पटना: मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा में उपचुनाव (By Election In Kurhni Assembly Of Muzaffarpur) हो रहे हैं. भाजपा और जदयू की ओर से प्रत्याशी खड़े किए गए है. दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने अपनी पार्टी की जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. भाजपा और जदयू हर हाल में कुढ़नी सीट जीतना चाहती है. कुढ़नी उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने बड़ा खुलासा किया गया है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल (Bihar BJP President Sanjay Jaiswal) ने कहा है कि इस बार अति पिछड़ा समाज के कर्मचारी पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो उपचुनाव में सरकार की मदद करें. उनसे सरकार की मदद कराने की कोशिश हो रही है.
ये भी पढ़ें- नीतीश और तेजस्वी के चुनाव प्रचार पर सस्पेंस, BJP बोली- 'मोकामा में CM नहीं गए तो कुढ़नी में डिप्टी CM नहीं जाएंगे'
'जदयू लाख कोशिश कर ले बीजेपी प्रत्याशी की कुढ़नी उपचुनाव में जीत होगी. सीएम नीतीश कुमार की फितरत धोखा देने की है. जब वह भाजपा के साथ थे तब बीजेपी को धोखा देते थे लेकिन अब राजद के साथ हैं तो वो राजद के साथ छल कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में वो नहीं गए लेकिन कुढ़नी में वे जा रहे हैं. नीतीश जी काफी चालाक हैं. इसका फायदा वो खूब उठाते हैं.' - संजय जयसवाल, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी
5 दिसंबर को कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव : बता दें कि 5 दिसंबर को कुढ़नी विधानसभा में उपचुनाव होना है और 3 दिसंबर तक ही चुनाव प्रचार होगा. जदयू की तरफ से ऐसे तो पूरी ताकत लगा दी गई है क्योंकि नीतीश कुमार का दांव इस विधानसभा उपचुनाव में लगा हुआ है. दूसरी तरफ एआईएमआईएम ने उम्मीदवार देकर गोपालगंज की तरह चुनौती जदयू के लिए बढ़ा दी है. साथ ही आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल सहनी जिनकी सदस्यता समाप्त हुई है. वो महागठबंधन के फैसले से नाराज हैं. वीआईपी ने भी कुढ़नी उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारा है. जहां जदयू कह रहा है कि एआईएमआईएम, बीजेपी का बी टीम है तो वहीं बीजेपी के नेता भी वीआईपी को जदयू की बी टीम बता रहे हैं.
कुढ़नी उपचुनाव में CM की प्रतिष्ठा दांव पर लगी : गौरतलब है कि गोपालगंज की तरह कुढ़नी में भी एआईएमआईएम ने अल्पसंख्यक वोट का बंटवारा कर लिया तो जदयू के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. साथ ही अनिल सहनी की नाराजगी भी जदयू को काफी महंगा पड़ सकता है. ऐसे में यदि तेजस्वी यादव चुनाव प्रचार में नहीं गए तो यादव वोट का ट्रांसफर होना भी मुश्किल हो जाएगा. दूसरी तरफ बीजेपी के लिए भी वीआईपी ने सवर्ण वर्ग से उम्मीदवार देकर मुश्किलें खड़ी कर दी है. वीआईपी के उम्मीदवार नीलाभ भूमिहार वर्ग से आते हैं ऐसे में देखना है कि सवर्ण वर्ग का कितना वोट वीआईपी काटता है. इसलिए सबकी नजर अब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सभा पर लगी है. नीतीश कुमार की सभा 1 दिन होगी, यह तय माना जा रहा है. जिसमें तेजस्वी यादव भी शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा तेजस्वी यादव 30 नवंबर और 1 दिसंबर के कार्यक्रम को लेकर भी चर्चा है लेकिन अभी तक फाइनल नहीं हुआ है.