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बिहार में 352 बीएड कॉलेज, ज्यादातर में शिक्षकों की कमी

एनसीटीई के मानक के अनुसार बीएड के 100 छात्रों पर एक प्राचार्य और 15 शिक्षक होने चाहिए. लेकिन बिहार सरकार ने प्राचार्य के अलावा 8 शिक्षक के पद ही सेक्शन्ड करके रखी है और वे सारे पद भी भरे हुए नहीं हैं. गेस्ट शिक्षकों को भरोसे चल कॉलेज चल रहे हैं.

B.Ed कॉलेज
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Published : Feb 10, 2021, 11:12 PM IST

पटना: प्रदेश के बीएड कॉलेज शिक्षकों की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के द्वारा तय मानक के अनुरूप बीएड कॉलेजों में कार्य नहीं हो रहे हैं. प्रदेश में बीएड के कुल 352 कॉलेज हैं. जिनमें से 325 प्राइवेट हैं और 25 यूनिवर्सिटी बेस्ड सेल्फ फाइनेंस के कॉलेज हैं और दो यूनिवर्सिटी के कांस्टीट्यूएंट कॉलेज हैं. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन यानी एनसीटीई के गाइडलाइन के तहत बीएड के लिए महाविद्यालय में 100 छात्रों पर एक बेचारी के अलावा 15 शिक्षकों का होना अनिवार्य है. मगर सभी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है.

प्रदेश में तीन प्रकार के हैं बीएड कॉलेज

1. यूनिवर्सिटी के कांस्टीट्यूएंट कॉलेज- इस प्रकार के पटना में दो ही कॉलेज हैं और पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं. पहला पटना ट्रेनिंग कॉलेज लड़कों के लिए है. यहां बीएड के 100 सीट हैं. जबकि दूसरा कॉलेज मगध महिला कॉलेज के पास स्थित है और इसका नाम विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज है. इन कॉलेजों में बीपीएससी और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के तहत शिक्षकों की बहाली होती है. यहां 2 वर्ष के बीएड कोर्स की फीस 18 सौ रुपया हैं.

2- यूनिवर्सिटी बेस्ड सेल्फ फाइनेंस कॉलेज- यह प्रदेश के बाकी सरकारी विश्वविद्यालयों में चलने वाले बीएड कॉलेज हैं. यहां कॉलेज प्रबंधन शिक्षकों की अस्थाई नियुक्ति करता है और इन शिक्षकों का वेतन का भुगतान छात्रों से ली गई फीस की राशि से होता है. विभिन्न विश्वविद्यालयों में बीएड का अलग अलग फीस है.

3- प्राइवेट B.Ed कॉलेज- प्राइवेट बीएड कॉलेज की संख्या प्रदेश में सर्वाधिक है और इनकी कुल संख्या 325 है. एनसीटीई के गाइडलाइन के मुताबिक प्राइवेट बीएड कॉलेज के लिए भवन होने के साथ-साथ 0.25 हेक्टेयर जमीन कॉलेज के पास होना अनिवार्य है. प्रदेश में प्राइवेट बीएड कॉलेज का हाल यह है कि एनसीटीई के गाइडलाइन के तहत यह कॉलेज 15 शिक्षकों की संख्या अपने पास जरूर रखते हैं. मगर कॉलेज में पढ़ाने के लिए 5 से 6 शिक्षक ही होते हैं. बिहार हाई कोर्ट के एक आदेश के तहत प्राइवेट कॉलेज बीएड कोर्स के पूरे 2 साल के लिए छात्रों से डेढ़ लाख रुपए से अधिक फीस नहीं वसूल सकते हैं.

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र अनिल कुमार प्रसाद ने बताया 'कॉलेज में बीएड की अच्छे तरीके से पढ़ाई होती है और 10 से 4 क्लासेज चलते हैं. उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि कॉलेज में शिक्षकों की कमी है. मगर जो भी शिक्षक हैं, वह अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं. अगर कॉलेज में पर्याप्त संख्या में शिक्षक रहते तो पढ़ाई और बेहतर होती.'

