पटना: आज वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे (World Physical Therapy Day) है. इस अवसर पर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) के फिजियोथेरेपी विभाग ने लोगों के बीच जागरुकता फैलाने की कोशिश की. फिजियोथेरेपी और कोविड (Covid-19) रोगियों के उपचार और बचाव में फिजियोथेरेपिस्ट के अहम योगदान के विषय में एक 'अवेयरनेस वॉक' (Awareness Walk) कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में आईजीआईएमएस के निदेशक ने भी हिस्सा लिया.
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इस 'अवेयरनेस वॉक' कार्यक्रम को संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ एनआर विश्वास, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ मनीष मंडल एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष प्रो. डॉ. नरेंद्र कुमार सिन्हा ने झंडा दिखाकर रवाना किया. इस 'अवेयरनेस वॉक' में पटना एवं आसपास के फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ, छात्र-छात्राओं एवं आमजनों की करीब 150 की संख्या में भागीदारी रही.
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फिजियोथेरेपी विभाग के अधीक्षक डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि पूरी दुनिया में कोविड महामारी के दौरान फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान को देखते हुए इस साल के विश्व फिजियोथेरेपी दिवस का थीम 'कोविड एवं रिहैबिलिटेशन' रखा गया है. वहीं, डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में ऐसे रोगियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो कोविड संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी इसके दूरगामी प्रभावों से जूझ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि कोविड से ठीक होने के बाद व्यक्ति को श्वसन तंत्र, मांशपेशियों और जोड़ों की बीमारी की शिकायत आ रही है. इन सभी समस्याओं को लेकर मरीज आईजीआईएमएस में इलाज के लिए आ रहे हैं. जहां उन्हें फिजियोथेरेपी से फायदा भी हो रहा है. निदेशक डॉ. विश्वास ने बताया कि फिजियोथेरेपी विभाग को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है. जिससे मरीजों का और भी बेहतर तरीके से इलाज किया जा सके.
वरीय फिजियोथेरेपिस्ट एवं योग इंचार्ज डॉ. रत्नेश चौधरी और डॉ. अविनाश भारती समेत अन्य कई लोगों ने कोविड और इससे होने वाली परेशानियों में फिजियोथेरेपी की जरुरत और महत्त्व के बारे में जानकारी दी. भौतिक चिकित्सा स्नातक के छात्रों द्वारा एक पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. जिसमें कोविड से बचाव के उपाय समेत विभिन्न फिजियोथेरेपी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ फियोथेरापिस्ट्स की बिहार शाखा के अध्यक्ष ने इस अवसर पर बताया कि केंद्रीय स्तर पर भौतिक चिकित्सा परिषद का गठन हो चुका है. बिहार राज्य में भी इसी तर्ज पर परिषद का गठन होने से फिजियोथेरेपी चिकित्सा, शिक्षा और शोध के स्तर में और भी सुधार आएगी.