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आर्यभट्ट की कर्मभूमि: बिहार की वो धरती, जिसका नाम तारों की गणना के आधार पर पड़ गया - Historic site of bihar

तारेगना उस इतिहास का गवाह है, जब छठी शताब्दी में महान खगोलविद आर्यभट्ट नालंदा ज्ञान विश्वविद्यालय शोध करने आये थे. उस दौरान आर्यभट्ट इस स्थान पर रुके थे.

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Published : Mar 23, 2019, 9:08 AM IST

पटना: राजधानी पटना से महज कुछ दूरी पर बसा तारेगना गांव अपने नाम के साथ एक महत्वपूर्ण इतिहास का गवाहहै. ऐसा इतिहास, जिसने गणित के सूत्रों और तारों की गणना की परिकल्पना की. हम बात कर रहे है आर्यभट्ट की कर्म भूमि की.

महान खगोलविद् और गणितज्ञ आर्यभट्ट जिन्होंने ना केवल शून्य का आविष्कार किया, बल्कि ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर कर दुनिया को चौंका दिया.उस महान आर्यभट्ट कि कर्मभूमि बिहार रही है. बिहार में वर्षो रह कर अपनी वेधशाला बनाई और तारों कीगणना किया करते थे. उनकी ये वेधशाला जिस स्थान पर थी उस गांव का नाम उनके काम के आधार पर रख दिया गया. माने तारों की गणना करने वाला गांव तारेगना.

aarya bhatta
तरेगना के ग्रामीण

अवशेष मौजूद
तारेगना उसइतिहास का गवाह है, जब छठी शताब्दी में महान खगोलविद आर्यभट्ट नालंदा ज्ञान विश्वविद्यालय शोध करने आये थे. उसी दौरान आर्यभट्ट इसस्थान पर रुके और अपने पच्चीस शिष्यों के साथ रह कर तारो के दूरी और ग्रहों कीचाल मापने का शोध करते थे. यही से उन्होंनेकई चौंकाने वाले रहस्यों को देश दुनिया के बारे में बताया.इस पूरी बात का जिक्रआज भी उनके लिखे आर्यभट्टीयम किताब और पटना गजेटियर में है.

कुसुमपुर से खिला शून्य
इतिहासकार बताते है कि कालांतर में पटना का पुराना नाम कुसुमपुर था. इसी से महज कुछ ही दुरी पर बसा गांव तारेगना में एक बडा सा टीला हुआ करता था. उसी टीले से आर्यभट्ट तारों कीगणना करते थे. बहरहाल, जब देश दुनिया के लोगों को इस बात कि जानकारी हुई, तब 22 जुलाई 2009 को दुनियाभर के तकरीबन डेढ सौ आंतरीक्ष वैज्ञानिकों नेइस स्थान पर आकर सूर्यग्रहण का नजारा देखा. यहांसे सूर्य ग्रहण का नजारा काफी देर तक और स्पष्ट दिखा. उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यहां आकर सूर्यग्रहण देखा.

क्या कहते है इतिहासकार

नासा के वैज्ञानिकों की मांग
बहरहाल, नासा के कई वैज्ञानिकों ने तारेगना आकर शोध किया और माना कि यहांकई शोध किये जा सकते हैं. यहीं नहीं पुरातत्व विभाग के लोगों ने भी तारेगना आकर जांच की. इस गांव की मिट्टी,और खुदाई के दौरान मिलीईंट जो गुप्तकाल कीथी. नासा के वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने कहा कि तारेगना में कई शोध किया जाना बाकी है. मैं सरकार से मिलकर तारेगना पर खुदाई करके इस पर शोध करूंगा.

पटना: राजधानी पटना से महज कुछ दूरी पर बसा तारेगना गांव अपने नाम के साथ एक महत्वपूर्ण इतिहास का गवाहहै. ऐसा इतिहास, जिसने गणित के सूत्रों और तारों की गणना की परिकल्पना की. हम बात कर रहे है आर्यभट्ट की कर्म भूमि की.

महान खगोलविद् और गणितज्ञ आर्यभट्ट जिन्होंने ना केवल शून्य का आविष्कार किया, बल्कि ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर कर दुनिया को चौंका दिया.उस महान आर्यभट्ट कि कर्मभूमि बिहार रही है. बिहार में वर्षो रह कर अपनी वेधशाला बनाई और तारों कीगणना किया करते थे. उनकी ये वेधशाला जिस स्थान पर थी उस गांव का नाम उनके काम के आधार पर रख दिया गया. माने तारों की गणना करने वाला गांव तारेगना.

aarya bhatta
तरेगना के ग्रामीण

अवशेष मौजूद
तारेगना उसइतिहास का गवाह है, जब छठी शताब्दी में महान खगोलविद आर्यभट्ट नालंदा ज्ञान विश्वविद्यालय शोध करने आये थे. उसी दौरान आर्यभट्ट इसस्थान पर रुके और अपने पच्चीस शिष्यों के साथ रह कर तारो के दूरी और ग्रहों कीचाल मापने का शोध करते थे. यही से उन्होंनेकई चौंकाने वाले रहस्यों को देश दुनिया के बारे में बताया.इस पूरी बात का जिक्रआज भी उनके लिखे आर्यभट्टीयम किताब और पटना गजेटियर में है.

