पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन हत्या के मामले में फिलहाल सहरसा जेल में सजा काट रहे हैं. इस बीच जेलों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देख उनकी पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद, बेटा विधायक चेतन आनंद ने उनकी रिहाई की मांग उठाई है. इसी क्रम में उनके परिवारवालों के साथ-साथ समर्थकों ने सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ रखी है. शनिवार को कई घंटों तक ट्विटर पर रिलीज आनंद मोहन नंबर एक पर ट्रेंड करता रहा.
आनंद मोहन के बड़े बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद भी अपने पिता को जेल से जल्द से जल्द बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं. चेतन आनंद कहते हैं कि कोरोना को देखते हुए हर वक्त डर बना रहता है.
"मेरे पिता ने तो सजा भी पूरी कर ली है, बावजूद इसके उनके बाहर निकालने में क्या दिक्कत हो सकती है. नीतीश कुमार ने भी 2020 में भरोसा दिलाया था कि आनंद मोहन उनके मित्र हैं, उनकी चिंता वो भी करते हैं. बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ. कोरोना को देखते हुए अब तो कम से कम मेरे पिता आनंद मोहन को रिहा किया जाए":- चेतन आनंद, आनंद मोहन के बेटे
'कोरोना को देखते हुए जल्द से जल्द रिहा किया जाए'
वहीं, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने भी लोगों को धन्यवाद दिया है और उम्मीद जाहिर की है की बहुत जल्द आनंद मोहन जेल से बाहर होंगे. बता दें कि आनंद मोहन के परिवार ने बिहार सरकार से आग्रह किया है कि आनंद मोहन को कोरोना को देखते हुए जल्द से जल्द रिहा किया जाए.
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बिहार की राजनीति में हमेशा से ही बाहुबलियों का दबदबा रहा है. ऐसे ही एक बाहुबली JDU के पूर्व MP आनंद मोहन हैं. वे गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं. जिलाधिकारी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
- आनंद मोहन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अस्वीकार किया जा चुका है.
- राजनीति में उनकी एंट्री 1990 में हुई, तब पहली बार सहरसा से MLA बने थे.
- पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खिया बनीं थी.
- 1994 में उनकी वाइफ लवली आनंद ने भी वैशाली लोकसभा का उपचुनाव जीतकर राजनीति में एंट्री की थी.
- आनंद मोहन ने जेल से ही 1996 का लोकसभा चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की थी.
- 2 बार सांसद रहे आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी एक बार सांसद रह चुकी हैं.
लिख चुके हैं कई किताब
हत्या मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन कई किताब लिख चुके हैं. जिसमें 'पर्वत पुरुष दशरथ' काफी फेमस है. जेल में सजा काटने के दौरान आनंद ने दो पुस्तकें 'कैद में आजाद कलम' और 'स्वाधीन अभिव्यक्ति' लिखी, जो प्रकाशित हो चुकी हैं. 'कैद में आजाद कलम' को संसद के ग्रंथालय में भी जगह दी गई है.