पटना: बिहार में लगातार दलितों की स्थिति पर चर्चा होती है. हमेशा यह बात होती है कि उनकी बेहतरी के लिए उपाय होने चाहिए. इन सबके बीच खुलासा हुआ है कि बिहार में दलितों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है और यह बात सामने आई है एक संस्थान की स्टडी रिपोर्ट में. वहीं बीजेपी ने इसे अपनी सरकार की उपलब्धि बताई है.
दलित वोट बैंक अहम
राजनीतिक दल लगातार दलितों-पिछड़ों को लेकर नीति बनाने की बात करते हैं. चुनाव के वक्त दलितों-पिछड़ों को लेकर ही सभी चुनावी प्रचार और नैतिक दलों का एजेंडा निर्धारित होता है. बिहार में तो विशेष रूप से दलितों की आबादी के कारण वोट बैंक में उनका महत्व बढ़ जाता है. लगातार यह बात होती है कि दलितों की स्थिति कब सुधरेगी.
अनुग्रह नारायण सिंह संस्थान ने एक सर्वे किया
ऐसे में दलितों की स्थिति को लेकर पटना के अनुग्रह नारायण सिंह संस्थान ने एक सर्वे किया है. स्टडी में शामिल संस्थान की सहायक प्रोफेसर डॉक्टर रेणु चौधरी और डॉक्टर सीता रानी महापात्रा ने कुछ दलित बस्तियों का सर्वे किया. कई परिवारों से बात की. उनके यहां दो जेनरेशन के लोगों से विभिन्न तरह के सवाल किए गए. ये सवाल उनकी दैनिक स्थिति, उनकी कमाई, कमाई का जरिया, घर, शैक्षणिक स्थिति, रहन सहन और सामाजिक भेदभाव से जुड़े थे.
सर्वे करने वाली डॉक्टर रेणु ने बताया
डॉक्टर रेणु ने बताया कि सर्वे में इन सवालों के जवाब के आधार पर यह जानकारी मिली कि पहले के मुकाबले दलितों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. ना सिर्फ सामाजिक भेदभाव बल्कि उनकी पढ़ाई लिखाई उनके रहन-सहन और रोजगार की स्थिति में भी सुधार हुआ है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि काफी हद तक सामाजिक भेदभाव कम जरूर हुआ है लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. वहीं दलितों की कमाई पहले से सुधरी है लेकिन अभी इसमें और सुधार की जरूरत है.
बीजेपी का दावा
वहीं जब इसके बारे में बीजेपी से पूछा गया तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दावा है कि जितने सुधार के काम और जितनी योजनाएं दलितों के लिए लाई गई. उनका बड़ा फायदा उन्हें मिला है और उसका असर देखने को मिल रहा है.