गया जिसे छठे चरण में बहाल हुए काफी शिक्षकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बीएड योग्यता धारी जो छठे चरण में शिक्षक बने हैं, वह शिक्षक के लिए योग्य नहीं है. सरकार इनसे त्यागपत्र लेते हुए रिक्त हो रहे पदों को अविलंब भरे. हालांकि शिक्षा विभाग के प्रमुख मुख्य सचिव के के पाठक ने ऐसे 22000 शिक्षकों को अस्वस्थ किया है कि सरकार उनके पक्ष से लड़ाई लड़ेगी और सुप्रीम कोर्ट में बातों को रख रही है.

विवाद का कारण बने विभाग के कई आदेश : इस साल शिक्षा विभाग ने कई ऐसे आदेश जारी किए जो सुर्खियों का कारण बने. स्कूलों में वर्षों से पड़े हुए कबाड़ को बेचकर उसका पैसा शिक्षा विभाग के खाते में डलवाने के लिए प्रधानाचार्य को निर्देशित किया. इसका काफी विरोध हुआ, इसी बीच मिड डे मील योजना में इस्तेमाल होने वाले जूट के बोरों को बेचने का भी निर्देश जारी किया गया और प्रति बोरा रेट भी तय किया गया. शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू किया.

एक के बाद एक की विभाग ने की कार्रवाई : विरोध के बावजूद विभाग ने आदेश को बदला नहीं. उल्टे आए दिन आंदोलन करने वाले शिक्षक को पर नकल कसने के लिए शिक्षा विभाग ने निर्देश निकाल दिया कि कोई शिक्षक किसी संगठन से नहीं जुड़ेंगे ना ही अपना कोई संघ बनाएंगे. यदि कोई ऐसा करते हुए पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्रवाई होगी.प्रथम चरण की बहाली में उत्तीर्ण हुई शिक्षिका बबीता चौधरी जिन्होंने अपना एक संघ बनाकर शिक्षकों को उससे जोड़ने की कोशिश की, इसके लिए विभाग ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया.

इससे शिक्षकों में एक भय उत्पन्न हुआ. इसके बाद पूर्व के कुछ शिक्षक संगठन जो अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाना शुरू किए, उनमें से सैकड़ों पर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए विभाग ने शो कॉज किया. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विभाग ने शिक्षकों को सस्पेंड करने का भी कारवाई किया.

विवादों के केंद्र में रहे विभाग के एसीएस केके पाठक: शिक्षा विभाग ने प्रदेश के विश्वविद्यालय के कुलपतियों का विभिन्न कारण पर वेतन बंद करना शुरू किया. इस कारण राज भवन और शिक्षा विभाग के बीच तनातनी बढ़ी. पटना विश्वविद्यालय के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज्यपाल ने खुले मंच से शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर टिप्पणी की. मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. इसके बाद धीरे-धीरे मामला सलटा. इसी बीच सरकार के निर्देशों का विरोध करने पर विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मियों का वेतन पेंशन रोका गया. जिसके खिलाफ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से आने वाले तमाम विधान पार्षद राज भवन जाकर केके पाठक के खिलाफ ज्ञापन दिए.

छुट्टियों को लेकर विवाद में रहा शिक्षा विभाग : शिक्षा विभाग के कई ऐसे फैसले हुए जिसका लोगों ने भी पुरजोर विरोध किया, तो कई ऐसे फैसले रहे जिसकी लोगों ने सराहना भी की. स्कूल अवधि अधिक दिन तक चले इसके लिए कई पर्व त्योहार की छुट्टियों में शिक्षा विभाग ने कटौती की. रक्षाबंधन के दिन भी स्कूल खुले रहे और इसका इतना विरोध हुआ कि सरकार को इस निर्देश को बदलना पड़ा. हालांकि एक बार फिर से साल 2024 का जब अवकाश कैलेंडर जारी किया गया तो सामान्य हिंदू विद्यालयों के लिए अलग अवकाश कैलेंडर और उर्दू विद्यालयों के लिए अलग अवकाश कैलेंडर जारी किया गया जो विवाद का कारण बना. कई मुस्लिम पर्व त्योहार की छुट्टियां में बढ़ोतरी की गई तो कई हिंदू पर्व त्यौहार की छुट्टियों में कटौती की गई. इस पर कई दिनों तक राजनीतिक बयान बाजी हुई लेकिन विभाग ने आदेश नहीं बदला.

कुछ फैसलों की हुई सराहना, तो कुछ का विरोध : शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए निर्देशित किया कि शिक्षक हर हाल में सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक विद्यालय में रहेंगे. 3:30 में कक्षाएं समाप्त होने के बाद हर शिक्षक मिशन दक्ष के तहत कक्षा तीन से आठ के पांच बच्चों को गोद लेंगे. यह वह बच्चे होंगे जो हिंदी अंग्रेजी लिखने और पढ़ने में दिक्कत करते हैं और गणित के आसान सवालों को हल नहीं कर पाते. विभाग ने निर्देश दिया कि शिक्षक इन बच्चों को पांच-पांच की संख्या में विशेष कक्षा देंगे. इन बच्चों की जिला मुख्यालय लेवल पर अप्रैल महीने में परीक्षा होगी. यदि कोई बच्चा इस परीक्षा में फेल करता है तो उस शिक्षक और विद्यालय के प्रधानाचार्य पर विभागीय कार्रवाई होगी. इस फैसले का लोगों ने खूब स्वागत किया.