ये भी पढ़ेंः पटना में छात्र का अपहरण, पिता से वाट्सएप पर 10 लाख रुपये फिरौती की मांग

पटना ट्रेनिंग कॉलेज की पूर्ववर्ती संतोष कुमार ने बताया 'वर्तमान में ट्रेनिंग कॉलेजों में बीएड छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा रही है और इसका प्रमुख वजह है शिक्षकों की कमी. शिक्षकों की कमी का नतीजा यह है कि प्रदेश के बीएड के छात्र गैस पेपर और पासपोर्ट पढ़कर परीक्षा देते हैं. छात्रों को थ्योरी में काफी कम नंबर आते हैं. मगर प्रैक्टिकल में अच्छे अंक मिल जाने से परसेंटेज अच्छा बन जाता है. कॉलेजों में प्रैक्टिकल में शिक्षक छात्रों को भरपूर मार्क्स इसलिए दे देते हैं क्योंकि कॉलेज में पढ़ाई की व्यवस्था पहले से लचर होती है.'

पेश है खास रिपोर्ट

'विश्वविद्यालय को कई बार लिखा गया पत्र'
पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष कुमार ने बताया 'नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने बीएड छात्रों के लिए जितने भी क्रियाकलापों को चिन्हित किया है. सभी का अनुपालन महाविद्यालय में किया जाता है. कॉलेज में शिक्षकों की काफी कमी है. इसके लिए विश्वविद्यालय को भी कई बार पत्र लिखा गया है. कॉलेज में स्थाई शिक्षक के तौर पर एकमात्र शिक्षक हैं. इसके अलावा अभी कॉलेज में पांच गेस्ट शिक्षक हैं. जिन्हें क्लासेज के अनुरूप पैसे का भुगतान किया जाता है.

'एनसीवीटी के गाइडलाइन के तहत कॉलेज में प्राचार्य के अलावा 15 शिक्षक होने चाहिए. ऐसे में अभी 10 शिक्षकों की कॉलेज में कमी है. बावजूद इसके सभी शिक्षक अपनी तरफ से छात्रों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं. शिक्षकों की कमी होने की वजह से जो शिक्षक कॉलेज में हैं, उन पर वर्क लोड काफी बढ़ा हुआ है'.-डॉ. आशुतोष कुमार, पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य

क्या कहते हैं डॉ. कुमार संजीव
इंडियन एसोसिएशन ऑफ टीचर एडुकेटर्स के बिहार अध्यक्ष कुमार संजीव ने बताया 'बिहार में 352 बीएड कॉलेज हैं. जिनमें से 325 प्राइवेट कॉलेज है. कुछ प्राइवेट कॉलेजों को छोड़ दें तो बाकी कॉलेजों में गुणवत्ता की अच्छी स्थिति नहीं है. रिजल्ट मैनेज कर दिए जाते हैं. यहां कई कई शिक्षक गेस्ट टीचर के तौर पर काम करते हैं. यह वह होते हैं जिनका कॉलेज में बतौर शिक्षक नाम होता है मगर वह हमेशा कॉलेज से फरार रहते हैं और इन सब वजहों से बीएड छात्रों की गुणवत्ता बाधित होती है.

'प्रदेश में बीएड के लिए दो ही कांस्टीट्यूएंट कॉलेज हैं और यह पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत हैं. पहला कॉलेज है पटना ट्रेनिंग कॉलेज और दूसरा विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज है. दोनों जगहों पर मात्र प्राचार्य ही स्थाई शिक्षक के तौर पर हैं और सभी शिक्षक बतौर गेस्ट शिक्षक कॉलेज में पढ़ाते हैं'.- डॉ. कुमार संजीव, टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष

ये भी पढ़ेंः पश्चिम बंगाल में 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में RJD, गठबंधन पर असमंजस बरकरार

महाविद्यालयों में 15 की जगह हैं 8 शिक्षक
टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव ने कहा 'एनसीईटी का गाइडलाइन कहता है कि बीएड के 100 छात्रों पर एक प्राचार्य के अलावा 15 शिक्षक होने चाहिए. मगर बिहार सरकार ने प्राचार्य के अलावा 8 शिक्षक के पद ही सेक्शन्ड करके रखे हैं और की दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि महाविद्यालयों में यह 8 शिक्षक भी नहीं है, गेस्ट टीचर से ही काम चल रहा है.'

