पटनाः शिक्षा विभाग का 28 नवंबर मंगलवार को निर्देश आया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी जाएगी है. किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों को संघ का सदस्य बनने की मनाही है. यदि कोई शिक्षक या कोई शिक्षकेत्तर कर्मी ऐसा करता है उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. बीजेपी के एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा हो. इसे शिक्षक स्वीकार नहीं करेंगे.
आंदोलन करने की चेतावनी: बीजेपी के एमएलसी नवल किशोर यादव ने गुरुवार 30 नवंबर को एक प्रेस कांफ्रेंस कर शिक्षा विभाग के इस निर्णय पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि शिक्षक के मौलिक अधिकारों का हनन करने की कोशिश बिहार में की जा रही है. यह निंदनीय है. मुख्यमंत्री नियमों का तत्काल प्रभाव से हटा दें वरना ईंट से ईंट बजा देंगे. उन्होंने छुट्टियों में कटौती पर कहा कि हमारी संस्कृति है उत्सव मनाने की. अगर सरकार ने शिक्षा विभाग द्वारा जो तुगलकी फरमान शिक्षक को लेकर जारी किए गए हैं उसको वापस नहीं लिया तो पूरे बिहार में हम आंदोलन करेंगे.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करेंगे कि जो उनके बड़बोले अधिकारी हैं जो शिक्षा विभाग में बैठ करके तरह-तरह के फरमान जारी करते हैं ऐसे फरमान को जल्द से जल्द खत्म किया जाय. अनुच्छेद 6 में मौलिक अधिकारों में के रूप में स्पष्ट रूप से लिखा गया है हम अपने संगठन को बना सकते हैं. किसी भी स्थिति में भारत के सांसद और राज्यों का विधान मंडल मौलिक अधिकार को हनन नहीं कर सकता है."- नवल किशोर यादव, बीजेपी विधान पार्षद
शिक्षा विभाग तुगलकी फरमान जारी कर रहा: बीजेपी विधान परिषद नवल किशोर यादव ने कहा कि जिस तरह का तुगलकी फरमान शिक्षा विभाग जारी कर रहा है, वह कहीं से भी उचित नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इन बातों को समझ रहे हैं. इसके बाद भी सरकार द्वारा अधिकारियों पर एक्शन नहीं लेने के कारण ही बार-बार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, जैसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
क्या है विभाग के निर्देशः शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है. विभाग ने कहा है कि यह अभी उल्लेखनीय है कि किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है. यदि कोई शिक्षक या कोई शिक्षकेत्तर कर्मी द्वारा किसी संघ की स्थापना की जाती है, या किसी संघ की सदस्यता ली जाती है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सभी को संगठन बनाने का अधिकार है. पूर्व से भी शिक्षक संगठन सक्रिय रहा है.
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