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पटना : बिहार के शिक्षा विभाग के लिए 2023 उपलब्धियों और विवादों से भरा रहा. प्रथम चरण के शिक्षक बहाली के तहत रिकॉर्ड 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की वैकेंसी आई. राज्य स्तर पर देश में अब तक की यह सबसे बड़ी वैकेंसी थी. वैकेंसी निकलते ही परीक्षा आयोजित की गई और उत्तीर्ण हुए 1.20 लाख शिक्षक अभ्यर्थियों को एक साथ गांधी मैदान में 2 नवंबर को नियुक्ति पत्र दिया गया. एक साथ इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति पत्र देने का यह अपने आप में एक रिकॉर्ड बना.

साल की शुरुआत विभाग के लिए विरोध प्रदर्शन से हुई : साल के शुरुआती 6 महीने शिक्षकों के रिक्त पर पदों पर बहाली की मांग को लेकर आंदोलन में बीते. सातवें चरण की शिक्षक बहाली की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों ने आंदोलन किया. वहीं नियोजित शिक्षकों ने 11 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में लाखों की तादाद में जुट कर प्रदर्शन किया और राज्य कर्मी के दर्जा की मांग की. इसके बाद इन प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों को चिह्नित करके विभाग ने विभागीय कार्रवाई करनी शुरू कर दी. हजारों शिक्षक सस्पेंड हुए और आंदोलन कमजोर पर गया.

आधा साल कटने के बाद शुरू हुई बहाली : इसके बाद शिक्षा विभाग ने 1.70 लाख पदों पर वैकेंसी निकाली. 24 से 26 अगस्त तक परीक्षा का आयोजन किया गया और सितंबर में रिजल्ट प्रकाशित कर 1.20 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देते हुए संबंधित विद्यालयों में योगदान भी करा लिया गया. बीपीएससी ने परीक्षा का आयोजन कराया और पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई परीक्षा में अधिक विवाद नहीं हुए, जो शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धि रही.

साल के अंत तक दो चरणों की बहाली संपन्न : अभी पहले चरण के शिक्षक बहाली के अभ्यर्थी विद्यालयों में नियुक्ति के लिए इंतजार ही कर रहे थे. तभी शिक्षा विभाग ने दूसरे चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा की घोषणा कर दी. दूसरे चरण में प्रथम चरण के रिक्त पदों को भी जोड़ा गया और 1.22 लाख पदों पर वैकेंसी निकली. 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा का आयोजन शुरू हुआ और विषय वार तरीके से आयोग ने 22 दिसंबर से रिजल्ट प्रकाशित भी करना शुरू कर दिया.

उपलब्धि के साथ मुश्किलें भी आई सामने : 26 दिसंबर से उत्तीर्ण हुए शिक्षकों की शिक्षा विभाग की ओर से काउंसलिंग शुरू होगी और महीने भर के भीतर यह शिक्षक विद्यालय में योगदान करेंगे. ऐसे में इस वर्ष शिक्षा विभाग का यह कदम क्रांतिकारी साबित हुआ और विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ. शिक्षा विभाग के लिए ऐसी कुछ उपलब्धियां रही तो कुछ ऐसे भी निर्णय लिए गए जिससे युवाओं को परेशानी हुई.

बहाली के साथ ही विवाद का दौर भी हुआ शुरू : पहले चरण के शिक्षक बहाली की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई थी की परीक्षा के कुछ दिनों पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ गया कि बीएड योग्यता धारी अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक नहीं बनेंगे. ऐसे में फॉर्म भर चुके अभ्यर्थी परीक्षा में तो शामिल हुए लेकिन लगभग 3.90 लाख ऐसे अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया गया. अभ्यर्थियों को एक तरफ परेशानी हुई वहीं दूसरी ओर वैकेंसी के अनुरूप विभाग को शिक्षक नहीं मिले.

शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए आई मुसिबतें : दूसरे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया जब शुरू हुई तो इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एक और आदेश आ गया कि 18 महीने का डीएलएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते हैं. ऐसे में यह अभ्यर्थी परेशान है. इसी बीच पटना हाई कोर्ट का एक ऐसा फैसला आ गया जिसे छठे चरण में बहाल हुए काफी शिक्षकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बीएड योग्यता धारी जो छठे चरण में शिक्षक बने हैं, वह शिक्षक के लिए योग्य नहीं है. सरकार इनसे त्यागपत्र लेते हुए रिक्त हो रहे पदों को अविलंब भरे. हालांकि शिक्षा विभाग के प्रमुख मुख्य सचिव के के पाठक ने ऐसे 22000 शिक्षकों को अस्वस्थ किया है कि सरकार उनके पक्ष से लड़ाई लड़ेगी और सुप्रीम कोर्ट में बातों को रख रही है.