'बीएड शिक्षकों के लिए 15 पदों पर साल 2014 में बीपीएससी के तहत बहाली निकली थी और यह भी मात्र दो विश्वविद्यालय के लिए निकली थी. पटना विश्वविद्यालय के लिए 11 सीट जबकि मौलाना मजहरूल हक यूनिवर्सिटी के लिए 4 सीट पर वैकेंसी निकली थी. इन सबसे भी बड़ी हास्यास्पद बात यह है कि साल 2021 शुरू हो गया और अब तक इन 15 सीटों पर एक भी बहाली नहीं हो पाई है. इन 15 सीटों पर तो बहाली नहीं हुई, फिर से एक बार नवगठित यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन बना है. उसने पटना विश्वविद्यालय के लिए 10 और सीटों पर बीएड शिक्षकों की वैकेंसी निकाल दी है'.-डॉ. कुमार संजीव, टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष

2030 से बीएड होगा 4 साल का कोर्स
उन्होंने कहा 'प्रदेश के बाकी जो बीएड कॉलेज हैं, उनमें सरकार के तरफ से बहाली नहीं आती हैं. हालांकि सरकार की तरफ से हायर एजुकेशन के डायरेक्टर ने कई दफा सभी यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार को पत्र लिखा है कि बीएड के लिए भी विश्वविद्यालय वोकेशनल कोर्सेज के तर्ज पर पद क्रिएट करें, लेकिन विश्वविद्यालय का भी रवैया सुस्त है और सरकार भी अधिक एक्टिव नहीं है.
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत साल 2030 तक सभी बीएड कॉलेजों में 4 साल का बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू हो जाना चाहिए. यह 4 वर्षीय कोर्सेज कॉलेज में तभी चलेंगे जब कॉलेज मल्टीडिसीप्लिनरी हो जाए. इसका मतलब यह है कि बीएड कोर्सेज उसी कॉलेज में चलेंगे, जहां बीएससी, बीकॉम और बीए की पढ़ाई होती है. ऐसे में जो कॉलेज सिर्फ बीएड कोर्सेज कराते हैं, वह बंद हो जाएंगे.'

पटना: प्रदेश के बीएड कॉलेज शिक्षकों की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के द्वारा तय मानक के अनुरूप बीएड कॉलेजों में कार्य नहीं हो रहे हैं. प्रदेश में बीएड के कुल 352 कॉलेज हैं. जिनमें से 325 प्राइवेट हैं और 25 यूनिवर्सिटी बेस्ड सेल्फ फाइनेंस के कॉलेज हैं और दो यूनिवर्सिटी के कांस्टीट्यूएंट कॉलेज हैं. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन यानी एनसीटीई के गाइडलाइन के तहत बीएड के लिए महाविद्यालय में 100 छात्रों पर एक बेचारी के अलावा 15 शिक्षकों का होना अनिवार्य है. मगर सभी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है.

प्रदेश में तीन प्रकार के हैं बीएड कॉलेज

1. यूनिवर्सिटी के कांस्टीट्यूएंट कॉलेज- इस प्रकार के पटना में दो ही कॉलेज हैं और पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं. पहला पटना ट्रेनिंग कॉलेज लड़कों के लिए है. यहां बीएड के 100 सीट हैं. जबकि दूसरा कॉलेज मगध महिला कॉलेज के पास स्थित है और इसका नाम विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज है. इन कॉलेजों में बीपीएससी और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के तहत शिक्षकों की बहाली होती है. यहां 2 वर्ष के बीएड कोर्स की फीस 18 सौ रुपया हैं.

2- यूनिवर्सिटी बेस्ड सेल्फ फाइनेंस कॉलेज- यह प्रदेश के बाकी सरकारी विश्वविद्यालयों में चलने वाले बीएड कॉलेज हैं. यहां कॉलेज प्रबंधन शिक्षकों की अस्थाई नियुक्ति करता है और इन शिक्षकों का वेतन का भुगतान छात्रों से ली गई फीस की राशि से होता है. विभिन्न विश्वविद्यालयों में बीएड का अलग अलग फीस है.

