पटना: कांग्रेस (Congress) पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार प्रदेश के सभी कांग्रेस विधायकों (Bihar Congress MLA) को दिल्ली तलब किया है. कल सभी विधायक दिल्ली जाएंगे जहां राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से नेताओं की मुलाकात होगी. सूत्रों के मुताबिक कई कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के संपर्क में हैं.
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बिहार कांग्रेस में बड़ी हलचल
सूत्रों के अनुसार बिहार कांग्रेस के विधायक और विधान पार्षद दिल्ली तलब किए गए हैं. कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व के नेता भी दिल्ली के लिए कल रवाना होंगे. जहां इन सभी की राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ बैठक होगी. सूत्रों के हवाले से खबर है कि विधायकों में टूट और बिहार कांग्रेस कमेटी के गठन को लेकर बैठक की जा रही है. 7 जुलाई को राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ इन विधायकों की बैठक होगी. पहले ये बैठक 9 जुलाई को बैठक प्रस्तावित थी, जिसे अब 7 जुलाई को करने का फैसला हुआ है.
विधायकों के पाला बदलने की चर्चा
चर्चा है कि आरजेडी के प्रयासों के बीच जेडीयू ने भी बिहार कांग्रेस में सेंधमारी की कोशिशें शुरू कर दी है. कांग्रेस के 19 विधायकों में बड़ी टूट की रणनीति तैयारी की जा रही है. अगर 13 विधायक साथ आते हैं तो उनकी सदस्यता बच जाएगी.
तीसरी बार तोड़फोड़ की कोशिश
जेडीयू ( JDU ) तीसरी बार कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश में है. एक बार तो उसे कामयाबी भी मिल चुकी है. पार्टी ने अशोक चौधरी के नेतृत्व में चार विधान पार्षदों को अपने साथ लाने में सफलता हासिल की थी. हालांकि विधायकों को तोड़ने में नीतीश कुमार दूसरी बार नाकामयाब साबित हुए थे. संख्या बल पूरे नहीं होने के चलते तब टूट टल गई थी. किसी भी दल में टूट को वैधानिक दर्जा दिलाने के लिए दो तिहाई विधायकों की संख्या होनी चाहिए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी में फिलहाल 19 विधायक हैं और अगर 13 विधायक टूटते हैं तभी विधायकों की सदस्यता बच सकती है.
कांग्रेस के कई विधायकों की नीतीश कुमार से नजदीकी
बक्सर के विधायक मुन्ना तिवारी की अशोक चौधरी से नजदीकियां जगजाहिर है. वहीं, मनिहारी के विधायक मनोहर प्रसाद सिंह की भी नीतीश कुमार से नजदीकी रही है. 2010 में मनोहर प्रसाद सिंह जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते थे और 2015 में नीतीश कुमार की सहमति पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे.
मुजफ्फरपुर से वीरेंद्र चौधरी चुनाव जीते हैं और यह भी 2015 में जेडीयू के टिकट से चुनाव हार चुके हैं. इन्होंने सुरेश शर्मा को चुनाव हराया है. राजपुर के विधायक विश्वनाथ राम 2015 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और हार गए थे. 2020 चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस ज्वाइन की और विधायक बने. विक्रम से विधायक सिद्धार्थ भी पाला बदल सकते हैं. सिद्धार्थ दूसरी बार चुनाव जीते हैं. जमालपुर के विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह पर भी दांव लगाया जा सकता है.
बिहार कांग्रेस में हुई थी बड़ी टूट
आपको बताएं कि साल 2018 में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी समेत कांग्रेस के चार विधान पार्षदों ने पार्टी को अलविदा कहकर जेडीयू का दामन थाम लिया था. इनमें अशोक चौधरी, दिलीप चौधरी, रामचंद्र भारती और तनवीर अख्तर शामिल थे. हालांकि तब कांग्रेस ने इन चारों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
कांग्रेस ने किया खंडन
कांग्रेस में टूट की खबरों के बीच कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने इसका खंडन किया है. उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस में टूट की झूठी खबर फैलाई गई. कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और इसमें टूट होने की कोई संभावना नहीं है. बिहार की बदलती राजनीतिक परिदृश्य में संगठन की मजबूती जरूरी है. जो भी नेता अपनी भूमिका को बखूबी नहीं निभा पा रहे हैं, उनका बदलाव तय है. हालांकि इस पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान लेगा.'
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