पटनाः एनआरसी और सीएए कानून को लेकर विभिन्न संगठनों ने आज भारत बंद किया है. इसका असर बिहार में भी कई जगहों पर देखने को मिल रहा है. इसको लेकर पुलिस भी अलर्ट पर है. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सड़क पर आगजनी की है. कई जिलों में गाड़ियां रोकी गई हैं, जिससे हाइवे पर जाम की स्थिति बनी हुई है. इस बंद के समर्थन में रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी भी सड़क पर उतरे हैं.
- बंद के समर्थन में उतरे रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा
- हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी किया विरोध
- पूर्णिया में बस स्टैंड इलाके में बंद के दौरान जबरदस्त हिंसा
- बंद समर्थकों की दुकानदारों और आम लोगों के साथ मारपीट
- कई गाड़ियां हुईं पूरी तरह क्षतिग्रस्त
- घटना में कई लोग हुए घायल
- सासाराम के पोस्ट ऑफिस चौराहे पर सीएए का विरोध
- यातायात पूरी तरह से ठप
- भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात
- हजारों की संख्या में सड़क पर उतरे बंद समर्थक
- विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्ताओं का डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन
- सीएए कानून के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं बंद समर्थक
- बंद का इमारते शरिया ने भी किया समर्थन
- भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद
- जन अधिकार पार्टी के संरक्षक पप्पू यादव भी भारत बंद के समर्थन में उतरे
- सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पटना के डाकबंगला चौराहा पहुंचे
- केंद्र सरकार के विरोध में जमकर नारे लगा रहे प्रदर्शनकारी
- किशनगंज में भी भारत बंद का असर
- विधायक कमरुल हुदा सैकड़ों समर्थकों के साथ सड़क पर उतरे
पुलिस को सतर्कता बरतने की हिदायत
बहुजन क्रांति मोर्चा के आह्वान पर बुधवार को भारत बंद रहेगा. बंद को कई अन्य समान विचारधारा के संगठनों ने समर्थन दिया है. एनआरसी और सीएए कानून के खिलाफ ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. बिहार में भी बंद को लेकर सभी जिले की पुलिस को सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.
बिहार में भी हो रहा जोरदार प्रदर्शन
बता दें कि केंद्र सरकार के जरिए लाए गए सीएए और एनआरसी के खिलाफ यह बंद बुलाई गई है. सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में कई सामाजिक संगठन बंद में शामिल हैं. पटना के सब्जीबाग, फुलवारीशरीफ और सूबे के कई जिले बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा और पूर्णिया में भी महिलाएं और बच्चे सड़क पर उतरकर विरोध कर रहे हैं, जिसके मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिले को खास सावधानी बरतने का निर्देश दिया है.
मुजफ्फरपुर में भी प्रदर्शन शुरू
मुजफ्फरपुर में भी भारत बंद के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है. यहां वाम दलों के आह्वान पर बंद समर्थकों ने पूरी तरह सड़क को जाम कर रखा है और केंद्र सरकार से सीएए वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
मोतिहारी में बंद का है मिला जुला असर
मोतिहारी में भी भारत बंद का है मिला जुला असर देखा जा रहा है. सामान्य दिनों की अपेक्षा आज गाड़ियां कम चल रही हैं. जगह-जगह लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन भारत बंद को समर्थन देने वाले वाली राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता यहां नहीं देखे गए.
बेतिया में भी बंद का असर
भारत बंद को लेकर प्रदर्शनकारियों ने बेतिया सरिसवा मुख्यमार्ग को जाम कर दिया है. सड़क पर आगजनी की गई. जेडीयू के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष डा एनएन शाही जाम में फंस गए हैं. यहां वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं.
व्यापारियों ने भी दिया है अपना समर्थन
वहीं, दिल्ली के शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों ने बंद के दौरान 29 जनवरी को सड़कें जाम करने का फैसला लिया है. बंद को लेकर कई संगठनों के व्यापारियों ने भी अपना समर्थन दिया है. मुस्लिम समाज ने भी अपना पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है. सीएए और एनआरसी के विरोध में बहुजन क्रांति मोर्चा के भारत बंद का असर बिहार के भी कुछ क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. यहां भी लोग पिछले एक महीने से सीएए और एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं.
देश में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का दौर
दरअसल, लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बना ये कानून देश के लिए विवाद का मुद्दा बन गया. इसके विरोध में मुस्लिम समाज के साथ-साथ कई राजनीतिक संगठन भी सड़क पर आ गए. दिल्ली और यूपी से लेकर बंगाल, बिहार और झारखंड समेत पूरे देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन का दौर चला पड़ा. कई बार आगजनी हुई, सड़के जाम की गईं लोगों की जानें भी गईं. लेकिन कानून के विरोध में ये आंदोलन अब भी नहीं थमा. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश का अल्पसंख्यक तबका और विपक्ष इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं. कानून के विरोध में खड़े लोग इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.
कानून को लेकर क्यों आक्रोशित हैं लोग
बता दें कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि इस कानून के तहत पड़ोसी मुस्लिम देशों के उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, जिन्हें धर्म के आधार पर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. विपक्ष और विरोध करने वाले लोग इस बात को लेकर अड़े हैं कि भारतीय संविधान के तहत धर्म के अधार पर कानून नहीं चलेगा. यह देश के लिए खतरा है.