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दिल्ली में फेल, क्या बिहार में करेंगे खेल! - Delhi elections

जोड़ी तो बहुत अच्छी मानी गई शाह और नीतीश की, लेकिन जनता क्यों नहीं पसंद कर रही. क्या बिहार में भी अब बदलाव आना है.

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Published : Feb 11, 2020, 1:22 PM IST

पटना: चुनाव दिल्ली में हुआ है लेकिन अब चर्चा में बिहार आ गया है. इसलिए क्योंकि अगला चुनाव बिहार में ही है. यहां साथ छोड़ने के बाद नीतीश दोबारा बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार चला रहे हैं. लिहाजा दिल्ली में इज्जत बचाने के लिए उन्होंने अमित शाह के साथ प्रचार भी किया, लेकिन दिल्ली तो हाथ से निकल गई. अब क्या एनडीए के हाथ से बिहार भी फिसल जाएगा?

पिछले कुछ चुनावों की चर्चा पर बीजेपी भले ही किसी बहस में गोलमोल बातें करती रही हो, लेकिन नतीजा यही निकल रहा है कि बीजेपी डाउन फॉल पर है. पार्टी ने शतरंज की हर चाल चली, हर दांव खेला, लेकिन देखते ही देखते एक के बाद पूरे 7 राज्य हाथ से निकल गए. नीतीश तब भी बीजेपी के साथ बने रहे.

सात राज्यों में मात खा गई बीजेपी
राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब तक बीजेपी ने राजनीतिक बिसात बिछा रखी थी. राष्ट्रवाद के मॉडल पर लड़ते-लड़ते वो पवेलियन लौट गए. फिर भी नहीं माने और दोबारा दिल्ली में राष्ट्रवाद को हवा दी और परिणाम ये है कि वह भी हाथ से निकल गयी.

नीतीश नहीं जीत पाए दिल्ली में बिहारियों का दिल
खास बात ये थी कि बिहार में सहयोगी नीतीश कुमार ने दिल्ली में जाकर शाह के साथ रैली की और लोगों को समझाया, लेकिन लोगों ने उन्हें नकार दिया. ऐसे में अब ये लाजमी है कि जिस तरह एक के बाद एक बीजेपी की सरकार गिरती जा रही है तो क्या बिहार में नीतीश का आसरा ही रह जाएगा.

नीतीश ने की बड़ी भूल!
ऐसे में अब जेडीयू के भविष्य को लेकर भी कई चर्चाएं हैं कि अब क्या करेंगे नीतीश कुमार, जब हर राज्य से उनकी सहयोगी पार्टी का सूरज अस्त होता जा रहा है. नीतीश कुमार ने जिस प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया, क्या ये कहा जाए कि केजरीवाल की जीत में पीके की रणनीति ने भी दमखम दिखाया. क्या ये भी कहा जाए कि बीजेपी के साथ 2017 में दोबारा आना नीतीश की सबसे बड़ी भूल थी.

मंथन करेंगे नीतीश
राज्यों में बीजेपी की लगातार हार को देखते हुए ये सवाल भी मौजूद है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव में उतरने से पहले दोबारा से विचार कर सकते हैं. महागठबंधन में वापसी के आसार और हालात तो ज्यादा नहीं दिख रहे हैं, लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि नीतीश इस पर गंभीरता से मंथन कर सकते हैं. क्योंकि राजनीति में कुछ भी असंभव है. वैसे भी नीतीश के बारे में मशहूर है कि उन्हें कुर्सी से बहुत प्यार है. इंतजार करिए बिहार की सियासत में अभी बहुत कुछ देखने को मिल सकता है.

पटना: चुनाव दिल्ली में हुआ है लेकिन अब चर्चा में बिहार आ गया है. इसलिए क्योंकि अगला चुनाव बिहार में ही है. यहां साथ छोड़ने के बाद नीतीश दोबारा बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार चला रहे हैं. लिहाजा दिल्ली में इज्जत बचाने के लिए उन्होंने अमित शाह के साथ प्रचार भी किया, लेकिन दिल्ली तो हाथ से निकल गई. अब क्या एनडीए के हाथ से बिहार भी फिसल जाएगा?

पिछले कुछ चुनावों की चर्चा पर बीजेपी भले ही किसी बहस में गोलमोल बातें करती रही हो, लेकिन नतीजा यही निकल रहा है कि बीजेपी डाउन फॉल पर है. पार्टी ने शतरंज की हर चाल चली, हर दांव खेला, लेकिन देखते ही देखते एक के बाद पूरे 7 राज्य हाथ से निकल गए. नीतीश तब भी बीजेपी के साथ बने रहे.

सात राज्यों में मात खा गई बीजेपी
राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब तक बीजेपी ने राजनीतिक बिसात बिछा रखी थी. राष्ट्रवाद के मॉडल पर लड़ते-लड़ते वो पवेलियन लौट गए. फिर भी नहीं माने और दोबारा दिल्ली में राष्ट्रवाद को हवा दी और परिणाम ये है कि वह भी हाथ से निकल गयी.

नीतीश नहीं जीत पाए दिल्ली में बिहारियों का दिल
खास बात ये थी कि बिहार में सहयोगी नीतीश कुमार ने दिल्ली में जाकर शाह के साथ रैली की और लोगों को समझाया, लेकिन लोगों ने उन्हें नकार दिया. ऐसे में अब ये लाजमी है कि जिस तरह एक के बाद एक बीजेपी की सरकार गिरती जा रही है तो क्या बिहार में नीतीश का आसरा ही रह जाएगा.

नीतीश ने की बड़ी भूल!
ऐसे में अब जेडीयू के भविष्य को लेकर भी कई चर्चाएं हैं कि अब क्या करेंगे नीतीश कुमार, जब हर राज्य से उनकी सहयोगी पार्टी का सूरज अस्त होता जा रहा है. नीतीश कुमार ने जिस प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया, क्या ये कहा जाए कि केजरीवाल की जीत में पीके की रणनीति ने भी दमखम दिखाया. क्या ये भी कहा जाए कि बीजेपी के साथ 2017 में दोबारा आना नीतीश की सबसे बड़ी भूल थी.

मंथन करेंगे नीतीश
राज्यों में बीजेपी की लगातार हार को देखते हुए ये सवाल भी मौजूद है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव में उतरने से पहले दोबारा से विचार कर सकते हैं. महागठबंधन में वापसी के आसार और हालात तो ज्यादा नहीं दिख रहे हैं, लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि नीतीश इस पर गंभीरता से मंथन कर सकते हैं. क्योंकि राजनीति में कुछ भी असंभव है. वैसे भी नीतीश के बारे में मशहूर है कि उन्हें कुर्सी से बहुत प्यार है. इंतजार करिए बिहार की सियासत में अभी बहुत कुछ देखने को मिल सकता है.

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