पटना : बिहार की राजधानी पटना से करीब 20 किलोमीटर दूर पुनपुन स्टेशन से अकौना गांव की दूरी करीब तीन से चार किलोमीटर है. इस गांव में अशोक सिंह उर्फ बंगाली बाबा रहते हैं. बंगाली बाबा की उम्र 70 वर्ष है. बंगाली बाबा की पत्नी मनोरमा देवी को साल 2011 में सांस लेने में दिक्कत शुरू हुई. बंगाली बाबा बंगाल से काम धंधा छोड़कर गांव आ गए. गांव पर डॉक्टर और वैद्य से दिखाना शुरू किया. एक वैद्य ने बंगाली बाबा को पेड़ पौधा लगाने की सलाह दी. इसके बाद से बंगाली बाबा पौधा लगा रहे हैं.
पत्नी के स्वास्थ्य के लिए लगाना शुरू किया था पौधा : वैद्य की सलाह के बाद से बंगाली बाबा ने अपने आसपास के इलाकों में पौधा लगाना शुरू कर दिया. बंगाली बाबा बताते हैं कि साल 2011 से सड़क किनारे भी पौधा लगा रहे हैं, जो अब तक 500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. उनका मानना है कि जब से उन्होंने ने पेड़ लगाना शुरू किया है. उसके बाद से उनकी पत्नी मनोरमा देवी को सांस लेने के दौरान आने वाली दिक्कत पूरी तरह से ठीक हो चुकी है. साथ ही गांव भी पेड़ पौधों से हरा भरा लगता है.
"जब तक स्वस्थ रहेंगे तब तक पेड़ पौधा लगाते रहेंगे. पेड़ पौधों की देखभाल के लिए प्रतिदिन सुबह पांच बजे उठकर साइकिल पर खुरपी बाल्टी लेकर निकलता हूं और सभी पेड़ों में पानी देता हूं. गांव के लोगों ने मिलकर अकौना आने वाली मुख्य मार्ग का नाम भी बंगाली बाबा पथ रख दिया है."- अशोक सिंह उर्फ बंगाली बाबा
हर साल बरसात में लगाते हैं पौधा : बंगाली बाबा हर साल बरसात के मौसम में पेड़ पौधा लगाते हैं. वह भी आसपास के गांव से आम, बरगद, पीपल, गूल्लर, जामुन लगाए हैं, जो गर्मी के दिनों में छांव और हवा भी देते हैं. इस कारण गर्मी के दिनों में राहगीरों को छाया मिलती है. उनका कहना है कि एक पति-पत्नी का प्रेम जब एक बंधन में बंध जाता है, तब से अंतिम पड़ाव तक यह बंधन रहता है. मैंने अपनी पत्नी के लिए पेड़ पौधा लगाया, लेकिन उसका परिणाम है कि आज पूरा गांव खुश है.
जब तक स्वस्थ्य रहेंगे पौधा लगाते रहेंगे : बंगाली बाबा ने बताया कि अभी मेरा पौधा लगाने का काम खत्म नहीं हुआ है. जब तक हाथ-पांव चलेगा पौधा लगाते रहेंगे. उन्होंने बताया कि मेरा नाम अशोक सिंह है. जब मैं बंगाल में काम करता था तो लोग मुझे बंगाली बाबा, बंगाली बाबा के नाम से पुकारने लगे. लोग आज तक मुझे बंगाली बाबा के नाम से ही पुकारते हैं. वहीं सभी लोग मुझे बंगाली बाबा के नाम से ही जानते हैं.
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