3- प्राइवेट B.Ed कॉलेज- प्राइवेट बीएड कॉलेज की संख्या प्रदेश में सर्वाधिक है और इनकी कुल संख्या 325 है. एनसीटीई के गाइडलाइन के मुताबिक प्राइवेट बीएड कॉलेज के लिए भवन होने के साथ-साथ 0.25 हेक्टेयर जमीन कॉलेज के पास होना अनिवार्य है. प्रदेश में प्राइवेट बीएड कॉलेज का हाल यह है कि एनसीटीई के गाइडलाइन के तहत यह कॉलेज 15 शिक्षकों की संख्या अपने पास जरूर रखते हैं. मगर कॉलेज में पढ़ाने के लिए 5 से 6 शिक्षक ही होते हैं. बिहार हाई कोर्ट के एक आदेश के तहत प्राइवेट कॉलेज बीएड कोर्स के पूरे 2 साल के लिए छात्रों से डेढ़ लाख रुपए से अधिक फीस नहीं वसूल सकते हैं.

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र अनिल कुमार प्रसाद ने बताया 'कॉलेज में बीएड की अच्छे तरीके से पढ़ाई होती है और 10 से 4 क्लासेज चलते हैं. उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि कॉलेज में शिक्षकों की कमी है. मगर जो भी शिक्षक हैं, वह अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं. अगर कॉलेज में पर्याप्त संख्या में शिक्षक रहते तो पढ़ाई और बेहतर होती.'

ये भी पढ़ेंः पटना में छात्र का अपहरण, पिता से वाट्सएप पर 10 लाख रुपये फिरौती की मांग

पटना ट्रेनिंग कॉलेज की पूर्ववर्ती संतोष कुमार ने बताया 'वर्तमान में ट्रेनिंग कॉलेजों में बीएड छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा रही है और इसका प्रमुख वजह है शिक्षकों की कमी. शिक्षकों की कमी का नतीजा यह है कि प्रदेश के बीएड के छात्र गैस पेपर और पासपोर्ट पढ़कर परीक्षा देते हैं. छात्रों को थ्योरी में काफी कम नंबर आते हैं. मगर प्रैक्टिकल में अच्छे अंक मिल जाने से परसेंटेज अच्छा बन जाता है. कॉलेजों में प्रैक्टिकल में शिक्षक छात्रों को भरपूर मार्क्स इसलिए दे देते हैं क्योंकि कॉलेज में पढ़ाई की व्यवस्था पहले से लचर होती है.'

पेश है खास रिपोर्ट

'विश्वविद्यालय को कई बार लिखा गया पत्र'
पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष कुमार ने बताया 'नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने बीएड छात्रों के लिए जितने भी क्रियाकलापों को चिन्हित किया है. सभी का अनुपालन महाविद्यालय में किया जाता है. कॉलेज में शिक्षकों की काफी कमी है. इसके लिए विश्वविद्यालय को भी कई बार पत्र लिखा गया है. कॉलेज में स्थाई शिक्षक के तौर पर एकमात्र शिक्षक हैं. इसके अलावा अभी कॉलेज में पांच गेस्ट शिक्षक हैं. जिन्हें क्लासेज के अनुरूप पैसे का भुगतान किया जाता है.

'एनसीवीटी के गाइडलाइन के तहत कॉलेज में प्राचार्य के अलावा 15 शिक्षक होने चाहिए. ऐसे में अभी 10 शिक्षकों की कॉलेज में कमी है. बावजूद इसके सभी शिक्षक अपनी तरफ से छात्रों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं. शिक्षकों की कमी होने की वजह से जो शिक्षक कॉलेज में हैं, उन पर वर्क लोड काफी बढ़ा हुआ है'.-डॉ. आशुतोष कुमार, पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य

