पटना: 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दम भरने वाली बिहार कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने गठबंधन के सभी शीर्ष नेता कई बार पहुंचे. तो वहीं दूसरी तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के दरबार में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने भी मत्था टेका. बावजूद इसके कांग्रेस को मात्र 9 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
ऐसे में यह साफ जाहिर है, कि बिहार की राजनीति में आज भी लालू यादव का सिक्का चल रहा है. इस मामले पर कांग्रेस कहती है कि हमने 2004 में लालू यादव के साथ 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2014 में 12 सीटों पर. कांग्रेस नेता हरखू झा ने कहा कि महागठबंधन में सभी फैसले शिर्ष नेतृत्व के द्वारा लिया गया है. कांग्रेस को मिली 9 सीटों में कहीं कोई परेशानी नहीं है.
कोई बड़ा नहीं सब बराबर हैं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर 12 से 9 पर आई है तो राजद भी 27 से 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है. लालू यादव के बड़े भाई की भूमिका के सवाल पर कांग्रेस कहती है, कि सभी भाई हैं यहां बड़े और छोटे की कहीं कोई बात नहीं. कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में लालू यादव जैसे नेताओं का बड़ा जनाधार है, और बिहार में महागठबंधन के प्रमुख घटक दल हैं.
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VIP ने माना लालू को बड़ा भाई
वहीं लालू यादव की भूमिका पर वीआईपी नेता राजभूषण चौधरी ने कहा कि इसमें कोई गुरेज नहीं कि लालू यादव बड़े भाई की भूमिका में हैं. राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए इसे कहने में कोई हिचक नहीं है.
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राजद नेता ने क्या कहा
राजद नेता आलोक मेहता कहते हैं, कि ज्यादा या कम सीटें मिलने से किसी के सम्मान पर कोई ठेस नहीं पहुंचता है. कांग्रेस की 9 सीटों पर उन्होंने कहा कि क्या महागठबंधन में जिन्हें 3 सीटें मिली हैं उन्हें अपमानित नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि एनडीए में रामविलास पासवान की पार्टी को 6 सीटें मिली हैं तो क्या उनका अपमान हो गया?उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ हमारा पुराना गठबंधन है इस चुनाव में एनडीए को कड़ी चुनौती मिलेगी.
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सब पर भारी लालू
गौरतलब है कि कांग्रेस लगातार 15 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही थी. पिछले दिनों अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह ने 11 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारने की घोषणा भी कर दी थी. बावजूद इसके कांग्रेस 9 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है. इससे यह साफ पता चलता है कि जेल में बंद लालू प्रसाद आज भी सब पर भारी है.