पटना: सरकार लोगों को पर्यावरण को लेकर सजग कर रही है. लेकिन लोगों में जागरूक नहीं होने से इसका खामियाजा पशुओं को भुगतना पड़ रहा है. नगर निगम शहर से आवारा बीमार पशुओं को पकड़कर वेटरनरी कॉलेज में भर्ती कराता है. लेकिन प्लास्टिक खाने की वजह से कई पशुओं की मौत हो जाती है.
पटना नगर निगम 2 साल से शहर से लावारिस पशुओं को इलाज के लिए पकड़ रहा है. इन पशुओं को वेटरनरी कॉलेज के पास काजी हाउस में रखा जाता है. लेकिन बीमार पशुओं की यहां मौत हो जाती है. मवेशियों की मौत के कई वजह हैं. ऐसे पशु शहर के कचरे में से बहुत ज्यादा प्लास्टिक खाने से बीमार हो जाते हैं. इनमें से कुछ को बचाया जाता है, और कुछ की मौत हो जाती है.
यहां लाये जाते हैं लावारिस पशु
आश्रय स्थल के पर्यवेक्षक शंभू प्रसाद गुप्ता ने बताया कि नगर निगम के लोगों को ऐसे ही पशुओं को यहां पर लाकर देते हैं, जो कि जख्मी और बीमार होते हैं. कुछ पशुओं को ऑपरेशन कर बचाया जाता है. इसके अलावा जो पशु सही रहते हैं नगर निगम पशु मालिक पर फाइन करता है. पशु के मालिक जुर्माना की राशि जमा कर उसे यहां से ले जाते हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि यहां 2 साल में 15 सौ से ज्यादा पशु लाए गए. इनमें 500 से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई.
'प्लास्टिक खाने से हो रही मौत'
वहीं, पशु आश्रय स्थल के चिकित्सक डॉ सुबोध कुमार का कहना है कि यहां पर पशु बीमार हालत में भी आते हैं. उसका यहां इलाज किया जाता है. यहां सभी तरह की दवाईयां उपलब्ध रहती हैं. लेकिन अधिकांश वैसे पशु ही मरते हैं, जो पहले से ही बीमार हैं, और कचरा, प्लास्टिक खाए रहते हैं. उनको बचाना मुश्किल हो जाता है. साथ ही जलवायु परिवर्तन का भी असर राजधानी पटना में जानवरों पर देखा जा रहा है. इससे पशुओं के शरीर का तापमान अचानक कम और ज्यादा होने की शिकायत भी मिल रही है.