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महासमर 2020 में सियासी दलों का चक्रव्यूह: बीजेपी से ज्यादा नीतीश पर निशाना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार चुनावों को लेकर दूसरे दलों के निशाने पर हैं. सभी सियासी दल अपने चक्रव्यूह नीतीश को फंसाना चाहते हैं. खास बात ये है कि जितनी आक्रामकता नीतीश को लेकर दूसरे दल दिखा रहे हैं, उतने तेवर बीजेपी के खिलाफ नहीं दिख रहे हैं.

राजनीतिक दलों के निशाने पर 'सुशासन बाबू'
राजनीतिक दलों के निशाने पर 'सुशासन बाबू'
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Published : Oct 26, 2020, 9:53 AM IST

Updated : Oct 26, 2020, 2:17 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति में पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार कम वोट शेयर होने के बावजूद सत्ता के शीर्ष पर बने हुए हैं. लेकिन इस बार नीतीश कुमार की रणनीति को राजनीतिक दलों ने भांप लिया है जिसके बाद से ही नीतीश कुमार सबके निशाने पर हैं. तमाम राजनीतिक दलों ने नीतीश कुमार को चक्रव्यूह में फंसाने का खेल रचा है. बिहार की राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार को इस संकट से निकलना बखूबी आता है.

बीजेपी पर नरम नीतीश पर गरम सभी दल
तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, वामदल और कई नेताओं के निशाने पर सीधे नीतीश कुमार हैं. यशवंत सिन्हा भी लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. इन राजनीतिक दलों में बीजेपी को लेकर आक्रामकता नहीं दिखती. नीतीश कुमार को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी कुछ ज्यादा ही मुखर है. आरजेडी, कांग्रेस, एलजेपी के बड़े नेता मंच से नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. जिस नलजल योजना को सीएम नीतीश बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, विरोधी दल उसी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चुनौती खड़े कर रहे हैं.

राजनीतिक दलों के निशाने पर नीतीश कुमार

सवाल ये है कि आखिर क्यों सीएम नीतीश को ही अन्य विरोधी दलों ने निशाना बनाया हुआ है. इस सवाल का जवाब जब राजनीतिक विश्लेषक से पूछा गया तो उन्होंने एक दो नहीं बल्कि कई वजहें बताईं-

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?

  • नीतीश कुमार बुनियादी मुद्दों पर हो रहे विफल
  • विरोधियों ने रोजगार और विकास को बनाया मुद्दा
  • बाकि दल बुनियादी मुद्दों पर चुनावी मैदान में
  • बीजेपी पर हमला करने से बुनियादी मुद्दा बदलने का डर
  • बीजेपी कम्युनल मुद्दा सेट करने में जुटी है
  • बिहार में बीजेपी टीम-बी की तरह
  • बीजेपी के ध्रुवीकरण की नीति को लेकर विपक्ष सजग

"हमारा टारगेट बीजेपी नहीं नीतीश कुमार है. ताली अगर कप्तान को मिलेगी तो गाली भी कप्तान को ही मिलेगी. नीतीश कुमार अपने सहयोगियों से कभी राय नहीं लेते फैसला वह अकेले लेते हैं इसलिए बीजेपी पर हमला करने का कोई मतलब नहीं है."- सरवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी

रवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी
सरवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी

"जब तक रामविलास पासवान जीवित थे तब तक एनडीए में कोई मतभेद नहीं था लेकिन चिराग पासवान की वजह से मतभेद उभरे हैं. एनडीए में चार दल पूरी तरह एकजुट है. नीतीश कुमार को लेकर चिराग आक्रमक क्यों हैं इसका जवाब वही दे सकते हैं."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

"चिराग पासवान का कोई जनाधार नहीं है लेकिन वह नीतीश कुमार से टकराकर अपना राजनीतिक कद बढ़ाना चाहते हैं. चिराग पासवान हो चाहे तेजस्वी यादव यह लोग परिवारवाद की उपज हैं." - अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू

अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू
अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू

"बिहार के राजनीतिक दल अपने एजेंडे को बदलना नहीं चाहते हैं. उन्हें मालूम है कि अगर बीजेपी पर आक्रमण किया गया तो चुनाव का एजेंडा ही बदल जाएगा. लिहाजा नीतीश कुमार को टारगेट में रखकर राजनीतिक दल सियासी दांव चल रहे हैं "- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

डीएम दिवाकर,राजनीतिक विश्लेषक
डीएम दिवाकर,राजनीतिक विश्लेषक


पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को है. सीएम नीतीश अगर विरोधियों के हमलों का जवाब देते हैं तो उलझकर रह जाएंगे. और नहीं देते हैं तो अन्य सत्ताधारी दल मुद्दे को तूल देते जाएंगे. विपक्ष का फोकस सिर्फ नीतीश कुमार हैं. बीजेपी पर हमला करके कांग्रेस, आरजेडी बुनियादी मुद्दों को बदलने की गलती नहीं करना चाहती. बहरहाल, देखना ये है कि सीएम नीतीश कैसे विरोधियों के चक्रव्यूह से बाहर निकल पाते हैं.

