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Bihar Politics: सवर्ण-दलित गठजोड़ से NDA के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश - लालू यादव

बिहार की राजनीति में अब सवर्ण-दलित गठजोड़ बनाने की कवायद शुरू हो रही है. इसके लिए बिहार के कई दिग्गज नेता कोशिश में जुट गये हैं. एलजेपी के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बहाने सवर्ण-दलित गठजोड़ को अमली जामा पहनाने की कोशिश शुरू हो गयी है. इसमें कई नेता आगे आये हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Jul 11, 2021, 7:27 AM IST

Updated : Jul 11, 2021, 7:54 AM IST

पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics) जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है. कभी बिहार में एमवाई समीकरण (MY Equation) का बोलबाला था. उसके बाद कभी लव-कुश समीकरण ने बिहार की राजनीति की दिशा और दशा बदल दी थी. बदली हुई परिस्थितियों में अब हाशिए पर गए सवर्ण-दलित गठजोड़ की कवायद शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें: बोले शाहनवाज हुसैन- 'भागलपुर मेरा घर है, यहां नहीं होगी दिया तले अंधेरा जैसी स्थिति'

मंडल कमीशन के बाद से देश में राजनीति की धारा बदल गई. कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई और क्षेत्रीय दलों ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली. बिहार में कई क्षेत्रीय दल सक्रिय हुए और पिछले 30 वर्षों से सत्ता पर काबिज हैं. 15 साल जहां लालू यादव (Lalu Yadav) सत्ता में बने रहे वहीं उसके बाद का 15 साल नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नाम रहा. तीन दशक से राज्य में पिछड़ी राजनीति का बोलबाला है. राजनीतिक संघर्ष के दौरान सवर्ण राजनीति कमजोर होती चली गई और इस समाज के कई नेता हाशिए पर आ गए.

देखें रिपोर्ट

बिहार में सवर्ण राजनीति को धार देने के लिए कई नेता एक फोरम पर आए हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजतन सिन्हा (Ramjatan Sinha), जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार (Arun Kumar), वीणा शाही (Veena Shahi), रजनीश कुमार सिंह (Rajnish Kumar Singh) सरीखे नेता एक मंच पर आए हैं. अब चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बहाने दलित-सवर्ण गठजोड़ बनाने की तैयारी जारी है.

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजतन सिन्हा ने कहा है कि हमने एक राजनीतिक मोर्चा बनाया है. इसका नाम भूमिहार ब्राह्मण राजनीतिक सामाजिक फ्रंट है. इसी बैनर के तहत हम नेताओं को एकजुट कर रहे हैं. 4 जुलाई को एक बैठक हुई थी जिसमें संगठन के विस्तार का फैसला लिया गया. भविष्य में हम सवर्ण दलित गठजोड़ पर भी विचार कर सकते हैं.

भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि ऐसे प्रयास कई बार हुए हैं लेकिन बिहार की राजनीति में उन्हें तवज्जो नहीं मिली. इस बार फिर उन्हें निराश ही होना पड़ेगा.

राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार (Dr. Sanjay Kumar) का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में सवर्ण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान के बहाने गठजोड़ बनाने की कवायद चल रही है. आने वाले दिनों में अगर नेता एकजुट होकर प्रयास करते हैं तो बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकती है.

पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics) जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है. कभी बिहार में एमवाई समीकरण (MY Equation) का बोलबाला था. उसके बाद कभी लव-कुश समीकरण ने बिहार की राजनीति की दिशा और दशा बदल दी थी. बदली हुई परिस्थितियों में अब हाशिए पर गए सवर्ण-दलित गठजोड़ की कवायद शुरू हो गई है.

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मंडल कमीशन के बाद से देश में राजनीति की धारा बदल गई. कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई और क्षेत्रीय दलों ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली. बिहार में कई क्षेत्रीय दल सक्रिय हुए और पिछले 30 वर्षों से सत्ता पर काबिज हैं. 15 साल जहां लालू यादव (Lalu Yadav) सत्ता में बने रहे वहीं उसके बाद का 15 साल नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नाम रहा. तीन दशक से राज्य में पिछड़ी राजनीति का बोलबाला है. राजनीतिक संघर्ष के दौरान सवर्ण राजनीति कमजोर होती चली गई और इस समाज के कई नेता हाशिए पर आ गए.

देखें रिपोर्ट

बिहार में सवर्ण राजनीति को धार देने के लिए कई नेता एक फोरम पर आए हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजतन सिन्हा (Ramjatan Sinha), जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार (Arun Kumar), वीणा शाही (Veena Shahi), रजनीश कुमार सिंह (Rajnish Kumar Singh) सरीखे नेता एक मंच पर आए हैं. अब चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बहाने दलित-सवर्ण गठजोड़ बनाने की तैयारी जारी है.

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजतन सिन्हा ने कहा है कि हमने एक राजनीतिक मोर्चा बनाया है. इसका नाम भूमिहार ब्राह्मण राजनीतिक सामाजिक फ्रंट है. इसी बैनर के तहत हम नेताओं को एकजुट कर रहे हैं. 4 जुलाई को एक बैठक हुई थी जिसमें संगठन के विस्तार का फैसला लिया गया. भविष्य में हम सवर्ण दलित गठजोड़ पर भी विचार कर सकते हैं.

भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि ऐसे प्रयास कई बार हुए हैं लेकिन बिहार की राजनीति में उन्हें तवज्जो नहीं मिली. इस बार फिर उन्हें निराश ही होना पड़ेगा.

राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार (Dr. Sanjay Kumar) का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में सवर्ण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान के बहाने गठजोड़ बनाने की कवायद चल रही है. आने वाले दिनों में अगर नेता एकजुट होकर प्रयास करते हैं तो बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकती है.

Last Updated : Jul 11, 2021, 7:54 AM IST
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