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चुनावी नतीजे मनमाफिक नहीं हुए तो क्या बिखर जाएगा महागठबंधन?

लोकसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के अनुमान के उलट हुए तो क्या महागठबंधन के दलों की एकता बरकरार रह पाएगी.

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Published : May 22, 2019, 8:56 PM IST

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पटना: गुरुवार को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने हैं. नतीजों में क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन चुनाव से पहले एकजुट हुए महागठबंधन के तमाम दलों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, कि क्या नतीजे अगर मनमाफिक नहीं हुए. तो वे एकजुट रह पाएंगे.

यह सवाल जरूर है कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के अनुमान के उलट हुए तो क्या महागठबंधन के दलों की एकता बरकरार रह पाएगी. विपक्ष ने बड़े तामझाम के साथ जो दावे किए थे, सभी 40 सीटों पर जीत का दावा भी विपक्ष लगातार करता रहा अगर उस दावे में फेल हो गया. तो राजद, कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी कब तक एकजुट रह पाएंगे.

बीजेपी का दावा
बीजेपी का दावा है कि विपक्ष में चुनाव के दौरान बिखराव देखा गया. नतीजों के बाद तो इनका बिखराव बिल्कुल तय है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि जिस तरह पूरे चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के तमाम दल एक दूसरे से दूरी बनाते दिखे और कई जगहों पर तो आपस में ही उलझते और एक दूसरे को हराते दिखे. ऐसे में नतीजों के बाद तो इनका भी बिखरना तय ही है.

चुनाव के बाद विपक्ष का बिखराव तय है !

राजद की सफाई
वहीं इस सवाल पर राजद के नेता सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोलते हैं. राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर कोई नीतीश कुमार नहीं हो सकता जो पहले बीजेपी को गाली देते थे. और इसे अछूत समझते थे. अब उन्हीं के पाले में चले गए हैं. विपक्ष में जो भी नेता हैं वह उस तरफ से ही आए हैं और अब ऐसी कोई संभावना नहीं है कि वह अलग हों.

गठबंधन का स्वरूप बदला
वहीं रालोसपा इस बात से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार गठबंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं. एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी भी है.

गठबंधन बड़ी चुनौती
जबकि हम और रालोसपा के साथ वीआईपी राजद और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार भी एनडीए का आंकड़ा 30 से ज्यादा सीटों का हो सकता है. ऐसे में यह महागठबंधन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. और यही वजह है कि महागठबंधन में शामिल दलों के लिए नतीजों के बाद एकजुटता कायम रखना बड़ी चुनौती होगी.

पटना: गुरुवार को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने हैं. नतीजों में क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन चुनाव से पहले एकजुट हुए महागठबंधन के तमाम दलों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, कि क्या नतीजे अगर मनमाफिक नहीं हुए. तो वे एकजुट रह पाएंगे.

यह सवाल जरूर है कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के अनुमान के उलट हुए तो क्या महागठबंधन के दलों की एकता बरकरार रह पाएगी. विपक्ष ने बड़े तामझाम के साथ जो दावे किए थे, सभी 40 सीटों पर जीत का दावा भी विपक्ष लगातार करता रहा अगर उस दावे में फेल हो गया. तो राजद, कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी कब तक एकजुट रह पाएंगे.

बीजेपी का दावा
बीजेपी का दावा है कि विपक्ष में चुनाव के दौरान बिखराव देखा गया. नतीजों के बाद तो इनका बिखराव बिल्कुल तय है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि जिस तरह पूरे चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के तमाम दल एक दूसरे से दूरी बनाते दिखे और कई जगहों पर तो आपस में ही उलझते और एक दूसरे को हराते दिखे. ऐसे में नतीजों के बाद तो इनका भी बिखरना तय ही है.

चुनाव के बाद विपक्ष का बिखराव तय है !

राजद की सफाई
वहीं इस सवाल पर राजद के नेता सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोलते हैं. राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर कोई नीतीश कुमार नहीं हो सकता जो पहले बीजेपी को गाली देते थे. और इसे अछूत समझते थे. अब उन्हीं के पाले में चले गए हैं. विपक्ष में जो भी नेता हैं वह उस तरफ से ही आए हैं और अब ऐसी कोई संभावना नहीं है कि वह अलग हों.

गठबंधन का स्वरूप बदला
वहीं रालोसपा इस बात से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार गठबंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं. एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी भी है.

गठबंधन बड़ी चुनौती
जबकि हम और रालोसपा के साथ वीआईपी राजद और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार भी एनडीए का आंकड़ा 30 से ज्यादा सीटों का हो सकता है. ऐसे में यह महागठबंधन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. और यही वजह है कि महागठबंधन में शामिल दलों के लिए नतीजों के बाद एकजुटता कायम रखना बड़ी चुनौती होगी.

Intro:23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। नतीजों में क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन चुनाव से पहले एकजुट हुए महागठबंधन के तमाम दलों को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या नतीजे अगर मनमाफिक नहीं हुए तो वे एकजुट रह पाएंगे। पेश है पटना से खास रिपोर्ट।


Body:सवाल जरूर है कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के अनुमान के उलट हुए तो क्या महागठबंधन के दलों की एकता बरकरार रह पाएगी विपक्ष ने बड़े तामझाम के साथ जो दावे किए थे, सभी 40 सीटों पर जीत का दावा भी विपक्ष लगातार करता रहा अगर मैं दावे फेल हो गया तो राजेंद्र कांग्रेस के साथ हम रालोसपा और वीआईपी कब तक एकजुट रह पाएंगे बीजेपी का दावा है कि विपक्ष ने पूरी तरह बिखर आओ चुनाव के वक्त भी दिखा और नतीजों के बाद तो इनका बिखराव बिल्कुल तय है बीजेपी नेता निखिल आनंद ने कहा कि जिस तरह पूरे चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के तमाम दल एक दूसरे से दूरी बनाते दिखे और कई जगहों पर तो दक्ष के साथ ही आपस में ही उलझते और एक दूसरे को हराते देखें ऐसे में नतीजों के बाद तो इनका भी बिखरना तय ही है।
इस सवाल पर राजद के नेता सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोलते हैं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर कोई नीतीश कुमार नहीं हो सकता जो पहले बीजेपी को गाली देते थे और इसे अछूत समझते थे, अब उन्हीं के पाले में चले गए हैं। विपक्ष में जो भी नेता हैं वह उस तरफ से ही आए हैं और अब ऐसी कोई संभावना नहीं कि वह अलग हो।


Conclusion:पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार गठबंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है। नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं। एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी भी है जबकि हम और रालोसपा के साथ वीआईपी राजद और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार भी एनडीए का आंकड़ा 30 से ज्यादा सीटों का हो सकता है। ऐसे में यह महागठबंधन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। और यही वजह है कि महागठबंधन में शामिल दलों के लिए नतीजों के बाद एकजुटता कायम रखना बड़ी चुनौती होगी।

बाइट शिवानंद तिवारी, राजद उपाध्यक्ष
निखिल आनंद बीजेपी प्रवक्ता
अभिषेक झा, रालोसपा प्रवक्ता
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