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Patna South Asian Film Festival: बिहार की अस्मिता ने 'प्रतिज्ञा सिरियल की ठकुराइन' से बनाई पहचान - पटना की अस्मिता शर्मा

बिहार के पटना की अस्मिता शर्मा किसी पहचान की मोहताज नहीं है. बालिका बधु और मन की आवाज प्रतिज्ञा में ठकुराइन के किरेदार से हर हर कोई वाकिफ होंगे. अस्मिता शर्मा इनदिनों पटना में आयोजित साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल में सिरकत कर करने आई है. जानिए खास बातचीत में क्या कहा...?

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Published : Feb 4, 2023, 5:21 PM IST

अभिनेत्री अस्मिता शर्मा

पटनाः बालिका बधु और मन की आवाज प्रतिज्ञा सिरियल की ठकुराइन इनदिनों पटना में हैं. अस्मिता शर्मा मूल रूप से बिहार के पटना की रहने वाली है. फिलहाल अपनी फिल्मी कैरियर को लेकर मुंबई में रह रही है. पटना में साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल में अस्मिता शर्मा पहुंचीं. ईटीवी भारत के संवाददाता से खास बातचीत में उन्होंने अपनी फिल्मी कैरियर के बारे में बताया. मन की आवाज प्रतिज्ञा और बालिका बधु से पहचान बनाने वाली अस्मिता शर्मा को आज हर घर की महिलाएं जानती हैं. अस्मिता को देश में पहली बार शौचालय जैसे मसले पर बनी फिल्म गुटरु गुटरगू को भी बनाने का श्रेय हासिल है. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में एक और फिल्म लोटस ब्लूम्स भी बनाई थी.

यह भी पढ़ेंः Education The Terror Movie: गया के तीन लाल का हिन्दी फिल्म में धमाल, 'एजुकेशन द टेरर' से सरकार को दिखाएंगे सच्चाई का आईना

ठकुराइन, उगंती और सरस्वती का सफरः अस्मिता बताती हैं कि एक्टर को हमेशा वर्सेटाइल रोल चाहिए होता है. मेरे लिए यह ईश्वर की कृपा है, जो सफर मैने पटना से शुरू किया था, पटना में थिएटर से शुरू किया था. पटना में मेरी अपनी जगह है. बिहार से जो कुछ भी सीखा. मुंबई में लोगों ने मुझे हाथों हाथ लिया. फिर मुझे काम देना शुरू किया. बालिका वधू मेरा काफी बड़ा शो है, फिर प्रतिज्ञा जो कि बेंच मार्क था. ठकुराइन के लिए मैं काफी जानी गई और आज तक लोग उस नाम से जानते हैं.

इंडियन पैनोरमा लोटस ब्लूम का चयनः मैंने बिहार में गुटरू गुटर गू फिल्म बनाई. जो कि बिहार के परिवेश और महिलाओं में खुले में शौच की दिक्कत को लेकर देश की पहली फिल्म थी. मैंने अभी हाल में दूसरी फिल्म भी बनाई है, जिसका नाम लोटस ब्लूम्स है. यह फिल्म इसलिए खास है क्योंकि बिहार में पूरी फिल्म शूट करने के बाद इस फिल्म का सिलेक्शन इंडियन पैनोरमा में हुआ है. यह अपने आप में बड़ा सिलेक्शन होता है. हिंदुस्तान की तमाम फिल्में आती हैं और उसमें से बेस्ट 20 फिल्मों का चयन होता है. जिसमें लोटस ब्लूम सेलक्ट की गई है.

तीन फेमस किरदार के सामने छिप गई अस्मिताः मुझे बहुत अच्छा लगता है. कई बार ऐसा होता है, जब मैं प्रतिज्ञा प्ले कर रही थी और कहीं बाहर जाती थी तो मुझे कोई नहीं पहचानता था. सब कहते थे कि आपके जैसी, आपका चेहरा बड़ा जाना पहचाना लग रहा है, लेकिन कोई मुझे कनेक्ट नहीं कर पाता था कि यह वही है. वास्तव में एक एक्टर का अचीवमेंट होता है. अपने से हटकर करना मुझे अच्छा लगता है. वाकई में मुझे बहुत मजा आया. जब लोटस ब्लूम्स की डबिंग हो रही थी. डबिंग आर्टिस्ट ने मुझसे पूछा कि यह आप ही हैं? तो मुझे अच्छा लगता है.

