पटना: दुल्हिन बाजार प्रखंड अंतर्गत सरकारी महिपत नारायण सिंह सरकारी उदासीनता के कारण आज तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इस विद्यालय के पास जर्जर भवन के आलावा अपना कुछ भी नहीं है. ये विद्यालय आज तक बदहाली की मार झेल रहा है. लेकिन प्रशासन के तरफ से इसके उत्थान के लिए किसी प्रकार का कदम नहीं उठाया गया है.
बदहाली की मार झेल रहा विद्यालय
बता दें कि 1961 में सिहि गांव के जमींदार महिपत नारायण सिंह ने अपने भाई झलकी सिंह के नाम पर 2 एकड़ जमीन पर उच्च विद्यालय का निर्माण करवाया था ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. लेकिन आज के समय में यह विद्यालय बदहाली की मार झेल रहा है.
सरकार ने विद्यालय को किया अपने अधीन
यहां के निवासी राजीव कुमार ने बताया कि पहले कमिटी के माध्यम से विद्यालय का संचाल होता था. उस वक्त शिक्षा की गुणवत्ता काफी अच्छी थी. इस विद्यालय से पढ़ कर कई छात्रों ने गांव और विद्यालय का नाम रोशन किया है. लेकिन कुछ साल बीतने के बाद विद्यालय को सरकार ने अपने अधीन कर लिया. इसके बाद से विद्यालय की पहचान मिटने लगी.
4 शिक्षक और 2 आदेशपाल के भरोसे विद्यालय
वहीं, ग्रामीण चुनु सिंह ने बताया कि विद्यालय में मात्र चार शिक्षक और दो आदेशपाल हैं. इन्हीं शिक्षकों के बदौलत छात्रों के भविष्य को संवारा जाता है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में शिक्षक और छात्र दोनों नदारद रहते हैं.
विद्यालय में मात्र चार रूम
विद्यालय के सहायक शिक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि विद्यालय में मात्र चार रूम है. जिसमें से एक रूम में कार्यालय है और दूसरे रूम में स्मार्ट क्लास की पढ़ाई होती है. केवल दो क्लास रूम है जिसमें छात्रों को पढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में न पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही शौचालय और न ही को मूलभूत सुविधा.
12 शिक्षक की आवश्यकता
झलकी सिंह उच्च विद्यालय के सहायक शिक्षक रजवी हैदर ने बताया कि विद्यालय में 9वीं और 10वीं कक्षा में 300 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. वहीं विद्यालय में चार शिक्षक और दो आदेशपाल है. यहां पर 12 शिक्षक की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में सरकारी उदासीनता के कारण मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है.