पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह (Additional Chief Secretary Vivek Kumar Singh) ने कहा है कि जल निकायों को अतिक्रमण से मुक्त करना विभाग की प्राथमिकता है. विभाग के प्रत्येक कर्मी और अधिकारी को इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है. रास्ते का अतिक्रमण भी जल निकाय का अतिक्रमण है, अगर उससे जल का प्रवाह हो रहा है.
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अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि विभाग के लोगों को जल निकाय के स्वरूप को भी अक्षुण्ण रखने की जरूरत है. अक्सर यह देखने में आता है कि भूमि के स्वरूप में परिवर्तन को आधार बनाकर बंदोबस्ती या भूमि के हस्तातंरण का प्रस्ताव दे दिया जाता है, जो उचित नहीं है. यह बाते अपर मुख्य सचिव सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं जैसे तालाब, पोखर, आहर, पइन को चिह्नित कर अतिक्रमण मुक्त करना विषय पर आधारित एक परिचर्चा में बोल रहे थे.
इस परिचर्चा का आयोजन वर्चुअल मोड में किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने किया. इस कार्यक्रम में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अतिरिक्त ग्रामीण विकास विभाग और वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
ग्रामीण विकास की तरफ से प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी और जल जीवन हरियानी मिशन के स्टेट मिशन मैनेजर राजेश चंद्रा और उप मिशन निदेशक अजीत कुमार ने अलावे राजस्व विभाग के वरीय अधिकाकारियों और विभागाध्यक्षों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में सभी 38 जिलों के उपविकास आयुक्त, अपर समाहर्ता और कई अंचल अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया.
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और पर्यावरण तंत्र में पारिस्थितकीय संतुलन के लक्ष्य को साकार करने के दृष्टिकोण से बिहार सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान वर्ष 2019 से आरंभ किया गया है. इस अभियान से संबंधित जागरुकता की शुरूआत 9 अगस्त, 2019 को बिहार पृथ्वी दिवस के मौके पर की गई. वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर, 2019 को इस अभियान की विधिवत शुरूआत की गई.
राज्य में इस अभियान के तहत सार्वजनिक जल निकायों जैसे पोखर, तालाब, झील, आहर, पईन, नहर, जल निस्सरण नलिकाएं और नदियों की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई प्रगति पर है. अब तक कुल 69145 अतिक्रमित जल निकायों में से 34 हजार 880 को अतिक्रमण मुक्त किया गया है, जबकि शेष को अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई की जा रही है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने जल निकायों पर अतिक्रमण की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रतिवेदन में दर्ज आकड़े विश्वसनीय नहीं हैं और ये आकड़े सही है, तो भी चिंता की वजह है. 20 फीसदी हल्का में जल निकाय ही नहीं है. जितना अतिक्रमण है उसका 40 फीसदी ही हटाया गया है और 5 हजार से अधिक हल्का में स्थाई अतिक्रमण के मामले शून्य प्रतिवेदित हैं. इस तरह के आकड़े अविश्वसनीय है. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि बगैर स्थल पर गए आकड़ें इकट्ठा कर लिए गए हैं.
जिलावार जल निकायों के अतिक्रमण के आकड़ों पर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि बिहार के 38 जिलों में कुल 8513 हलका यानि पंचायत हैं. जिनमें से 1861 हलकों में जल निकाय ही नहीं हैं. इसमें भी सर्वाधिक 154 हल्का सीतामढ़ी में हैं, जहां कोई जल निकाय नहीं है, वहीं शेखपुरा जिले में ऐसे हल्का की संख्या एक है.
आकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल मिलाकर 1 लाख 37 हजार 58 जल निकाय हैं. इसमें सर्वाधिक जल निकाय 15 हजार 680 रोहतास जिले में है. जहां तक अतिक्रमण की बात है तो स्थाई और अस्थाई दोनों मिलाकर कुल 8622 अतिक्रमण के मामले रोहतास जिले से प्रतिवेदित हैं. इसमें स्थाई अतिक्रमण की संख्या 1442 और अस्थाई अतिक्रमण की संख्या 7180 है.
इस प्रकार अस्थाई अतिक्रमण के मामले पूरे बिहार में सर्वाधिक रोहतास से प्रतिवेदित हैं. जबकि स्थाई अतिक्रमण के मामले में 5042 की संख्या के साथ समस्तीपुर जिला टॉप पर है. प्रतिवेदन के मुताबिक शेखपुरा जिला के 18 हल्का और पूर्वी चंपारण जिला का 346 हल्का में स्थाई अतिक्रमण नहीं है. वहीं, अरवल के 4 हल्का और समस्तीपुर जिला का 206 हल्का में कोई अस्थाई अतिक्रमण नहीं है. अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इन्हीं आकड़ों को अवास्तविक बताते हुए नाराजगी जताई है.
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