कुसुमपुर से खिला शून्य
इतिहासकार बताते है कि कालांतर में पटना का पुराना नाम कुसुमपुर था. इसी से महज कुछ ही दुरी पर बसा गांव तारेगना में एक बडा सा टीला हुआ करता था. उसी टीले से आर्यभट्ट तारों कीगणना करते थे. बहरहाल, जब देश दुनिया के लोगों को इस बात कि जानकारी हुई, तब 22 जुलाई 2009 को दुनियाभर के तकरीबन डेढ सौ आंतरीक्ष वैज्ञानिकों नेइस स्थान पर आकर सूर्यग्रहण का नजारा देखा. यहांसे सूर्य ग्रहण का नजारा काफी देर तक और स्पष्ट दिखा. उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यहां आकर सूर्यग्रहण देखा.

क्या कहते है इतिहासकार

नासा के वैज्ञानिकों की मांग
बहरहाल, नासा के कई वैज्ञानिकों ने तारेगना आकर शोध किया और माना कि यहांकई शोध किये जा सकते हैं. यहीं नहीं पुरातत्व विभाग के लोगों ने भी तारेगना आकर जांच की. इस गांव की मिट्टी,और खुदाई के दौरान मिलीईंट जो गुप्तकाल कीथी. नासा के वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने कहा कि तारेगना में कई शोध किया जाना बाकी है. मैं सरकार से मिलकर तारेगना पर खुदाई करके इस पर शोध करूंगा.

Intro:महान खगोलविद् और गणितज्ञ आर्यभट्ट जिन्होंने ना केवल शून्य का आविष्कार किया बल्कि ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर कर दुनिया को चौका दिया, वो महान आर्यभट्ट कि कर्मभूमि बिहार रही है,बिहार में वर्षो रह कर अपनी वेधशाला बनाई और तारो कि गणना किया करते थे,और इसी तारो कि गणना से उस स्थान का नाम तारेगना पडा शशि तुलस्यान कि एक विशेष रिपोर्ट:--


Body:तारो कि गणना के नामाकरण से इस स्थान का नाम तारेगना रखा गया है,यह स्थान उस पुरे इतिहास का गवाह है जब छठी शताब्दी में महान खगोलविद आर्यभट्ट नालंदा ज्ञान विश्वविद्यालय शोध करने आये थे उसी दौरान आर्यभट्ट इसी स्थान पर रूके और अपने पच्चीस शिष्यों के साथ रह कर तारो के दुरी और ग्रहो कि चाल मापते थे,और कई चौकाने वाले रहस्यों से देश दुनिया को बताया, जिसका जिक्र आज भी उनके लिखे आर्यभट्टीयम किताब और पटना गजेटियर में है, इतिहासकार बताते है कि कालांतर में पटना का पुराना नाम कुसुमपुर था और उसी से महज कुछ ही दुरी पर बसा यह गांव तारेगना जहाँ एक बडा सा टिला हुआ करता था,उसी टीले से आर्यभट्ट तारो कि गणना करते थे,बहरहाल जब देश दुनिया के लोगों को इस बात कि जानकारी हुई तब 22 जुलाई 2009 को दुनियाभर के तकरीबन डेढ सौ आंतरीक्ष वैज्ञानिक इस स्थान पर आकर सूर्यग्रहण का नजारा देखा,जहाँ से सूर्य ग्रहण का नजारा काफी देर तक और स्पष्ट दिखा,उस वक्त मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने भी यहां आकर सूर्यग्रहण देखा,और वादा कि आर्यभट्ट के नाम पर सरकार इस गांव मे कुछ करेगी मगर अफसोस इस तारेगना मे तो कुछ नहीं हुआ लेकिन राजधानी में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय कि स्थापना कि


Conclusion:बहरहाल नासा के कई वैज्ञानिको ने तारेगना आ कर शोध किया और माना कि यहाँ कई शोध कि जरूरत है,यहीं नहीं पुरातत्व विभाग के लोगों ने भी तारेगना आकर जांच भी,इस गांव कि मिट्टी,और खुदाई के दौरान मिले ईट जो गुप्तकाल के थे और भांड बर्तन मिले थे जो सभी सामान पटना पुरातत्व विभाग में रखा गया है,नासा के वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने कहा कि तारेगना में कई शोध किया जाना बाकी है,मै सरकार से मिलकर तारेगना पर खुदाई करके इस पर शोध करूगा बाईट--सिद्धेश्वर नाथ पांडेय, इतिहासकार, एवं आर्यभट्ट पर शोध करने वाले बाईट-अमिताभ पांडे, वैज्ञानिक, नासा
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