क्या कहते हैं डॉ. कुमार संजीव
इंडियन एसोसिएशन ऑफ टीचर एडुकेटर्स के बिहार अध्यक्ष कुमार संजीव ने बताया 'बिहार में 352 बीएड कॉलेज हैं. जिनमें से 325 प्राइवेट कॉलेज है. कुछ प्राइवेट कॉलेजों को छोड़ दें तो बाकी कॉलेजों में गुणवत्ता की अच्छी स्थिति नहीं है. रिजल्ट मैनेज कर दिए जाते हैं. यहां कई कई शिक्षक गेस्ट टीचर के तौर पर काम करते हैं. यह वह होते हैं जिनका कॉलेज में बतौर शिक्षक नाम होता है मगर वह हमेशा कॉलेज से फरार रहते हैं और इन सब वजहों से बीएड छात्रों की गुणवत्ता बाधित होती है.

'प्रदेश में बीएड के लिए दो ही कांस्टीट्यूएंट कॉलेज हैं और यह पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत हैं. पहला कॉलेज है पटना ट्रेनिंग कॉलेज और दूसरा विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज है. दोनों जगहों पर मात्र प्राचार्य ही स्थाई शिक्षक के तौर पर हैं और सभी शिक्षक बतौर गेस्ट शिक्षक कॉलेज में पढ़ाते हैं'.- डॉ. कुमार संजीव, टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष

ये भी पढ़ेंः पश्चिम बंगाल में 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में RJD, गठबंधन पर असमंजस बरकरार

महाविद्यालयों में 15 की जगह हैं 8 शिक्षक
टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव ने कहा 'एनसीईटी का गाइडलाइन कहता है कि बीएड के 100 छात्रों पर एक प्राचार्य के अलावा 15 शिक्षक होने चाहिए. मगर बिहार सरकार ने प्राचार्य के अलावा 8 शिक्षक के पद ही सेक्शन्ड करके रखे हैं और की दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि महाविद्यालयों में यह 8 शिक्षक भी नहीं है, गेस्ट टीचर से ही काम चल रहा है.'

'बीएड शिक्षकों के लिए 15 पदों पर साल 2014 में बीपीएससी के तहत बहाली निकली थी और यह भी मात्र दो विश्वविद्यालय के लिए निकली थी. पटना विश्वविद्यालय के लिए 11 सीट जबकि मौलाना मजहरूल हक यूनिवर्सिटी के लिए 4 सीट पर वैकेंसी निकली थी. इन सबसे भी बड़ी हास्यास्पद बात यह है कि साल 2021 शुरू हो गया और अब तक इन 15 सीटों पर एक भी बहाली नहीं हो पाई है. इन 15 सीटों पर तो बहाली नहीं हुई, फिर से एक बार नवगठित यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन बना है. उसने पटना विश्वविद्यालय के लिए 10 और सीटों पर बीएड शिक्षकों की वैकेंसी निकाल दी है'.-डॉ. कुमार संजीव, टीचर एडुकेटर्स एसोसिएशन बिहार के अध्यक्ष

2030 से बीएड होगा 4 साल का कोर्स
उन्होंने कहा 'प्रदेश के बाकी जो बीएड कॉलेज हैं, उनमें सरकार के तरफ से बहाली नहीं आती हैं. हालांकि सरकार की तरफ से हायर एजुकेशन के डायरेक्टर ने कई दफा सभी यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार को पत्र लिखा है कि बीएड के लिए भी विश्वविद्यालय वोकेशनल कोर्सेज के तर्ज पर पद क्रिएट करें, लेकिन विश्वविद्यालय का भी रवैया सुस्त है और सरकार भी अधिक एक्टिव नहीं है.
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत साल 2030 तक सभी बीएड कॉलेजों में 4 साल का बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू हो जाना चाहिए. यह 4 वर्षीय कोर्सेज कॉलेज में तभी चलेंगे जब कॉलेज मल्टीडिसीप्लिनरी हो जाए. इसका मतलब यह है कि बीएड कोर्सेज उसी कॉलेज में चलेंगे, जहां बीएससी, बीकॉम और बीए की पढ़ाई होती है. ऐसे में जो कॉलेज सिर्फ बीएड कोर्सेज कराते हैं, वह बंद हो जाएंगे.'

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