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'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला प्रशासनिक चूक, जांच के बाद होनी चाहिए कार्रवाई'

रविवार को पटना के बख्तियारपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला (Attack on CM Nitish Kumar) हुआ है. जिस वक्त वो स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्रायाजी की प्रतिमा का माल्यार्पण कर रहे थे, उसी दौरान एक युवक मंच पर चढ़ा और सीएम के कंधे के दाहिने तरफ वार किया. इस घटना की जहां राजनीतिक दलों ने निंदा की है, वहीं रक्षा विशेषज्ञों ने इसे आंतरिक विषय की सुरक्षा में सेंध बताया है, क्योंकि एसएसजी को इसकी भनक तक नहीं लगी. सीएम की सुरक्षा में 600 पुलिसकर्मी तैनात (600 Policemen Deployed in CM Security) रहते हैं, इसके बावजूद युवक को सीएम तक पहुंच जाना प्रशासनिक चूक मानी जा रही है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमला प्रशासनिक चूक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमला प्रशासनिक चूक
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Published : Mar 28, 2022, 3:46 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर बख्तियारपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक 32 साल के युवक ने हमला कर दिया. हालांकि इस घटना को सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है. रक्षा विशेषज्ञ ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बिहार के खुफिया तंत्र और विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) को इस बात की तनिक भी सूचना नहीं थी कि सीएम पर इस तरह की घटना घटित हो सकती है. यह सुरक्षा में बड़ी चूक है. वहीं, एलजेपी (आर) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि जब सीएम सुरक्षित नहीं हैं तो फिर सोचिए आम जन की क्या हालत होगी.

ये भी पढ़ें- भारी सुरक्षा के बावजूद नीतीश कुमार पर हमला, जानिए कौन है हमलावर?

सीएम पर हमला प्रशासनिक चूक: दरअसल, मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेवारी स्टेट एसएसजी की होती है और यह सबसे सशक्त सुरक्षा व्यवस्था मानी जाती है. इसका गठन केंद्र की अति विशेष सुरक्षा एजेंसी एसपीजी यानी कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की तर्ज पर किया गया है. एसपीजी की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति पीएम समेत कुछ बेहद महत्वपूर्ण लोगों की होती है राज में गठित एसएसजी की सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर ऑडिट विशेष शाखा के स्तर से की जाती है. इसके बावजूद भी सुरक्षा घेरे को पार कर सीएम के एकदम नजदीक पहुंचना और इतनी बड़ी घटना को अंजाम देना कहीं ना कहीं सुरक्षा में चूक मानी जा रही है. हालांकि पुलिस मुख्यालय फिलहाल इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर सघन जांच कर रहा है. माना जा रहा है कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर भी कार्रवाई भी की जाएगी.

3 लेयर सुरक्षा के बाद भी हमला: रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री पर इस तरह का हमला कहीं ना कहीं देश के आंतरिक विषय की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि 3 लेयर में सुरक्षा होने के बावजूद मुख्यमंत्री पर हमला होना बड़ी बात है. सीएम की सुरक्षा में 600 पुलिसकर्मी तैनात (600 Policemen Deployed in CM Security) रहते हैं. जिस स्थान पर वह कार्यक्रम में जाते हैं, उनसे पहले वहां पर एसएसजी और स्पेशल ब्रांच पहुंचकर उस स्थान को अपने घेरे में ले लेता है. इसके बावजूद इस घटना की जानकारी उसे कैसे नहीं हो पाई.

लापरवाही के लिए कार्रवाई हो: रक्षा विशेषज्ञ की मानें तो उन्हें यह पता चला है कि जिस लड़के ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया है, उसका कोई ना कोई परिवार का सदस्य मौजूदा वक्त में शराबबंदी मामले में जेल में बंद है. जिस वजह से उसने डिप्रेशन में आकर इस तरह की घटना को अंजाम दिया है. यही नहीं उन्होंने कहा कि देश की खुफिया तंत्र आईबी ने भी कई बार बिहार के भागलपुर और बांका को लेकर अलर्ट किया था. उसके बावजूद भी कई तरह की घटनाएं घटित हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है लेकिन इस मामले में पुलिस मुख्यालय को कहीं ना कहीं दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि जिस क्षेत्र में मुख्यमंत्री का दौरा था, उस क्षेत्र में ग्रामीण एसपी का होना अति आवश्यक था.

