पटना: अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति ने गर्दनीबाग से विधानसभा मार्च निकाला. यह मार्च जीविका दीदियों और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की समस्याओं को लेकर गया. आज सुबह से गर्दनीबाग में हजारों की संख्या में महिलाएं पहुंची और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया.
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सरकार बड़े पूंजीपतियों को दे रही है पैकेज
इस दौरान ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने बताया कि बिहार में करोड़ों महिलाओं को स्वरोजगार के लिए कर्ज दिया गया. सहायता समूह की महिलाएं को माइक्रोफाइनेंस कंपनी और निजी बैंकों द्वारा स्वरोजगार के लिए जो ऋण मिला था. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण कार्य पूरी तरह ठप रहा. जिस कारण दीदियां उसे चुकाने में असमर्थ हैं. लेकिन सरकार ने बजट में इन महिलाओं को कोई राहत नहीं दी. सरकार बड़े पूंजीपतियों को पैकेज दे रही है. लेकिन महिलाओं को पैकेज क्यों नहीं दिया जा रहा है और इनके छोटे कर्ज सरकार क्यों नहीं माफ कर रही.
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जीविका दीदियों को दिया जाये 21 हजार मानदेय
उन्होंने कहा कि लंबे समय से हमारी मांग रही है कि जीविका दीदियों को न्यूनतम 21 हजार मानदेय दिया जाये. लेकिन सरकार इसमें आनाकानी कर रही है. आंध्र प्रदेश की सरकार ने स्वयं सहायता समूह का अगस्त 2020 में 27 हजार करोड़ रुपए की देनदारी का भुगतान कर कर्ज माफ किया है. लेकिन बिहार सरकार इस काम को क्यों नहीं कर सकती. इन्हीं मांगों को लेकर हमने मार्च निकाला है. भाकपा माले के विधायक इन मांगों को विधानसभा में भी उठा रहे हैं. सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार देकर उनके उत्पादों को खरीद करने की गारंटी सरकार करें और जीविका दीदियों का मानदेय 21 हजार करे, यह हमारी प्रमुख मांग है. अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो आगे भी आंदोलन किया जाएगा.