विवाद का कारण बने विभाग के कई आदेश : इस साल शिक्षा विभाग ने कई ऐसे आदेश जारी किए जो सुर्खियों का कारण बने. स्कूलों में वर्षों से पड़े हुए कबाड़ को बेचकर उसका पैसा शिक्षा विभाग के खाते में डलवाने के लिए प्रधानाचार्य को निर्देशित किया. इसका काफी विरोध हुआ, इसी बीच मिड डे मील योजना में इस्तेमाल होने वाले जूट के बोरों को बेचने का भी निर्देश जारी किया गया और प्रति बोरा रेट भी तय किया गया. शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू किया.

एक के बाद एक की विभाग ने की कार्रवाई : विरोध के बावजूद विभाग ने आदेश को बदला नहीं. उल्टे आए दिन आंदोलन करने वाले शिक्षक को पर नकल कसने के लिए शिक्षा विभाग ने निर्देश निकाल दिया कि कोई शिक्षक किसी संगठन से नहीं जुड़ेंगे ना ही अपना कोई संघ बनाएंगे. यदि कोई ऐसा करते हुए पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्रवाई होगी.प्रथम चरण की बहाली में उत्तीर्ण हुई शिक्षिका बबीता चौधरी जिन्होंने अपना एक संघ बनाकर शिक्षकों को उससे जोड़ने की कोशिश की, इसके लिए विभाग ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया.

इससे शिक्षकों में एक भय उत्पन्न हुआ. इसके बाद पूर्व के कुछ शिक्षक संगठन जो अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाना शुरू किए, उनमें से सैकड़ों पर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए विभाग ने शो कॉज किया. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विभाग ने शिक्षकों को सस्पेंड करने का भी कारवाई किया.

विवादों के केंद्र में रहे विभाग के एसीएस केके पाठक: शिक्षा विभाग ने प्रदेश के विश्वविद्यालय के कुलपतियों का विभिन्न कारण पर वेतन बंद करना शुरू किया. इस कारण राज भवन और शिक्षा विभाग के बीच तनातनी बढ़ी. पटना विश्वविद्यालय के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज्यपाल ने खुले मंच से शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर टिप्पणी की. मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. इसके बाद धीरे-धीरे मामला सलटा. इसी बीच सरकार के निर्देशों का विरोध करने पर विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मियों का वेतन पेंशन रोका गया. जिसके खिलाफ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से आने वाले तमाम विधान पार्षद राज भवन जाकर केके पाठक के खिलाफ ज्ञापन दिए.

छुट्टियों को लेकर विवाद में रहा शिक्षा विभाग : शिक्षा विभाग के कई ऐसे फैसले हुए जिसका लोगों ने भी पुरजोर विरोध किया, तो कई ऐसे फैसले रहे जिसकी लोगों ने सराहना भी की. स्कूल अवधि अधिक दिन तक चले इसके लिए कई पर्व त्योहार की छुट्टियों में शिक्षा विभाग ने कटौती की. रक्षाबंधन के दिन भी स्कूल खुले रहे और इसका इतना विरोध हुआ कि सरकार को इस निर्देश को बदलना पड़ा. हालांकि एक बार फिर से साल 2024 का जब अवकाश कैलेंडर जारी किया गया तो सामान्य हिंदू विद्यालयों के लिए अलग अवकाश कैलेंडर और उर्दू विद्यालयों के लिए अलग अवकाश कैलेंडर जारी किया गया जो विवाद का कारण बना. कई मुस्लिम पर्व त्योहार की छुट्टियां में बढ़ोतरी की गई तो कई हिंदू पर्व त्यौहार की छुट्टियों में कटौती की गई. इस पर कई दिनों तक राजनीतिक बयान बाजी हुई लेकिन विभाग ने आदेश नहीं बदला.

कुछ फैसलों की हुई सराहना, तो कुछ का विरोध : शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए निर्देशित किया कि शिक्षक हर हाल में सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक विद्यालय में रहेंगे. 3:30 में कक्षाएं समाप्त होने के बाद हर शिक्षक मिशन दक्ष के तहत कक्षा तीन से आठ के पांच बच्चों को गोद लेंगे. यह वह बच्चे होंगे जो हिंदी अंग्रेजी लिखने और पढ़ने में दिक्कत करते हैं और गणित के आसान सवालों को हल नहीं कर पाते. विभाग ने निर्देश दिया कि शिक्षक इन बच्चों को पांच-पांच की संख्या में विशेष कक्षा देंगे. इन बच्चों की जिला मुख्यालय लेवल पर अप्रैल महीने में परीक्षा होगी. यदि कोई बच्चा इस परीक्षा में फेल करता है तो उस शिक्षक और विद्यालय के प्रधानाचार्य पर विभागीय कार्रवाई होगी. इस फैसले का लोगों ने खूब स्वागत किया.

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