सीएम की सुरक्षा में 600 पुलिसकर्मी: आपको बता दें कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगाए गए जवानों को 40% अधिक वेतन ज्यादा दिया जाता है, ताकि वह सुरक्षा भी किसी तरह की सेंधमारी की कोशिश को नाकाम कर सकें. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगभग 600 पुलिसकर्मी रहते हैं. इनमें से 100 एसएसजी यानी कि स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप के होते हैं, इसकी अलग से ट्रेनिंग होती है और यह स्पेशल ब्रांच में आता है. इसमें युवाओं को ही रखा जाता है. वर्तमान में एसएसजी के डीजी बच्चू सिंह मीणा हैं और उसके एसपी हरिमोहन शुक्ला के अलावा तीन एडिशनल एसपी और एक डीएसपी एसएसजी में तैनात हैं. इसके अलावे नीतीश कुमार के हाउस गार्ड में बिहार विशेष अतिथि पुलिस की कंपनी जिला बल की भी तैनाती रहती है.

कार्यक्रम में डीएम-एसपी की मौजूदगी: मुख्यमंत्री जब भी अपने आवास से किसी भी कार्यक्रम के लिए निकलते हैं तो उनकी सिक्योरिटी में करीब 40 से 50 पुलिसकर्मी होते हैं, जो उनकी सुरक्षा 3 लेयर में रखते हैं. इसमें बीएमपी, अस्थाई पुलिस के अलावा एयरटेल एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग ग्रुप के साथ-साथ CPT क्लोज प्रॉक्सिमिटी ग्रुप टीम भी होती है. CPT वही है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आसपास दिखती है और इस की बड़ी जवाबदेही होती है. इसके अलावा मुख्यमंत्री जब भी सभा या कार्यक्रम में जाते हैं, वहां के स्थानीय पुलिस के साथ-साथ स्थानीय डीएम और एसपी भी मौजूद रहते हैं.


सीएम पर हमला गंभीर मसला: वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले को लेकर एलजेपी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रशासनिक चूक है. उन्होंने कहा कि इससे यह भी समझा जा सकता है कि बिहार में प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है. जब बिहार के मुख्यमंत्री सुरक्षित नहीं है तो आम जनता के सुरक्षित होने का सवाल ही नहीं पैदा होता है. उन्होंने कहा कि बिहार में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा और रोजगार बड़ा मुद्दा है. जिस वजह से युवाओं में कहीं ना कहीं आक्रोश देखने को मिल रहा है. जिसका असर है कि मुख्यमंत्री पर भी हमले हो रहे हैं.

पहले भी सीएम पर हुए हमले: इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सीएम के आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. आवास के बाहर एएसपी और ट्रैफिक एसपी उनकी सुरक्षा का जायजा भी ले रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार पर यह कोई पहला हमला नहीं है. इससे पहले भी कई दफे उन पर हमले हो चुके हैं. जब 2016 में जनता दरबार में वह फरियाद सुन रहे थे, उस वक्त भी उन पर चप्पल फेंक कर हमला किया गया था. वहीं साल 2018 में पटना के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एक युवक ने सीएम को चप्पल फेंककर मारने की कोशिश की थी. साल 2018 के बक्सर में विकास यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने सीएम के काफिले पर पत्थर फेंके थे. 2020 में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में उनके ऊपर प्याज और कंकड़ फेंके गए थे.

ये भी पढ़ें: सीएम नीतीश पर हमले की राबड़ी देवी ने की निंदा, कहा- पब्लिक से हाथ जोड़ते हैं, ऐसा ना करें

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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर बख्तियारपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक 32 साल के युवक ने हमला कर दिया. हालांकि इस घटना को सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है. रक्षा विशेषज्ञ ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बिहार के खुफिया तंत्र और विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) को इस बात की तनिक भी सूचना नहीं थी कि सीएम पर इस तरह की घटना घटित हो सकती है. यह सुरक्षा में बड़ी चूक है. वहीं, एलजेपी (आर) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि जब सीएम सुरक्षित नहीं हैं तो फिर सोचिए आम जन की क्या हालत होगी.

ये भी पढ़ें- भारी सुरक्षा के बावजूद नीतीश कुमार पर हमला, जानिए कौन है हमलावर?

सीएम पर हमला प्रशासनिक चूक: दरअसल, मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेवारी स्टेट एसएसजी की होती है और यह सबसे सशक्त सुरक्षा व्यवस्था मानी जाती है. इसका गठन केंद्र की अति विशेष सुरक्षा एजेंसी एसपीजी यानी कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की तर्ज पर किया गया है. एसपीजी की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति पीएम समेत कुछ बेहद महत्वपूर्ण लोगों की होती है राज में गठित एसएसजी की सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर ऑडिट विशेष शाखा के स्तर से की जाती है. इसके बावजूद भी सुरक्षा घेरे को पार कर सीएम के एकदम नजदीक पहुंचना और इतनी बड़ी घटना को अंजाम देना कहीं ना कहीं सुरक्षा में चूक मानी जा रही है. हालांकि पुलिस मुख्यालय फिलहाल इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर सघन जांच कर रहा है. माना जा रहा है कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर भी कार्रवाई भी की जाएगी.