पटना: बिहार की राजनीति में पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार कम वोट शेयर होने के बावजूद सत्ता के शीर्ष पर बने हुए हैं. लेकिन इस बार नीतीश कुमार की रणनीति को राजनीतिक दलों ने भांप लिया है जिसके बाद से ही नीतीश कुमार सबके निशाने पर हैं. तमाम राजनीतिक दलों ने नीतीश कुमार को चक्रव्यूह में फंसाने का खेल रचा है. बिहार की राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार को इस संकट से निकलना बखूबी आता है.

बीजेपी पर नरम नीतीश पर गरम सभी दल
तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, वामदल और कई नेताओं के निशाने पर सीधे नीतीश कुमार हैं. यशवंत सिन्हा भी लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. इन राजनीतिक दलों में बीजेपी को लेकर आक्रामकता नहीं दिखती. नीतीश कुमार को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी कुछ ज्यादा ही मुखर है. आरजेडी, कांग्रेस, एलजेपी के बड़े नेता मंच से नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. जिस नलजल योजना को सीएम नीतीश बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, विरोधी दल उसी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चुनौती खड़े कर रहे हैं.

राजनीतिक दलों के निशाने पर नीतीश कुमार

सवाल ये है कि आखिर क्यों सीएम नीतीश को ही अन्य विरोधी दलों ने निशाना बनाया हुआ है. इस सवाल का जवाब जब राजनीतिक विश्लेषक से पूछा गया तो उन्होंने एक दो नहीं बल्कि कई वजहें बताईं-

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?

  • नीतीश कुमार बुनियादी मुद्दों पर हो रहे विफल
  • विरोधियों ने रोजगार और विकास को बनाया मुद्दा
  • बाकि दल बुनियादी मुद्दों पर चुनावी मैदान में
  • बीजेपी पर हमला करने से बुनियादी मुद्दा बदलने का डर
  • बीजेपी कम्युनल मुद्दा सेट करने में जुटी है
  • बिहार में बीजेपी टीम-बी की तरह
  • बीजेपी के ध्रुवीकरण की नीति को लेकर विपक्ष सजग

"हमारा टारगेट बीजेपी नहीं नीतीश कुमार है. ताली अगर कप्तान को मिलेगी तो गाली भी कप्तान को ही मिलेगी. नीतीश कुमार अपने सहयोगियों से कभी राय नहीं लेते फैसला वह अकेले लेते हैं इसलिए बीजेपी पर हमला करने का कोई मतलब नहीं है."- सरवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी

रवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी
सरवन कुमार, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी

"जब तक रामविलास पासवान जीवित थे तब तक एनडीए में कोई मतभेद नहीं था लेकिन चिराग पासवान की वजह से मतभेद उभरे हैं. एनडीए में चार दल पूरी तरह एकजुट है. नीतीश कुमार को लेकर चिराग आक्रमक क्यों हैं इसका जवाब वही दे सकते हैं."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

"चिराग पासवान का कोई जनाधार नहीं है लेकिन वह नीतीश कुमार से टकराकर अपना राजनीतिक कद बढ़ाना चाहते हैं. चिराग पासवान हो चाहे तेजस्वी यादव यह लोग परिवारवाद की उपज हैं." - अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू

अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू
अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू

"बिहार के राजनीतिक दल अपने एजेंडे को बदलना नहीं चाहते हैं. उन्हें मालूम है कि अगर बीजेपी पर आक्रमण किया गया तो चुनाव का एजेंडा ही बदल जाएगा. लिहाजा नीतीश कुमार को टारगेट में रखकर राजनीतिक दल सियासी दांव चल रहे हैं "- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

डीएम दिवाकर,राजनीतिक विश्लेषक
डीएम दिवाकर,राजनीतिक विश्लेषक


पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को है. सीएम नीतीश अगर विरोधियों के हमलों का जवाब देते हैं तो उलझकर रह जाएंगे. और नहीं देते हैं तो अन्य सत्ताधारी दल मुद्दे को तूल देते जाएंगे. विपक्ष का फोकस सिर्फ नीतीश कुमार हैं. बीजेपी पर हमला करके कांग्रेस, आरजेडी बुनियादी मुद्दों को बदलने की गलती नहीं करना चाहती. बहरहाल, देखना ये है कि सीएम नीतीश कैसे विरोधियों के चक्रव्यूह से बाहर निकल पाते हैं.

Last Updated : Oct 26, 2020, 2:17 PM IST
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