पटना: महागठबंधन की सरकार बनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) पहली बार दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं. अमित शाह के दौरे के कारण अभी से ही बिहार में सियासी हलचलें बढ़ गई हैं. अमित शाह ने मिशन (Amit Shah Mission Bihar) की शुरुआत करने के लिए सीमांचल (Amit Shah Seemanchal Visit) को चुना है. इससे महागठबंधन बेचैन है. अभी से ही हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है.
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सीमांचल में रैली करेंगे अमित शाह: अमित शाह का दौरा सीमांचल क्षेत्र में होने वाला है. पहले पूर्णिया में 23 सितंबर को सभा करेंगे और फिर 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा करेंगे. जदयू ने सीमांचल को ही जनसभा के लिए चुनने पर अमित शाह की मंशा पर सवाल खड़ा किया है. इस मिशन के तहत बीजेपी अपने बड़े नेताओं से बिहार में बड़ी-बड़ी रैलियां करवाएगी और इसकी शुरुआत देश के गृह मंत्री अमित शाह करेंगे.
इससे पहले भोजपुर आए थे अमित शाह : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पहले से ही बिहार पर पूरा फोकस रहा है. इसी साल अमित शाह ने भोजपुर में एक कार्यक्रम में तिरंगा फहराने को लेकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था.बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति में बीजेपी की ओर से विजयोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पार्टी ने सबसे ज्यादा तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा था. तिरंगा फहराने के मामले में जगदीशपुर की धरती पर विश्व रिकॉर्ड बना और पाकिस्तान के पिछले रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया गया. भारत का नाम गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज हो गया.
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पटना में शाह ने की थी बैठक: उसके बाद अमित शाह बीजेपी के 7 मोर्चा की बैठक में भाग लेने पटना आए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संयुक्त मोर्चा के समापन बैठक (National Executive Meeting Of BJP United Front) में हिस्सा लेने पहुंचे थे. संयुक्त मोर्चा की बैठक में तो अमित शाह एक घंटे तक रहे लेकिन भाजपा दफ्तर में अमित शाह की मैराथन बैठक चली और लगभग 5 घंटे से ज्यादा अमित शाह प्रदेश कार्यालय में रहे और कई स्तरों पर नेताओं के साथ बैठक की. हालांकि दोनों दौरे में बिहार में एनडीए की सरकार थी लेकिन अब जब सीमांचल का दौरा करेंगे तब बिहार में महागठबंधन की सरकार है. इसलिए कभी सहयोगी रहे जदयू नेताओं के भी निशाने पर अमित शाह आ गए हैं.
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महागठबंधन के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश: सीमांचल में महागठबंधन को मजबूत माना जाता है और बीजेपी की स्थिति यहां अच्छी नहीं है. गृह मंत्री अमित शाह के जरिए बीजेपी, महागठबंधन के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में है. इसी उद्देश्य से सीमांचल में कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसको देखते हुए सीमांचल इलाके को बीजेपी ने अपना पहला केंद्र बनाया है. एक एमएलसी को छोड़ दें तो यहां से न तो बीजेपी का कोई विधायक है और न ही कोई सांसद है. किशनगंज जिले की 4 विधानसभा सीटों में 3 पर आरजेडी (दो AIMIM विधायक) और एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. जबकि 2019 लोकसभा चुनावों में मोदी की जबरदस्त लहर के बावजूद भी किशनगंज लोकसभा सीट कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद जावेद ने जीती थी. पूरे बिहार में महागठबंधन की एकमात्र जीती हुई लोकसभा सीट किशनगंज ही थी.
"सीमांचल में ही जनसभा करने के पीछे बीजेपी की मंशा साफ है. यहां मुस्लिम आबादी है. हिंदू-मुस्लिम कर तनाव पैदा करेंगे लेकिन अब किसी भी मंशा में सफलता उन्हें नहीं मिलने वाली है."- उपेंद्र कुशवाहा, जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष
"सभा कहीं भी कर लें बिहार में दाल गलने वाली नहीं है. बिहार की जनता ने इनका चाल चरित्र चेहरा पहचान लिया है. इस रैली का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
"अमित शाह जब भी बिहार आए हैं, बीजेपी को नुकसान ही हुआ है. इस बार आएंगे तो कहीं बीजेपी में ही कुछ बड़ा खेला ना हो जाए. महागठबंधन के लोग बेचैन नहीं है. देशभर में जो इनका हिंदू मुस्लिम का एजेंडा था वह बंद हो रहा है. "- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
"अमित शाह 23 सितंबर और 24 सितंबर को बिहार दौरे पर आ रहे हैं और उनके दौरे से महागठबंधन खेमे में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि उन्हें डरे हुए हैं. अमित शाह बड़े संगठनकर्ता हैं और महागठबंधन को लगता है कि उनके समर्थकों पर भी प्रभाव पड़ेगा. बीजेपी सबको साथ लेकर चलती है और विकास की राजनीति करती है."- विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी
कई मुद्दों पर बीजेपी-जदयू में टकराव: बिहार में पिछले दिनों पीएफआई को लेकर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी का आरोप है कि नीतीश पीएफआई पर हुई कार्रवाई के कारण एनडीए से अलग हुए हैं. वही सीमांचल के 500 से अधिक स्कूलों में फ्राइडे को छुट्टी दी जा रही है और उसको लेकर भी सरकार ने फैसला नहीं लिया है. पहले से जनसंख्या नियंत्रण कानून और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दे बीजेपी की तरफ से उठाए जाते रहे हैं और निशाना बीजेपी के लिए हमेशा से सीमांचल ही रहा है. ऐसे में अमित शाह का दौरा बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा रहा है.
2024 लोकसभा चुनाव में अभी समय है. एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पटना दौरे पर आने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात होगी. नीतीश कुमार भी सितंबर में दिल्ली जाने वाले हैं. वहीं दूसरी तरफ बिहार पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है और इसकी शुरुआत 23 और 24 सितंबर को पूर्णिया किशनगंज में होने वाली रैली से करने जा रहे हैं.