पटना: देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है तो वही बिहार भी कोरोना और बाढ़ से ग्रसित है. वही मनेर में पशुपालक रोजाना पशुओं की पुंछ के सहारे लगभग 45 मिनट तक गंगा नदी में मौत का सामना करते है. इस दौरान जान जोखिम में डालकर चारा की खोज में गंगा- सोन नदी को पार करते है. जिसमें 500 पशुपालक होते है. फिर शाम होते ही अपने-अपने पशुओं को लेकर घर लौटते है.
पशुपालकों की समस्या
बता दें कि मनेर के दीयरा क्षेत्र में इन दिनों बाढ़ की स्थिति भी काफी बढ़ी हुई है. गंगा और सोन नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण पशु के लिए चारा की समस्या अब उत्पन्न हो रही है. जिसको लेकर दियरा क्षेत्र के मवेशी पालक अपने मवेशियों के चारा के लिए प्रतिदिन पशुओं की पूंछ के सहारे लगभग 45 मिनट तक गंगा नदी में मौत का सामना करते हैं. चारा की खोज में मवेशियों के साथ गंगा औऱ सोन नदी को पार जाते हैं. इस दौरान बच्चे भी शामिल होते हैं और मवेशी के पूछ पकड़ कर गहरे पानी को चीरते हुए एक तरफ से दूसरी तरफ जाते हैं. हालांकि इस दौरान कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.
दूध व्यवसाय पर असर
वहीं, मनेर दियरा के दूध व्यवसाई अनिल कुमार सिंह का कहना है कि जब से देश में कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन लगाना शुरू हुआ. तब से अब तक दीयरा क्षेत्र के पशुपालक काफी प्रभावित हुए. जिससे उनका मुख्य व्यवसाय दूध था. जो अब कई दूध व्यवसाय बंद कर दिया है. हालांकि बिहार में संक्रमण के साथ-साथ बाढ़ की भी स्थिति बढ़ चुकी है. जिसको लेकर अब पशु के चारा की भी समस्या उत्पन्न हो रही है. चारा को लेकर पशुपालक और उनके बच्चे भी अपने जान की बाजी लगाकर लगभग 1 किलोमीटर गहरे सोन और गंगा नदी को पार करके दूसरे जिले में पशु को चारा के लिए चराने ले जाते हैं. इस दौरान कई लोगों की भी मौत हो चुकी है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से इस महामारी और बाढ़ को देखते हुए पशुओ को लेकर अभी तक कोई उचित व्यवस्था नहीं की.