ETV Bharat / state

Bihar Politics: आनंद मोहन की रिहाई पर BJP कन्फ्यूज, 'करे तो करे क्या-बोले तो बोले क्या'

2000 के दशक में आनंद मोहन ने बिहार की राजनीति को दिशा देने की कोशिश की थी. बिहार पीपुल्स पार्टी के जरिए आनंद मोहन ने पूरे बिहार में तीसरा कोन बनाया था. आनंद मोहन ने जातिगत वोट बैंक को उस दौरान हथियार के रूप में इस्तेमाल किया था. एक बार फिर आनंद मोहन बिहार की सियासत के धुरी बन गए हैं. मिल रहे संकेत के मुताबिक आनंद मोहन महागठबंधन की सियासत को धार देने वाले हैं, ऐसे में बीजेपी के लिए सांप छछूंदर वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है.

आनंद मोहन
आनंद मोहन
author img

By

Published : Apr 27, 2023, 10:15 PM IST

भाजपा पसोपेश में.

पटना: बिहार की सियासत बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन के इर्द-गिर्द घूम रही है. नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक में भाजपा को पसोपेश में डाल दिया है. भाजपा की प्रदेश इकाई आनंद मोहन को लेकर धर्म संकट की स्थिति में है. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार भाजपा कन्फ्यूज्ड दिखाई दे रही है. जितने नेता उतनी बात सामने आ रही है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने आनंद मोहन प्रकरण में भाजपा की सियासत को उलझा कर रख दिया है.

इसे भी पढ़ेंः Asaduddin Owaisi On Anand Mohan: 'क्या नीतीश कुमार चुनाव में बोलेंगे दलित अफसर के हत्यारे को छोड़ दिया?'

सुशील मोदी का यू-टर्नः जिस सुशील मोदी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आवाज बुलंद किया था उसी सुशील मोदी ने रिहाई के बाद सुर बदल लिया. कहा कि कानून में संशोधन कर रिहा करना ठीक नहीं है. सुशील मोदी ने सीधे यू-टर्न लिया बगैर इस बात की चिंता किए कि राजपूत वोट बैंक का नुकसान भाजपा को हो सकता है. एक तरफ सुशील मोदी आनंद मोहन की मुखालफत कर रहे थे तो दूसरी तरफ भाजपा के कई नेता आनंद मोहन के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं.

"आनंद मोहन को लालू प्रसाद यादव ने फंसाया था. FIR को फाड़ कर दूसरी प्राथमिकी दर्ज करायी थी. आनंद मोहन को लेकर सवाल लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से पूछा जाना चाहिए. नीतीश कुमार लोगों को फंसाते भी हैं और बचाते भी हैं"- सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

भाजपा नेताओं के सुर बदलेः बिहार विधानमंडल दल के नेता विजय सिन्हा बाहुबली आनंद मोहन को लेकर खुलकर नहीं बोल रहे हैं. आनंद मोहन के अलावा वह 26 अन्य अपराधियों के मामले को उठा रहे हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के लिए हालात से निपटना कठिन साबित हो रहा है. पार्टी के अंदर जितने नेता हैं उतनी तरह की बयानबाजी हो रही है. सम्राट चौधरी भी मीडिया से बच रहे हैं. सुशील मोदी के स्टैंड के बाद भाजपा नेताओं के सुर भी अलग-अलग हो गए हैं. सुशील मोदी ने पहले तो आनंद मोहन का समर्थन किया बाद में कहा कि कानून में संशोधन कर किसी को नहीं छोड़ना चाहिए.

इन नेताओं ने किया स्वागतः पूर्व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप ने आनंद मोहन का स्वागत करते नजर आए. कभी आनंद मोहन के सहयोगी रहे पूर्व मंत्री नीरज बबलू आनंद मोहन की रिहाई को लेकर प्रसन्नता जता रहे थे. भाजपा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी ने भी आनंद मोहन के पक्ष में आवाज बुलंद किया और कहा कि आनंद मोहन की रिहाई सही है. आनंद मोहन की रिहाई पहले हो जानी चाहिए थी. गिरिराज सिंह ने कहा कि आनंद मोहन को न्याय मिला. आनंद मोहन कोई अपराधी नहीं थे भीड़ तंत्र के एक्शन की वजह से आनंद मोहन को सजा मिली थी.

