पटना: महागठबंधन में जदयू और आरजेडी के बीच सबकुछ सामान्य (rhetoric of RJD and JDU leaders) नहीं है. आरजेडी के कई नेताओं ने नीतीश कुमार की समाधान यात्रा पर सवाल खड़ा किये हैं. पहले सुधाकर सिंह फिर विजय मंडल, शिवानंद तिवारी और जगदानंद सिंह जिस प्रकार से बयान दे रहे हैं उससे जदयू असहज हो रहा है. अब रामचरित्र मानस पर शिक्षा मंत्री का जिस प्रकार से बयान (Ramcharit Manas Row ) आया और नीतीश कुमार के कहने के बाद भी शिक्षा मंत्री अपने बयान पर अड़े हैं, इससे महागठबंधन की राह मुश्किल होती जा रही है.
'2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है, उससे पहले 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है. लेकिन महागठबंधन में जिस प्रकार से खींचतान है, तेजस्वी यादव को आगे आकर बोलना होगा. केवल यह कहने से कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के संज्ञान में दे दिए हैं काम नहीं चलने वाला है. यदि समय रहते एक्शन नहीं हुआ तो महागठबंधन में बड़ा डेंट दिखेगा'-रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
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राजनीतिक हलचल बढ़ीः राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि महागठबंधन की सरकार शुभ मुहूर्त में नहीं बनी थी. सबसे पहले कार्तिक का विकेट गिरा फिर उसके बाद सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को लेकर भी चर्चा हो रही है. रामचरितमानस को लेकर जो बयान शिक्षा मंत्री ने दिया है उससे बिहार ही नहीं पूरे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है. जदयू की तरफ से मंत्री अशोक चौधरी, मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी मोर्चा खोल दिया है.
महागठबंधन में बड़ा डेंट दिखेगाः रवि उपाध्याय का कहना है कि प्रवक्ता के बयान को पार्टी का अधिकारिक बयान माना जाता है. उपेंद्र कुशवाहा तो शुरू से मोर्चा खोल रखे हैं. अब इस कड़ी में नया नाम परबत्ता के विधायक डॉ संजीव का भी शामिल हो गया है. रवि उपाध्याय का कहना है कि 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है, उससे पहले 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है. लेकिन महागठबंधन में जिस प्रकार से खींचतान है, तेजस्वी यादव को आगे आकर बोलना होगा. केवल यह कहने से कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के संज्ञान में दे दिए हैं काम नहीं चलने वाला है. यदि समय रहते एक्शन नहीं हुआ तो महागठबंधन में बड़ा डेंट दिखेगा.
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अवसरवादी गठबंधन हैः बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि हम लोग तो शुरू से कहते रहे हैं कि यह अवसरवादी गठबंधन है. बहुत दिनों तक टिकेगा नहीं. सत्ता के लिए किया गया गठबंधन है. विचारों में भिन्नता है और अब तो आरजेडी और जदयू के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई शुरू हो गई है. जहां नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव तक मोहलत मांग रहे हैं लेकिन आरजेडी 2023 में ही तेजस्वी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी चाहता है. बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बयान भी दिया था तेजस्वी यादव 2023 में मुख्यमंत्री बन जाएंगे.लेकिन, नीतीश कुमार को पता है मुख्यमंत्री रहते तो विपक्षी एकता को कोई तरजीह नहीं दे रहा है पूर्व मुख्यमंत्री होने पर कौन पूछेगा.
आरजेडी ने करवाई क्यों नहीं कीः संजय टाइगर ने कहा कि आरजेडी की तरफ से नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के लिए अपने नेताओं से बयान दिलवाया जा रहा है. यदि ऐसा नहीं होता तो सुधाकर सिंह हो या कोई और उन पर आरजेडी ने करवाई क्यों नहीं की. यह साफ है कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के इशारे पर ही आरजेडी के नेता बयानबाजी कर रहे हैं. जहां तक उपेंद्र कुशवाहा का सवाल है तो दूर-दूर तक उनका सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाए, उप मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा थी वह भी पूरी होती नहीं दिख रही है तो व्याकुल हैं. छटपटाहट में नेतृत्व पर बयान दे रहे हैं.
अंदरखाने क्या चल रहा है: आरजेडी के मंत्री और विधायकों के बयान से मामला काफी आगे बढ़ चुका है, तो दूसरी तरफ जदयू के नेताओं ने भी जिस प्रकार से मोर्चा खोल दिया है साफ है कहीं ना कहीं अंदरखाने कुछ और चल रहा है. अभी लालू प्रसाद यादव किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सिंगापुर में ही हैं. मार्च तक इंडिया लौट सकते हैं ऐसे में तेजस्वी यादव आगे क्या रुख अपनाते हैं यह देखने वाली बात होगी. सबकुछ तेजस्वी यादव के फैसले पर निर्भर करेगा. उपेंद्र कुशवाहा ने भी खरमास तक इंतजार करने की बात कही थी.