लोटस ब्लूम्स और गुटरू गुटरगू के अलावे फिल्मः मेरी जो भी फिल्में होंगी आगे भी हमेशा मैसेज देने वाली होंगी. फिल्म मेकर्स की एक जिम्मेदारी सोसाइटी के लिए भी होती है. इंटरटेनमेंट तो अपनी जगह पर है क्योंकि इंटरटेनमेंट के जरिए आप एक बड़ी बात कहते हैं. पब्लिक जब फिल्म देखे तो वह क्या लेकर जा रही है? मेरी पहली फिल्म भी सोसाइटी को लेकर ही थी. दूसरी फिल्म लोटस ब्लूम्स में भी बहुत बड़ा मैसेज है. अभी दो-तीन प्रोजेक्ट्स मेरे आने वाले हैं. अगला प्रोजेक्ट यूपी में है. जो हमारे देश की संस्कृति और कल्चर पर आधारित है.

पटना में साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवलः मुझे बहुत अच्छा लगा, यहां पर एक मेहमान के रूप में बुलाया गया है. सिनेमा लोगों के लिए बहुत जरूरी है. सिनेमा से आप बहुत कुछ अच्छा लेते हैं और बुरा भी लेते हैं. अच्छी फिल्में बनने का दौर बहुत लोगों ने कायम रखा है. वैसी भी फिल्में आती हैं जहां से पब्लिक कुछ लेकर नहीं निकलती है, लेकिन हां ऐसी भी फिल्में बन रही है. सिनेमा पर बातचीत होना बहुत जरूरी है. अच्छी फिल्में बननी बहुत जरूरी है. जहां पर भी इस तरीके के प्रोग्राम होते हैं उस जगह को मैं काफी अप्रिशिएट करती हूं.

"बालिका वधू मेरा काफी बड़ा शो है, फिर प्रतिज्ञा जो कि बेंच मार्क था. ठकुराइन के लिए मैं काफी जानी गई. मेरी फिल्म लोटस ब्लूम्स और गुटरू गुटरगू काफी अच्छी फिल्म रही. आने वाले समय में कई सारे प्रोजेक्ट पर काम होना है. यूपी में फिल्म सूट करने की तैयारी चल रही है. जिसमें देश की संस्कृति और कल्चर दिखाया जाएगा." -अस्मिता शर्मा, अभिनेत्री

अभिनेत्री अस्मिता शर्मा

पटनाः बालिका बधु और मन की आवाज प्रतिज्ञा सिरियल की ठकुराइन इनदिनों पटना में हैं. अस्मिता शर्मा मूल रूप से बिहार के पटना की रहने वाली है. फिलहाल अपनी फिल्मी कैरियर को लेकर मुंबई में रह रही है. पटना में साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल में अस्मिता शर्मा पहुंचीं. ईटीवी भारत के संवाददाता से खास बातचीत में उन्होंने अपनी फिल्मी कैरियर के बारे में बताया. मन की आवाज प्रतिज्ञा और बालिका बधु से पहचान बनाने वाली अस्मिता शर्मा को आज हर घर की महिलाएं जानती हैं. अस्मिता को देश में पहली बार शौचालय जैसे मसले पर बनी फिल्म गुटरु गुटरगू को भी बनाने का श्रेय हासिल है. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में एक और फिल्म लोटस ब्लूम्स भी बनाई थी.

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ठकुराइन, उगंती और सरस्वती का सफरः अस्मिता बताती हैं कि एक्टर को हमेशा वर्सेटाइल रोल चाहिए होता है. मेरे लिए यह ईश्वर की कृपा है, जो सफर मैने पटना से शुरू किया था, पटना में थिएटर से शुरू किया था. पटना में मेरी अपनी जगह है. बिहार से जो कुछ भी सीखा. मुंबई में लोगों ने मुझे हाथों हाथ लिया. फिर मुझे काम देना शुरू किया. बालिका वधू मेरा काफी बड़ा शो है, फिर प्रतिज्ञा जो कि बेंच मार्क था. ठकुराइन के लिए मैं काफी जानी गई और आज तक लोग उस नाम से जानते हैं.

