पटना: 2021 को अलविदा (year ender 2021) कहने का वक्त धीरे-धीरे नजदीक आ रहा है. 2022 का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है. लेकिन 2021 को अगर पीछे मुड़कर देखें तो, सीएम नीतीश (Chief Minister Nitish Kumar) के कई बयानों ने बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में भूचाल ला दिया था. सीएम के बयानों ने विपक्ष को हमले का मौका दिया और जदयू लगातार सीएम के बचाव के लिए मोर्चा संभाले था.
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निक्की हेंब्रम की सुंदरता को लेकर सीएम का बयान: 2021 में दिए सीएम नीतीश कुमार के कई बयानों की चर्चा खूब हुई थी. एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में नीतीश कुमार ने बीजेपी की विधायक निक्की हेंब्रम की सुंदरता को शराबबंदी से जोड़ते हुए बयान दिया, उसपर काफी हंगामा हुआ था. बीजेपी विधायक ने नीतीश कुमार को मर्यादा में रहकर बोलने की सलाह तक दे दी थी. इतना ही नहीं बीजेपी नेतृत्व के सामने विधायक ने इसको लेकर शिकायत भी की थी.
विपक्षी दल के नेताओं ने सीएम के बयान को लेकर खूब चुटकी ली. लालू की बेटी ने तो नीतीश कुमार पर तंज भी कसा. हालांकि 3 दिसंबर को बीजेपी विधायक ने यूटर्न ले लिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बीजेपी फोरम में शिकायत करने के मामले पर भारतीय जनता पार्टी की विधायक निक्की हेंब्रम (CM Nitish On MLA Nikki Hembram) ने ईटीवी भारत से बातचीत भी की थी. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि, इस मामले पर पार्टी फोरम में मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है, बल्कि पार्टी के सामने अपनी बात रखी है. उन्होंंने कहा कि, 'ये हालात कुछ गलतफहमी के चलते पैदा हो गए थे. सीएम नीतीश कुमार हमारे गार्जियन हैं'.
बता दें कि पूरा विवाद एनडीए विधायक दल की बैठक में 'महुआ' को लेकर शुरू हुआ था. बीजेपी विधायक ने बातचीत में बताया कि, बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law In Bihar) तो बनाया गया. लेकिन महुआ से होने वाली आमदनी पर निर्भर रहने वाले कुछ हमारे लोगों का सोर्स इससे बंद हो गया है. उन्होंने सुझाव में कहा था कि इस मामले में सीएम नीतीश को चाहिए कि, वो महुआ की प्रोसेसिंग के लिए मध्य प्रदेश मॉडल (Mahua processing on the Madhya Pradesh Model) अपनाएं. इस पर ही नीतीश ने जवाब देते हुए उनकी सुंदरता का जिक्र कर दिया था.
"लालू गोली ही मरवा दें": विसर्जन वाले लालू प्रसाद यादव के बयान पर 26 अक्टूबर को नीतीश ने कहा था कि, गोली ही मरवा दें और इसके अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं. सीएम का यह बयान भी खूब चर्चा में रहा था. असल में लालू प्रसाद यादव बिहार विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव के प्रचार के लिए बिहार आए हुए थे. इस दौरान लालू यादव ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव प्रचार में एनडीए के विसर्जन की बात कही थी. लालू के इस बयान को नीतीश कुमार ने अपने ऊपर लेते हुए बयान दिया था. उस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यहां तक कहा कि, चुनाव में लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गोली मरवा दें, जैसी बात कह रहे हैं, लोगों की सिंपैथी लेना चाहते हैं.
दरअसल लालू यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि, 'ऐसे तो तेजस्वी यादव जी सबको उपचुनाव के प्रचार में उखाड़कर फेंक चुके हैं, बाकी जो बचे हैं उनका हम विसर्जन कर देंगे.' इसी बयान के बाद सीएम ने गोली मरवा देने वाला बयान दिया था, जिसपर काफी समय तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला था.
