पटनाः पटना हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न एवं छेड़छाड़ के आरोप में फंसे अधिवक्ता निरंजन कुमार के हाईकोर्ट (Patna High Court) में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था. कोर्ट ने बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा से यह बताने के लिए कहा था कि बार काउन्सिल ऑफ इंडिया एवं बिहार स्टेट बार काउंसिल आरोपित अधिवक्ता पर क्या कार्यवाही कर रही है.
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सुनवाई के बाद निर्देश जारीः बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरोपित अधिवक्ता के प्रैक्टिस करने पर तत्काल रोक लगा दी है, जिसे बिहार स्टेट बार काउंसिल ने मान लिया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा की गई कार्रवाई के आलोक में हाईकोर्ट ने आरोपित अधिवक्ता के हाईकोर्ट में प्रवेश से रोक लगा दी है. अधिवक्ता निरंजन कुमार का पक्ष को वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली ने रखा.
क्या है मामलाः कानून की पढ़ाई कर रही सीएनएलयू की एक छात्रा ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता निरंजन कुमार पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. छात्रा ने इस संबंध में 23 दिसंबर को अधिवक्ता के खिलाफ शास्त्री नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इस मामले में अधिवक्ता निरंजन कुमार को निचली अदालत से जमानत मिल चुकी है.
हाईकोर्ट से लगायी थी गुहारः मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना हाईकोर्ट की महिला अधिवक्ताओं ने आरोपी अधिवक्ता निरंजन कुमार के खिलाफ एक संकल्प लेकर हाईकोर्ट प्रशासन से गुहार की थी कि उच्च न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई करे. पूरे मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी करे और इसकी त्वरित सुनवाई हो और पीड़िता को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए।