पटना: बिहार में अल्प वृष्टि का दौर जारी है और बारिश में कमी सूखे का संकेत दे रही है. मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में जुलाई के महीने में सामान्य से लगभग 45 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. जिसमें दर्जनभर जिले ऐसे हैं जहां बारिश सामान्य से लगभग 75% से कम बारिश दर्ज की गई है. अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के उत्तरी भागों के अधिसंख्य जिलों में हल्की वर्षा और ठनका गिरने की संभावना है.
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अल्प-वृष्टी की संभावना: मौसम विज्ञान केंद्र पटना की मानें तो वर्तमान मौसमी विश्लेषण के अनुसार मॉनसून द्रोणी रेखा इंदौर, दामोह, पेंड्रा रोड, गोपालपुर से होकर पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक प्रभावी है. जो कि अभी भी अपने सामान्य स्थिति से दक्षिण में स्थित है. आगामी दिनों में भी इसके सामान्य स्थिति से दक्षिण में ही बने रहने की संभवाना है. जिसके प्रभाव से राज्य में मुख्य रूप से अल्प-वृष्टि का दौर दिनांक 25- 28 जुलाई 2023 के दौरान भी जारी रहेगा.
बक्सर में दर्ज हुआ अधितम तापमान: मौसम विज्ञान केंद्र पटना की माने तो बारिश में कमी आने से प्रदेश की औसत अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. बीते दो दिनों में अधिकतम तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बीते 24 घंटे में सर्वाधिक अधिकतम तापमान बक्सर में 38.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई है. वहीं राजधानी पटना में अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई है. प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है.
कुछ हिस्सों में हल्की बारिश क असार: मौसम विभाग की माने तो मंगलवार को प्रदेश के दक्षिण पश्चिम इलाके के कुछ हिस्सों में और दक्षिण पूर्व जिले के कुछ हिस्सों में हल्के स्तर के बारिश का पूर्वानुमान है. इसके अलावा शेष भाग में एक-दो स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी दर्ज की जा सकती है. प्रदेश में अगले 4 दिनों तक अच्छी बारिश की स्थिति नहीं बन रही है.
किसान भाइयों के लिए सलाह: उपरोक्त पूर्वानुमान को देखते हुए मौसम विभाग ने किसान भाइयों को सलाह दी है कि खेत में लगे हुए खरीफ फसल को नष्ट होने एवं सूखने से बचाने के लिए और धान के बिचड़ो की रोपाई के लिए सिंचाई हेतु पानी का उचित प्रबंध स्वयं से करें.
प्रदेश में अब तक धान रोपनी की स्थिति: पटना में 23 प्रतिशत, कोसी में 84 प्रतिशत, शाहाबाद में 19 प्रतिशत, मगध में 7 में प्रतिशत, सारण में 48 प्रतिशत, तिरहुत में 70 प्रतिशत, मिथिलांचल में 46 प्रतिशत धान की रोपाई हुई है.