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पटना में सीरो सर्विलांस के तहत हुए एंटीबॉडी टेस्ट, कई में पाया गया कोरोना का एंटीबॉडी - एंटीबॉडी परीक्षण

एंटीबॉडी टेस्ट के बारे में जानकारी देते हुए पटना के जिला सिविल सर्जन डॉ राजकिशोर चौधरी ने कहा कि टेस्ट में कई ऐसे लोगों में भी इम्यूनिटी डेवलप पाया गया जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था.

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Published : Aug 29, 2020, 5:09 PM IST

पटना: राज्य में कोरोना का संक्रमण किस हद तक फैला है इसका पता लगाने के लिए सरकार की तरफ से राजधानी पटना में सीरो सर्विलांस किया गया. इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अलग-अलग कम्युनिटी के रैंडम लोगों को पिक किया गया और उनका कोरोना को लेकर एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. एंटीबॉडी टेस्ट के बारे में जानकारी देते हुए पटना के जिला सिविल सर्जन डॉ राजकिशोर चौधरी ने कहा कि टेस्ट में कई ऐसे लोगों में भी इम्यूनिटी डेवलप पाया गया जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था.

देखें पूरी रिपोर्ट

सीरो सर्विलांस के तहत हुए एंटीबॉडी टेस्ट
सिविल सर्जन ने कहा कि 50% उन लोगों में कोरोना का एंटीबॉडी डेवलप मिला जिन्हें पहले से संक्रमण हो चुका था. वहीं जिन लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था, उनमें अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी डिवेलप मिला, इसका मतलब यह है कि ऐसे लोग कोरोना एसिंप्टोमेटिक रुप से शिकार हुए होंगे और उन्हें पता भी नहीं चला होगा, कि वह ठीक हो गए है. उन्होंने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि धीरे-धीरे पूरी जनता में कोरोना का एंटीबॉडी डिवेलप मिलेगा और इसी का नाम हर्ड इम्यूनिटी है.

क्या होता है एंटीबॉडी?
सिविल सर्जन ने बताया कि जब शरीर के अंदर एंटीजन जाता है तो वह किसी बीमारी का वायरस या बैक्टीरिया होता है. उसके जाने पर बॉडी रिएक्ट करता है. ओड़िया रिएक्ट करने के बाद जो कंपोनेंट बनाता हैं उसे ही एंटीबॉडी कहते है. सिविल सर्जन ने कहा कि अभी के समय में एंटीबॉडी से ज्यादा ध्यान कोरोना का पता लगाने पर है. जितने भी लैब टेक्नीशियन है उन्हें बीमारी की जानकारी लेने में ज्यादा समय लगाया गया है, ताकि यह पता चले कि हर तबके में बीमारी किस हद तक फैला है. कोरोना के जांच में अगर संक्रमण के और मामले नहीं बढ़ते हैं तो यह समझा जायेगा कि स्थिति ठीक हो रही है.

पटना: राज्य में कोरोना का संक्रमण किस हद तक फैला है इसका पता लगाने के लिए सरकार की तरफ से राजधानी पटना में सीरो सर्विलांस किया गया. इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अलग-अलग कम्युनिटी के रैंडम लोगों को पिक किया गया और उनका कोरोना को लेकर एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. एंटीबॉडी टेस्ट के बारे में जानकारी देते हुए पटना के जिला सिविल सर्जन डॉ राजकिशोर चौधरी ने कहा कि टेस्ट में कई ऐसे लोगों में भी इम्यूनिटी डेवलप पाया गया जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था.

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सीरो सर्विलांस के तहत हुए एंटीबॉडी टेस्ट
सिविल सर्जन ने कहा कि 50% उन लोगों में कोरोना का एंटीबॉडी डेवलप मिला जिन्हें पहले से संक्रमण हो चुका था. वहीं जिन लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था, उनमें अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी डिवेलप मिला, इसका मतलब यह है कि ऐसे लोग कोरोना एसिंप्टोमेटिक रुप से शिकार हुए होंगे और उन्हें पता भी नहीं चला होगा, कि वह ठीक हो गए है. उन्होंने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि धीरे-धीरे पूरी जनता में कोरोना का एंटीबॉडी डिवेलप मिलेगा और इसी का नाम हर्ड इम्यूनिटी है.

क्या होता है एंटीबॉडी?
सिविल सर्जन ने बताया कि जब शरीर के अंदर एंटीजन जाता है तो वह किसी बीमारी का वायरस या बैक्टीरिया होता है. उसके जाने पर बॉडी रिएक्ट करता है. ओड़िया रिएक्ट करने के बाद जो कंपोनेंट बनाता हैं उसे ही एंटीबॉडी कहते है. सिविल सर्जन ने कहा कि अभी के समय में एंटीबॉडी से ज्यादा ध्यान कोरोना का पता लगाने पर है. जितने भी लैब टेक्नीशियन है उन्हें बीमारी की जानकारी लेने में ज्यादा समय लगाया गया है, ताकि यह पता चले कि हर तबके में बीमारी किस हद तक फैला है. कोरोना के जांच में अगर संक्रमण के और मामले नहीं बढ़ते हैं तो यह समझा जायेगा कि स्थिति ठीक हो रही है.

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