पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 15 सालों से भी अधिक समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं. विशेष राज्य की मांग को लेकर विधानसभा और विधान परिषद से सर्वसम्मति प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा गया. एक करोड़ हस्ताक्षर कराकर भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा गया. साथ ही मुख्यमंत्री ने पटना से दिल्ली तक आंदोलन भी चलाया और सम्मेलन भी किया. लेकिन बिहार की इस मांग को अब तक केंद्र ने अनसुनी कर रखी है.
'डबल इंजन सरकार में नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा'
'डबल इंजन' की सरकार में भी विशेष राज्य का मामला बहुत आगे नहीं बढ़ा. अब तो नीतीश कुमार भी विशेष राज्य की चर्चा करना तक छोड़ दिया है. ऐसे तो जेडीयू की ओर से कहा जा रहा कि यह मुद्दा कभी समाप्त नहीं होगा. लेकिन जेडीयू के नेता खुलकर इस मामले पर बोलने से बच रहे हैं.
बिहार के विशेष राज्य दर्जा की मांग पिछले लंबे समय से होती रही है, लेकिन जोर नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद पकड़ा. लेकिन केंद्र की यूपीए सरकार ने कभी इस को तवज्जो नहीं दी और अब जब केंद्र में एनडीए की सरकार है. तो नियम ही बदल चुका है.
विशेष राज्य को लेकर बिहार में क्या कुछ हुआ एक नजर
- झारखंड बंटवारे के बाद बिहार में विशेष राज्य के दर्जे की मांग होने लगी.
- झारखंड बंटवारे के कारण खनिज संपदा और उद्योग धंधे सभी झारखंड में ही रह गया, बिहार के हिस्से कृषि ही रह गया.
- नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद 2005 से यह मांग जोर पकड़ने लगी.
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा और विधान परिषद से विशेष राज्य का दर्जा मिले इसके लिए सर्वसम्मति प्रस्ताव भी पास कराकर केंद्र को भेजा.
- विशेष राज्य के दर्जा के लिए हस्ताक्षर अभियान भी जदयू के तरफ से चलाया गया और एक करोड़ हस्ताक्षर राष्ट्रपति को भेजा गया.
- मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और अन्य बैठकों में भी इस मांग को कई बार उठाया है.
- नीतीश कुमार ने दिल्ली में भी विशेष राज्य की मांग को लेकर बड़ी रैली की.
- विशेष राज्य को लेकर केंद्र ने नियम में संशोधन कर दिया। उसके बाद रघु राजन कमेटी ने बिहार की मांग खारिज कर दी. हालांकि नीतीश कुमार रघु राजन कमेटी के फैसले पर असहमति जताते रहे हैं.
क्यों चाहिए विशेष राज्य का दर्जा:-
- डबल डिजिट ग्रोथ के बावजूद बिहार की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे कम, जबकि बिहार आबादी के मामले में देश की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला राज्य.
- सड़क और बिजली की स्थिति बेहतर होने के बावजूद पर्याप्त निवेश नहीं हुआ, ना ही बड़े उद्योग-धंधे लगे.
- बिहार हर साल आपदा से जूझता है. बिहार में 15 से अधिक जिलों में बाढ़ से हर साल करोड़ों की क्षति होती है और सुखाड़ से भी.
- बिहार से हर साल लाखों लोग करते हैं पलायन, लोग शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए करते हैं पलायन.
- विशेष राज्य का दर्जा मिलने से निवेश बढ़ेगा. केंद्र से अधिक अनुदान मिलेगा और कई तरह की छूट भी मिलेगी, जिससे बड़े पैमाने पर निवेश होगा और उद्योग धंधे लगेंगे, लोगों को रोजगार मिलेगा.
क्या कहते हैं मंत्री अशोक चोधरी
बिहार सरकार के जदयू मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि विशेष राज्य का मुद्दे मुद्दा समाप्त नहीं हुआ है. हमारी पुरानी मांग है और इसे आगे भी हम उठाते रहेंगे. लेकिन प्रधानमंत्री भी बिहार को मदद कर रहे हैं और पैकेज भी दिया है. वहीं, मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है कि केंद्र की ओर से बिहार को लगातार पैकेज मिल रहा है.
'नियम में बदलाव के कारण नहीं मिला विशेष दर्जा'
जेडीयू का कहना है कि 2015 में बिहार को प्रधानमंत्री ने सवा लाख करोड़ का विशेष पैकेज तो जरूर दिया. लेकिन विशेष राज्य के दर्जे के नियम में बदलाव के कारण बिहार से अब तक वंचित रहा है. विशेषज्ञ कहते हैं कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे के लिए हर मापदंड पर खड़ा है. बिहार जैसे राज्यों को केंद्र से विशेष राज्य और विशेष मदद के बिना विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना आसान नहीं है.
क्या कहते हैं मृत्युंजय तिवारी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलाने को लेकर तंज भी कसा है. उन्होंने कहा कि इस बार जनता सराकर को सबक सिखाने के लिए तैयार है. 2015 में जनता सबक सिखा चुकी है.
बिहार से सबसे अधिक होता है पलायन
बिहार से सालों भर लोगों का पलायन होता है. ऐसे तो पूरे देश में सबसे ज्यादा प्लान उत्तर प्रदेश से होता है. लेकिन बिहार भी पीछे नहीं है. विभिन्न क्षेत्रों में किए गए अध्ययन में जो जानकारी मिल रही है उसमें अब तक उत्तर प्रदेश से 19% पलायन होता है, तो वहीं असम से 15% उड़ीसा से 13% बिहार से 12% आंध्र प्रदेश जैसे विकसित राष्ट्र से 9%, पश्चिम बंगाल से 5%, झारखंड से 4%, राजस्थान से 4%, मध्य प्रदेश से 3% और शेष भारत से 16%. लेकिन बिहार जैसे राज्यों से जो पलायन होता है. उसमें अधिकांश श्रमिक होते हैं. इस कारण कई राज्यों की अर्थव्यवस्था बिहार पर टिकी है.
'विशेष राज्य का दर्जा चुनावी मुद्दा नहीं'
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा का मुद्दा फिलहाल मुख्य चुनावी मुद्दा में नहीं है. जदयू ने भी इस मुद्दे को अब पीछे धकेल दिया है, जबकि बिहार और केंद्र दोनों जगह एनडीए की डबल इंजन की सरकार है.