3 लेयर सुरक्षा के बाद भी हमला: रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री पर इस तरह का हमला कहीं ना कहीं देश के आंतरिक विषय की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि 3 लेयर में सुरक्षा होने के बावजूद मुख्यमंत्री पर हमला होना बड़ी बात है. सीएम की सुरक्षा में 600 पुलिसकर्मी तैनात (600 Policemen Deployed in CM Security) रहते हैं. जिस स्थान पर वह कार्यक्रम में जाते हैं, उनसे पहले वहां पर एसएसजी और स्पेशल ब्रांच पहुंचकर उस स्थान को अपने घेरे में ले लेता है. इसके बावजूद इस घटना की जानकारी उसे कैसे नहीं हो पाई.

लापरवाही के लिए कार्रवाई हो: रक्षा विशेषज्ञ की मानें तो उन्हें यह पता चला है कि जिस लड़के ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया है, उसका कोई ना कोई परिवार का सदस्य मौजूदा वक्त में शराबबंदी मामले में जेल में बंद है. जिस वजह से उसने डिप्रेशन में आकर इस तरह की घटना को अंजाम दिया है. यही नहीं उन्होंने कहा कि देश की खुफिया तंत्र आईबी ने भी कई बार बिहार के भागलपुर और बांका को लेकर अलर्ट किया था. उसके बावजूद भी कई तरह की घटनाएं घटित हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है लेकिन इस मामले में पुलिस मुख्यालय को कहीं ना कहीं दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि जिस क्षेत्र में मुख्यमंत्री का दौरा था, उस क्षेत्र में ग्रामीण एसपी का होना अति आवश्यक था.

सीएम की सुरक्षा में 600 पुलिसकर्मी: आपको बता दें कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगाए गए जवानों को 40% अधिक वेतन ज्यादा दिया जाता है, ताकि वह सुरक्षा भी किसी तरह की सेंधमारी की कोशिश को नाकाम कर सकें. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगभग 600 पुलिसकर्मी रहते हैं. इनमें से 100 एसएसजी यानी कि स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप के होते हैं, इसकी अलग से ट्रेनिंग होती है और यह स्पेशल ब्रांच में आता है. इसमें युवाओं को ही रखा जाता है. वर्तमान में एसएसजी के डीजी बच्चू सिंह मीणा हैं और उसके एसपी हरिमोहन शुक्ला के अलावा तीन एडिशनल एसपी और एक डीएसपी एसएसजी में तैनात हैं. इसके अलावे नीतीश कुमार के हाउस गार्ड में बिहार विशेष अतिथि पुलिस की कंपनी जिला बल की भी तैनाती रहती है.

कार्यक्रम में डीएम-एसपी की मौजूदगी: मुख्यमंत्री जब भी अपने आवास से किसी भी कार्यक्रम के लिए निकलते हैं तो उनकी सिक्योरिटी में करीब 40 से 50 पुलिसकर्मी होते हैं, जो उनकी सुरक्षा 3 लेयर में रखते हैं. इसमें बीएमपी, अस्थाई पुलिस के अलावा एयरटेल एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग ग्रुप के साथ-साथ CPT क्लोज प्रॉक्सिमिटी ग्रुप टीम भी होती है. CPT वही है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आसपास दिखती है और इस की बड़ी जवाबदेही होती है. इसके अलावा मुख्यमंत्री जब भी सभा या कार्यक्रम में जाते हैं, वहां के स्थानीय पुलिस के साथ-साथ स्थानीय डीएम और एसपी भी मौजूद रहते हैं.


सीएम पर हमला गंभीर मसला: वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले को लेकर एलजेपी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रशासनिक चूक है. उन्होंने कहा कि इससे यह भी समझा जा सकता है कि बिहार में प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है. जब बिहार के मुख्यमंत्री सुरक्षित नहीं है तो आम जनता के सुरक्षित होने का सवाल ही नहीं पैदा होता है. उन्होंने कहा कि बिहार में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा और रोजगार बड़ा मुद्दा है. जिस वजह से युवाओं में कहीं ना कहीं आक्रोश देखने को मिल रहा है. जिसका असर है कि मुख्यमंत्री पर भी हमले हो रहे हैं.

पहले भी सीएम पर हुए हमले: इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सीएम के आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. आवास के बाहर एएसपी और ट्रैफिक एसपी उनकी सुरक्षा का जायजा भी ले रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार पर यह कोई पहला हमला नहीं है. इससे पहले भी कई दफे उन पर हमले हो चुके हैं. जब 2016 में जनता दरबार में वह फरियाद सुन रहे थे, उस वक्त भी उन पर चप्पल फेंक कर हमला किया गया था. वहीं साल 2018 में पटना के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एक युवक ने सीएम को चप्पल फेंककर मारने की कोशिश की थी. साल 2018 के बक्सर में विकास यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने सीएम के काफिले पर पत्थर फेंके थे. 2020 में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में उनके ऊपर प्याज और कंकड़ फेंके गए थे.

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