पटना: सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार प्रदेश भाजपा कोर कमेटी निष्क्रिय हालत में है. या फिर भारतीय जनता पार्टी की बिहार इकाई इन दिनों संक्रमण के दौर से गुजर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि सीनियर लीडर्स केंद्र की राजनीति की ओर शिफ्ट किए जा रहे हैं. वहीं, युवाओं को आगे लाया जा रहा है. बिहार भाजपा के लिए महत्वपूर्ण फैसला कोर कमेटी के जरिए हुआ करता था.
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सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार, नागेंद्र नाथ, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और भूपेंद्र यादव कोर कमेटी के सक्रिय सदस्य हुआ करते थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से कोर कमेटी की बैठक नहीं हो रही है और महत्वपूर्ण फैसले अधर में है. मंत्रिमंडल विस्तार में देरी भी कोर कमेटी के सक्रिय ना होने की वजह से हो रही है. तमाम महत्वपूर्ण फैसलों को लेकर बिहार भाजपा नेताओं को दिल्ली दौड़ लगाना पड़ती है.
दरअसल, जब कोर कमेटी अस्तित्व में थी तब कमेटी के तमाम सदस्य बैठते थे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति के आधार पर फैसले लेते थे और केंद्र को भेज दिया जाता था और केंद्र पर मुहर लगा देती थी.
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''बिहार में किसी भी काम में अड़चन नहीं है, सभी फैसले समय पर लिए जा रहे हैं और जरूरत पड़ती है तो कोर कमेटी बैठती है''- रामसागर सिंह, भाजपा प्रवक्ता
''कोर कमेटी पार्टी का आंतरिक मामला है और पार्टी को जब जरूरत महसूस होती है तब बैठक बुलाई जाती है मंत्रिमंडल विस्तार में इस वजह से देरी नहीं हो रही है''- संजय टाइगर, भाजपा प्रवक्ता
''भाजपा में कोर कमेटी पिछले कुछ महीनों से डिफंक्ट हालात में है, जिसके चलते महत्वपूर्ण निर्णय में देरी हो रही है, तमाम वरिष्ठ नेता किनारे किए जा चुके हैं. लिहाजा कैबिनेट विस्तार के लिए लगातार तारीख दी जा रही हैं.कोर कमेटी सक्रिय होने की स्थिति में हालात ऐसे नहीं हुआ करते थे''- ललन सिंह, राजनीतिक विश्लेषक