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नीति आयोग की रिपोर्ट पर सीएम: नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को फिसड्डी बताने पर नीतीश कुमार ने कहा था कि, जब नीति आयोग ने बिहार को पिछड़ा बता ही दिया है तो, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा केंद्र को देना चाहिए. 13 दिसंबर को राजधानी पटना में जनता दरबार (CM Nitish Kumar Janata Darbar) के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग (Nitish Kumar on Special Status) की थी. उन्होंने कहा कि, देश में प्रति व्यक्ति आय और बिहार में प्रति व्यक्ति आय में बहुत बड़ा अंतर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि, हम लोगों ने इतना काम किया, उसके बाद भी जहां देश में प्रति व्यक्ति आय 1,34,432 रुपए है. वहीं, राज्य में प्रति व्यक्ति आय 50,732 रुपए ही है.
सीएम ने अपने बयान में कहा कि, ''नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार को सबसे पिछड़ा बता दिया गया है. ऐसे में बिहार जब पिछड़ा है तो इसको आगे लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा तो कई तरह की सुविधाएं मिलेगी. केंद्रीय योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 90% और राज्य की हिस्सेदारी 10% हो जाएगी. राज्य के हिस्से की राशि बचेगी तो उससे राज्य में और विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे.''
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इस बयान की हुई थी जमकर आलोचना: बिहार में जहरीली शराब से मौत पर नीतीश कुमार (CM Nitish On Poisonous Liquor Case) ने कहा था कि, पिएंगे तो मरेंगे ही. कौन क्या पिला देगा कोई नहीं जानता है. सीएम ने शराबबंदी को सख्ती से लागू करने को लेकर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं. उसके बावजूद जहरीली शराब पीने से मौत के मामलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. इसी पर सीएम ने बड़ा बयान दिया, जिसकी जमकर आलोचना भी की गई थी.
बता दें कि, बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) है. इसके बाद भी राज्य में लगातार जहरीली शराब के मामले सामने आ रहे हैं. जहरीली शराब से मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य में 40 से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. इन मौतों के बाद पूर्ण शराबबंदी कानून और बिहार पुलिस पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून के बाद से अब तक करीब 125 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है. साल 2021 में लगभग 90 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि, शराब के जुड़े मामलों की पुष्टि नहीं हो पाई.
सीएम ने पुलिस का किया बचाव: शराबबंदी को लेकर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक और बयान विवादों में रहा. शादी समारोह में बिना महिला पुलिसकर्मी के छापेमारी पर उन्होंने कहा था कि, सूचना मिलेगी तो पुलिस जाएगी. शादी कार्यक्रम में दारू पिलाने का इंतजाम रहता. पुलिस को जब कोई सूचना मिली है तो, उसके हिसाब से वहां जा रही है.
दरअसल, शराबबंदी को लेकर पुलिस को सख्ती बरतने के आदेश सीएम ने दिए हैं. सीएम की पुलिस पर इसका गलत फायदा उठाने का आरोप लगा था. पुलिस एक शादी समारोह में शराब ढूंढती (Police raids at wedding halls in Patna) हुई पहुंची थी. इस दौरान महिला पुलिस कर्मी के बिना ही पुलिस ने एक-एक कमरे की तलाशी ली. हद तो तब हो गई जब महिलाओं के कमरे में भी पुलिस बेधड़क घुस गई. इस पर सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा बयान दिया था.
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डिप्टी सीएम पर नीतीश का बयान: विशेष राज्य के दर्जे पर नीतीश कुमार ने अपने ही डिप्टी सीएम रेणु देवी के खिलाफ बयान दिया. रेणु देवी ने कहा था कि, बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं है. केंद्र से विशेष मदद दी जा रही है. इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि, डिप्टी सीएम को कुछ मालूम नहीं है, मिलेंगे तो उनको बताएंगे. यह बयान भी खूब चर्चा में रहा.
इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश, तेजस्वी यादव के बयानों पर भी बोलते रहे हैं. एक बयान में उन्होंने कहा था कि, मीडिया में बने रहने के लिए लोग कुछ भी बोलते रहते हैं. दूसरे राज्यों के विज्ञापन को लेकर भी मुख्यमंत्री ने कहा कि, हम तो काम पर विश्वास करते हैं, प्रचार पर नहीं. नीतीश कुमार के ऐसे कई बयानों ने मीडिया में सुर्खियां बंटोरी. लेकिन चर्चा में सबसे अधिक है लालू प्रसाद के विसर्जन के जवाब में दिया गया बयान रहा.
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