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Post Covid-19 Syndrome: नए फंगस से नई मुसीबत, फेफड़ा कर देता है बेकार

कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में अब एस्परगिलस फंगस के इन्फेक्शन के मामले सामने आ रहे हैं. पटना में ऐसे आठ मरीज मिले हैं. एस्परगिलस फंगस वाइट फंगस से अधिक खतरनाक है. समय पर इलाज न मिले तो अचानक से मरीज का सांस लेना बंद हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है.

aspergillus fungus
एस्परगिलस फंगस
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Published : Jun 11, 2021, 7:54 PM IST

पटना: अब बिहार में पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम (Post Covid-19 Syndrome) के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. ब्लैक फंगस (Black Fungus) और वाइट फंगस (White Fungus) के बाद अब एक नया फंगस एस्परगिलस (Aspergillus Fungus) सामने आया है. पटना के कंकड़बाग स्थित एक निजी अस्पताल में इस बीमारी के 8 मरीज मिले हैं. सभी हाल ही में कोरोना से ठीक हुए थे.

यह भी पढ़ें- Black Fungus Alert! पटना में लाइपोसोम एंफोटरइसिन बी का स्टॉक हुआ ड्राई, गहराया संकट

एस्परगिलस फंगस (Aspergillus Fungus) के बारे में जानकारी देते हुए पीएमसीएच (PMCH) के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा, "एस्परगिलस फंगस को सामान्य भाषा में येलो फंगस और ग्रीन फंगस कहते हैं. कभी-कभी यह ब्राउन फंगस के रूप में भी पाया जाता है. सभी एस्परगिलस फंगस येलो फंगस नहीं होते. लगभग 40 फीसदी एस्परगिलस फंगस येलो फंगस होते हैं. कैंडिडा जिसे सामान्य भाषा में वाइट फंगस कहा जाता है, उसके बाद सबसे कॉमन फंगस एस्परगिलस है."

aspergillus fungus
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

फेफड़े में फैलता है संक्रमण
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा, "एस्परगिलस फंगस का असर चेस्ट में देखने को मिलता है. इसका संक्रमण फेफड़े में फैलता है. इस वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. कभी-कभी मरीज हाइपोक्सिया का शिकार हो जाता है. ऐसे में मरीज की मृत्यु हो जाती है. यह कोई नई बीमारी नहीं है. पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम के रूप में यह बीमारी सामने आ रही है. इसकी मुख्य वजह मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होना है."

स्टेरॉयड का है असर
सत्येंद्र नारायण ने कहा, "कोरोना संक्रमण होने पर मरीजों को कई बार लंबे समय तक स्टेरॉयड वाली दवाएं दी गईं. स्टेरॉयड इम्यून सिस्टम कमजोर कर देता है. इसके चलते कोरोना के मरीज अब फंगल बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. वाइट फंगस, येलो फंगस या ब्लैक फंगस, सभी ऑपर्चूनिस्टिक फंगल बीमारियां हैं. फंगस वातावरण में चारों तरफ हैं. जब मरीज की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है तो वे फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं."

Dr. Satyendra Narayan Singh
पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह.

"एस्परगिलस फंगस ,वाइट फंगस से अधिक खतरनाक है. समय पर इलाज न मिले तो अचानक से मरीज का सांस लेना बंद हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. यह फंगस फेफड़े को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है. इस बीमारी के प्रमुख लक्षण 2 सप्ताह से अधिक बुखार, भूख न लगना, खांसी और दम फूलना है. ऐसे लक्षण हैं तो तुरंत मरीज के चेस्ट का एचआरसीटी कराना चाहिए और रिपोर्ट लेकर डॉक्टर से मिलना चाहिए. इसका इलाज संभव है और दवा भी उपलब्ध है."- डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी, पीएमसीएच

यह भी पढे़ं- Court On Corona: नीतीश सरकार की बढ़ी मुसीबत, कोरोना से मौत के हलफनामे से पटना हाईकोर्ट असंतुष्ट

पटना: अब बिहार में पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम (Post Covid-19 Syndrome) के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. ब्लैक फंगस (Black Fungus) और वाइट फंगस (White Fungus) के बाद अब एक नया फंगस एस्परगिलस (Aspergillus Fungus) सामने आया है. पटना के कंकड़बाग स्थित एक निजी अस्पताल में इस बीमारी के 8 मरीज मिले हैं. सभी हाल ही में कोरोना से ठीक हुए थे.

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एस्परगिलस फंगस (Aspergillus Fungus) के बारे में जानकारी देते हुए पीएमसीएच (PMCH) के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा, "एस्परगिलस फंगस को सामान्य भाषा में येलो फंगस और ग्रीन फंगस कहते हैं. कभी-कभी यह ब्राउन फंगस के रूप में भी पाया जाता है. सभी एस्परगिलस फंगस येलो फंगस नहीं होते. लगभग 40 फीसदी एस्परगिलस फंगस येलो फंगस होते हैं. कैंडिडा जिसे सामान्य भाषा में वाइट फंगस कहा जाता है, उसके बाद सबसे कॉमन फंगस एस्परगिलस है."

aspergillus fungus
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

फेफड़े में फैलता है संक्रमण
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा, "एस्परगिलस फंगस का असर चेस्ट में देखने को मिलता है. इसका संक्रमण फेफड़े में फैलता है. इस वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. कभी-कभी मरीज हाइपोक्सिया का शिकार हो जाता है. ऐसे में मरीज की मृत्यु हो जाती है. यह कोई नई बीमारी नहीं है. पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम के रूप में यह बीमारी सामने आ रही है. इसकी मुख्य वजह मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होना है."

स्टेरॉयड का है असर
सत्येंद्र नारायण ने कहा, "कोरोना संक्रमण होने पर मरीजों को कई बार लंबे समय तक स्टेरॉयड वाली दवाएं दी गईं. स्टेरॉयड इम्यून सिस्टम कमजोर कर देता है. इसके चलते कोरोना के मरीज अब फंगल बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. वाइट फंगस, येलो फंगस या ब्लैक फंगस, सभी ऑपर्चूनिस्टिक फंगल बीमारियां हैं. फंगस वातावरण में चारों तरफ हैं. जब मरीज की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है तो वे फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं."

Dr. Satyendra Narayan Singh
पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह.

"एस्परगिलस फंगस ,वाइट फंगस से अधिक खतरनाक है. समय पर इलाज न मिले तो अचानक से मरीज का सांस लेना बंद हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. यह फंगस फेफड़े को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है. इस बीमारी के प्रमुख लक्षण 2 सप्ताह से अधिक बुखार, भूख न लगना, खांसी और दम फूलना है. ऐसे लक्षण हैं तो तुरंत मरीज के चेस्ट का एचआरसीटी कराना चाहिए और रिपोर्ट लेकर डॉक्टर से मिलना चाहिए. इसका इलाज संभव है और दवा भी उपलब्ध है."- डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी, पीएमसीएच

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