इंडियन पैनोरमा लोटस ब्लूम का चयनः मैंने बिहार में गुटरू गुटर गू फिल्म बनाई. जो कि बिहार के परिवेश और महिलाओं में खुले में शौच की दिक्कत को लेकर देश की पहली फिल्म थी. मैंने अभी हाल में दूसरी फिल्म भी बनाई है, जिसका नाम लोटस ब्लूम्स है. यह फिल्म इसलिए खास है क्योंकि बिहार में पूरी फिल्म शूट करने के बाद इस फिल्म का सिलेक्शन इंडियन पैनोरमा में हुआ है. यह अपने आप में बड़ा सिलेक्शन होता है. हिंदुस्तान की तमाम फिल्में आती हैं और उसमें से बेस्ट 20 फिल्मों का चयन होता है. जिसमें लोटस ब्लूम सेलक्ट की गई है.

तीन फेमस किरदार के सामने छिप गई अस्मिताः मुझे बहुत अच्छा लगता है. कई बार ऐसा होता है, जब मैं प्रतिज्ञा प्ले कर रही थी और कहीं बाहर जाती थी तो मुझे कोई नहीं पहचानता था. सब कहते थे कि आपके जैसी, आपका चेहरा बड़ा जाना पहचाना लग रहा है, लेकिन कोई मुझे कनेक्ट नहीं कर पाता था कि यह वही है. वास्तव में एक एक्टर का अचीवमेंट होता है. अपने से हटकर करना मुझे अच्छा लगता है. वाकई में मुझे बहुत मजा आया. जब लोटस ब्लूम्स की डबिंग हो रही थी. डबिंग आर्टिस्ट ने मुझसे पूछा कि यह आप ही हैं? तो मुझे अच्छा लगता है.

लोटस ब्लूम्स और गुटरू गुटरगू के अलावे फिल्मः मेरी जो भी फिल्में होंगी आगे भी हमेशा मैसेज देने वाली होंगी. फिल्म मेकर्स की एक जिम्मेदारी सोसाइटी के लिए भी होती है. इंटरटेनमेंट तो अपनी जगह पर है क्योंकि इंटरटेनमेंट के जरिए आप एक बड़ी बात कहते हैं. पब्लिक जब फिल्म देखे तो वह क्या लेकर जा रही है? मेरी पहली फिल्म भी सोसाइटी को लेकर ही थी. दूसरी फिल्म लोटस ब्लूम्स में भी बहुत बड़ा मैसेज है. अभी दो-तीन प्रोजेक्ट्स मेरे आने वाले हैं. अगला प्रोजेक्ट यूपी में है. जो हमारे देश की संस्कृति और कल्चर पर आधारित है.

पटना में साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवलः मुझे बहुत अच्छा लगा, यहां पर एक मेहमान के रूप में बुलाया गया है. सिनेमा लोगों के लिए बहुत जरूरी है. सिनेमा से आप बहुत कुछ अच्छा लेते हैं और बुरा भी लेते हैं. अच्छी फिल्में बनने का दौर बहुत लोगों ने कायम रखा है. वैसी भी फिल्में आती हैं जहां से पब्लिक कुछ लेकर नहीं निकलती है, लेकिन हां ऐसी भी फिल्में बन रही है. सिनेमा पर बातचीत होना बहुत जरूरी है. अच्छी फिल्में बननी बहुत जरूरी है. जहां पर भी इस तरीके के प्रोग्राम होते हैं उस जगह को मैं काफी अप्रिशिएट करती हूं.

"बालिका वधू मेरा काफी बड़ा शो है, फिर प्रतिज्ञा जो कि बेंच मार्क था. ठकुराइन के लिए मैं काफी जानी गई. मेरी फिल्म लोटस ब्लूम्स और गुटरू गुटरगू काफी अच्छी फिल्म रही. आने वाले समय में कई सारे प्रोजेक्ट पर काम होना है. यूपी में फिल्म सूट करने की तैयारी चल रही है. जिसमें देश की संस्कृति और कल्चर दिखाया जाएगा." -अस्मिता शर्मा, अभिनेत्री

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