पटना: कोरोना महामारी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. वहीं, सरकारी अधिकारी से लेकर स्कूल के शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्षों की भी मौतें हुई है. मरने वाले सभी शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्षों को ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एजुकेशन एसोसिएशन (एआईएफईए) की ओर से मुआवजा देने की मांग की गई है.
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एआईएफईए के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र कुमार शर्मा "शैलू" और राज्य पार्षद सह पूर्व सदस्य शैक्षिक परिषद जयनंदन यादव ने राज्य सरकार से कोरोना संक्रमण से मृत नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को भी राज्य के अन्य कर्मियों की भांति 50 लाख रुपए मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी और विशेष पारिवारिक पेंशन देने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना लागातार घातक हो रहा है. बिहार में भी अब तक एक लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कईयों ने अपनी जान गंवा दी है.
‘150 से अधिक शिक्षकों की मौत’
राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार के आदेश पर पिछले साल की तरह इस वर्ष भी नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष कोरोना वारियर्स की तरह अलग-अलग क्वारंटीन और कोविड केयर सेंटर पर ईमानदारी के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं, आज हजारों शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें कई गंभीर हालत में अस्पतालों में ईलाजरत हैं. वहीं, अब तक लगभग 150 से अधिक शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों ने अपनी जान गंवाई है.
शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार
शैक्षिक परिषद के राज्य पार्षद सह पूर्व सदस्य जयनंदन यादव ने कहा कि नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष राज्य सरकार के अनुसार भले ही पंचायती राज और नगर निकायों के कर्मी हैं, मगर वो भी राज्य के नागरिक हैं और सरकार के आदेश पर ही कार्य कर रहें हैं. ऐसे में उनके साथ इस प्रकार का सौतेला व्यवहार उचित नहीं है.
विवि में अग्रीम गर्मी छुट्टी
इसके अलावा जयनंदन यादव कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश पर विद्यालयों में शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को 25 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता की गई है. मगर दूसरी तरफ कोरोना की भयावहता को देखते हुए राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में समय से पूर्व 1 मई से 30 मई तक गर्मी की छुट्टी घोषित कर दी गई है. विवि में गर्मी छुट्टी और स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति ये कहां से सही है.
'शिक्षकों को स्कूल आने पर किया जा रहा मजबूर'
विद्यालयों में पठन-पाठन बंद है, मगर शिक्षकों, शिक्षकेत्तरकर्मी और प्रधानों को विद्यालय आने की बाध्यता होने के कारण उनमें तेजी से संक्रमण फैल रहा है. क्योंकि इनमें से अधिकांश कर्मी सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं. सरकार लोगों को घरों में रहने को लेकर कई प्रकार की गाईडलाइन जारी कर रही है. वहीं, शिक्षकों को विद्यालय आने का आदेश पर मजबूर किया जा रहा था. इसलिए सरकार से हमारी मांग है कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों को तुरंत मुआवजे की भुगतान की जाए. साथ ही शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मियों और उनके परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूर्व गर्मी की छुट्टी घोषित करें.