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झूठे मामले में बेतिया पुलिस ने किया कारोबारी को गिरफ्तार, राज्य सरकार पर लगा 5 लाख का जुर्माना

बेतिया पुलिस ने झूठे मामले में पुणे के कारोबारी जरार एजाज शेखर को जेल भेजा था. मानवाधिकार आयोग द्वारा उसके परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. पुलिस की कार्रवाई के चलते पीड़ित को 26 मार्च से 27 जुलाई 2019 तक जेल में रहना पड़ा.

पटना
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Published : Nov 26, 2020, 3:00 PM IST

पटना: पुणे के रहने वाले जरार एजाज शेखर को बेतिया के निवासी उसके साथी ने पुलिस की मदद से झूठे मामले में फंसा दिया. पुलिस द्वारा बलात्कार के झूठे मुकदमे में गिरफ्तार करने और जेल भेजने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे के द्वारा छानबीन के दौरान पता चला कि बेतिया पुलिस ने झठे मुकदमे में पुणे के युवक को फंसाया था.

झूठे मामले में युवक को फंसाया गया
झूठे मुकदमे में पुणे जा कर दुबई से लौट रहे युवक को एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया और बेतिया ला कर जेल भेज दिया गया था. इस मामले में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश आयोग द्वारा दिया गया है. पीड़ित की मां नुसरत एजाज शेरखर ने इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग में फरियाद लगाई थी.

बिहार पुलिस हुई शर्मसार
बिहार पुलिस हुई शर्मसार

पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश
मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए मानवाधिकार हनन को लेकर राज्य सरकार ने क्षतिपूर्ति के तौर पर मुआवजा देने के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. पीड़ित की मां ने बेटे को 87 दिनों तक जेल में रहने सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन और पुणे से लगातार बेतिया आने जाने के अनावश्यक खर्च का 18 लाख वित्तीय राहत देने का अनुरोध किया था. सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद आयोग ने पीड़ित की मां को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. 11 फरवरी 2021 तक यह राशि उनके बैंक के खाते में भेजी जाएगी.

विभागीय कार्रवाई के आदेश
आयोग द्वारा इस मामले में सत्संग डिस्ट्रिक्ट में दोषी पाए गए नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद कांड के आईओ विनोद कुमार सिंह और सिपाही कृष्ण कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. फिलहाल यह तीनों लोग सस्पेंड हैं. आपको बता दें कि बेतिया पुलिस द्वारा किए गए झूठे केस को लेकर पुलिस की छवि धूमिल हुई है. बेतिया के रहने वाली एक महिला द्वारा सीजीएम कोर्ट में दिए गए परिवाद पत्र दायर किया था.

पटना: पुणे के रहने वाले जरार एजाज शेखर को बेतिया के निवासी उसके साथी ने पुलिस की मदद से झूठे मामले में फंसा दिया. पुलिस द्वारा बलात्कार के झूठे मुकदमे में गिरफ्तार करने और जेल भेजने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे के द्वारा छानबीन के दौरान पता चला कि बेतिया पुलिस ने झठे मुकदमे में पुणे के युवक को फंसाया था.

झूठे मामले में युवक को फंसाया गया
झूठे मुकदमे में पुणे जा कर दुबई से लौट रहे युवक को एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया और बेतिया ला कर जेल भेज दिया गया था. इस मामले में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश आयोग द्वारा दिया गया है. पीड़ित की मां नुसरत एजाज शेरखर ने इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग में फरियाद लगाई थी.

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पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश
मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए मानवाधिकार हनन को लेकर राज्य सरकार ने क्षतिपूर्ति के तौर पर मुआवजा देने के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. पीड़ित की मां ने बेटे को 87 दिनों तक जेल में रहने सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन और पुणे से लगातार बेतिया आने जाने के अनावश्यक खर्च का 18 लाख वित्तीय राहत देने का अनुरोध किया था. सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद आयोग ने पीड़ित की मां को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. 11 फरवरी 2021 तक यह राशि उनके बैंक के खाते में भेजी जाएगी.

विभागीय कार्रवाई के आदेश
आयोग द्वारा इस मामले में सत्संग डिस्ट्रिक्ट में दोषी पाए गए नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद कांड के आईओ विनोद कुमार सिंह और सिपाही कृष्ण कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. फिलहाल यह तीनों लोग सस्पेंड हैं. आपको बता दें कि बेतिया पुलिस द्वारा किए गए झूठे केस को लेकर पुलिस की छवि धूमिल हुई है. बेतिया के रहने वाली एक महिला द्वारा सीजीएम कोर्ट में दिए गए परिवाद पत्र दायर किया था.

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