''आनंद मोहन प्रकरण को बिहार भाजपा ने उलझा दिया है. पार्टी के जितने नेता हैं उतने तरह के बयान आ रहे हैं. बिहार प्रदेश इकाई आनंद मोहन प्रकरण से निपटने में कामयाब साबित नहीं हुई है. पार्टी को एक तरफ दलित वोट बैंक की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ राजपूत वोट बैंक को लेकर भी पार्टी पसोपेश में हैं.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

भाजपा पसोपेश में.

पटना: बिहार की सियासत बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन के इर्द-गिर्द घूम रही है. नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक में भाजपा को पसोपेश में डाल दिया है. भाजपा की प्रदेश इकाई आनंद मोहन को लेकर धर्म संकट की स्थिति में है. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार भाजपा कन्फ्यूज्ड दिखाई दे रही है. जितने नेता उतनी बात सामने आ रही है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने आनंद मोहन प्रकरण में भाजपा की सियासत को उलझा कर रख दिया है.

इसे भी पढ़ेंः Asaduddin Owaisi On Anand Mohan: 'क्या नीतीश कुमार चुनाव में बोलेंगे दलित अफसर के हत्यारे को छोड़ दिया?'

सुशील मोदी का यू-टर्नः जिस सुशील मोदी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आवाज बुलंद किया था उसी सुशील मोदी ने रिहाई के बाद सुर बदल लिया. कहा कि कानून में संशोधन कर रिहा करना ठीक नहीं है. सुशील मोदी ने सीधे यू-टर्न लिया बगैर इस बात की चिंता किए कि राजपूत वोट बैंक का नुकसान भाजपा को हो सकता है. एक तरफ सुशील मोदी आनंद मोहन की मुखालफत कर रहे थे तो दूसरी तरफ भाजपा के कई नेता आनंद मोहन के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं.

"आनंद मोहन को लालू प्रसाद यादव ने फंसाया था. FIR को फाड़ कर दूसरी प्राथमिकी दर्ज करायी थी. आनंद मोहन को लेकर सवाल लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से पूछा जाना चाहिए. नीतीश कुमार लोगों को फंसाते भी हैं और बचाते भी हैं"- सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

भाजपा नेताओं के सुर बदलेः बिहार विधानमंडल दल के नेता विजय सिन्हा बाहुबली आनंद मोहन को लेकर खुलकर नहीं बोल रहे हैं. आनंद मोहन के अलावा वह 26 अन्य अपराधियों के मामले को उठा रहे हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के लिए हालात से निपटना कठिन साबित हो रहा है. पार्टी के अंदर जितने नेता हैं उतनी तरह की बयानबाजी हो रही है. सम्राट चौधरी भी मीडिया से बच रहे हैं. सुशील मोदी के स्टैंड के बाद भाजपा नेताओं के सुर भी अलग-अलग हो गए हैं. सुशील मोदी ने पहले तो आनंद मोहन का समर्थन किया बाद में कहा कि कानून में संशोधन कर किसी को नहीं छोड़ना चाहिए.

इन नेताओं ने किया स्वागतः पूर्व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप ने आनंद मोहन का स्वागत करते नजर आए. कभी आनंद मोहन के सहयोगी रहे पूर्व मंत्री नीरज बबलू आनंद मोहन की रिहाई को लेकर प्रसन्नता जता रहे थे. भाजपा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी ने भी आनंद मोहन के पक्ष में आवाज बुलंद किया और कहा कि आनंद मोहन की रिहाई सही है. आनंद मोहन की रिहाई पहले हो जानी चाहिए थी. गिरिराज सिंह ने कहा कि आनंद मोहन को न्याय मिला. आनंद मोहन कोई अपराधी नहीं थे भीड़ तंत्र के एक्शन की वजह से आनंद मोहन को सजा मिली थी.

''आनंद मोहन प्रकरण को बिहार भाजपा ने उलझा दिया है. पार्टी के जितने नेता हैं उतने तरह के बयान आ रहे हैं. बिहार प्रदेश इकाई आनंद मोहन प्रकरण से निपटने में कामयाब साबित नहीं हुई है. पार्टी को एक तरफ दलित वोट बैंक की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ राजपूत वोट बैंक को लेकर भी पार्टी पसोपेश में हैं.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.