पटना: एक समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना सबसे बड़ा मुद्दा रहा था. लेकिन हाल के कुछ वर्षों में पार्टी इस मुद्दे को भूलती जा रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी ने घोषणा पत्र भी जारी नहीं किया था. इसलिए इन सब बातों का जिक्र भी नहीं हुआ. अब नीतीश कुमार जल जीवन हरियाली जैसे अभियान पर ही अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. विशेष राज्य के दर्जे की मांग की चर्चा भी नहीं करते.
पेश है एक रिपोर्ट
विशेष राज्य की दर्जा की मांग को लेकर नीतीश कुमार ने बिहार में आंदोलन चलाया था. इसको लेकर नीतीश कुमार ने दिल्ली में जनसभा भी की थी. बिहार के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद से सर्वसम्मति प्रस्ताव पास करवा कर केंद्र को भेजा गया था. एक करोड़ लोगों की हस्ताक्षर करवा कर राष्ट्रपति को भी भेजा गया था. कई सालों तक चले इस अभियान के बाद भी जब बिहार को विशेष दर्जा नहीं मिला, तो केंद्र पर कई तरह के आरोप लगाये गए थे.
'BJP को क्या होगी आपत्ति'
बिहार में औद्योगिक निवेश नहीं होने का बड़ा कारण विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलना है. उद्योग मंत्री श्याम रजक का कहना है जेडीयू के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना हमेशा सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा और यदि बिहार को यह दर्जा मिल गया रहता, तो बिहार में बड़े उद्योग भी आते उन्हें कई तरह की छूट मिलती. जेडीयू की प्रमुख सहयोगी बीजेपी हालांकि कभी विशेष राज्य की मांग का विरोध नहीं की है. लेकिन, बीजेपी के नेता यह जरूर कहते रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा हो या विशेष पैकेज दोनों में कोई अंतर नहीं है. बीजेपी के नेता इसी तरह के बयान दे रहे हैं और यही कह रहे हैं कि अगर बिहार को कुछ मिल जाएगा, तो बीजेपी को भला इससे क्या आपत्ति हो सकती है.
JDU के नेता बचते हैं चर्चा करने से
डबल इंजन की सरकार बनने के बाद बिहार के लोगों में उम्मीद जगी थी कि विशेष राज्य का दर्जा बिहार को मिल जाएगा. 2014 से ही केंद्र में एनडीए की सरकार है. बिहार में भी एक-दो सालों को छोड़ दें, तो लगातार एनडीए की सरकार ही है. इसके बावजूद जेडीयू ने कभी इसे केंद्र के सामने गंभीरता से नहीं रखा है. वहीं, इस सवाल पर जेडीयू के नेता चर्चा करने से भी बचते हैं.