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बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा पत्र, आयकर अधिनियम को लेकर की अपील - Bihar Chamber of Commerce

बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है. इसके माध्यम से आयकर अधिनियम में किए गए संशोधन को पहले जैसा करने की अपील की गई है.

patna
बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स
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Published : Aug 22, 2020, 7:11 PM IST

पटना: बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आयकर विभाग को पत्र लिखा है. इसके जरिये आयकर अधिनियम 1961 की धारा 115 बीबीई के प्रावधान में किए गए संशोधन को पूर्व की भांति करने का अनुरोध किया गया है.

क्या कहते हैं अध्यक्ष
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान आयकर रिटर्न में एक तंत्र पहले से ही मौजूद है. जिसे बाद के वर्षों में चालू वर्ष के टीडीएस को हाईलाइट करने, आगे ले जाने और उसी वर्ष में दावा करने के लिए प्रस्तुत की गई है.

सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता
इसी तरह वर्तमान में आयकर रिटर्न में एक सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता होती है. लेकिन ऐसा नहीं होता है और करदाताओं को काफी कठिनाई होती है. इसलिए हमने पत्र लिखकर वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि आयकर अधिनियम 115 बीबीइ के प्रावधानों पर पुनः विचार करते हुए उसे पूर्व की भांति बहाल किया जाए. जिससे करदाता मुकदमा और विवाद की कठिन परिस्थितियों से बच सकें.

पटना: बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आयकर विभाग को पत्र लिखा है. इसके जरिये आयकर अधिनियम 1961 की धारा 115 बीबीई के प्रावधान में किए गए संशोधन को पूर्व की भांति करने का अनुरोध किया गया है.

क्या कहते हैं अध्यक्ष
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान आयकर रिटर्न में एक तंत्र पहले से ही मौजूद है. जिसे बाद के वर्षों में चालू वर्ष के टीडीएस को हाईलाइट करने, आगे ले जाने और उसी वर्ष में दावा करने के लिए प्रस्तुत की गई है.

सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता
इसी तरह वर्तमान में आयकर रिटर्न में एक सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता होती है. लेकिन ऐसा नहीं होता है और करदाताओं को काफी कठिनाई होती है. इसलिए हमने पत्र लिखकर वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि आयकर अधिनियम 115 बीबीइ के प्रावधानों पर पुनः विचार करते हुए उसे पूर्व की भांति बहाल किया जाए. जिससे करदाता मुकदमा और विवाद की कठिन परिस्थितियों से बच सकें.

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