पटना: बिहार दिवस समारोह में शामिल होने के बाद 150 से अधिक स्कूली बच्चे फूड प्वाइजनिंग के शिकार (Children Sick Due To Food Poisoning) हुए थे. अब इस मामले में नोडल पदाधिकारी पर गाज गिरने वाली है. जिला प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है और शिक्षा विभाग को इसे सौंप दिया है. 150 से अधिक स्कूली छात्र छात्राओं की तबीयत खराब होने के पीछे कई प्रकार की लापरवाही सामने आई है, जिसमें खराब भोजन से लेकर, पीने योग्य पानी की कमी और रहने की बदहाल व्यवस्था शामिल है.
ये भी पढ़ें: बिहार विधान परिषद में उठा स्कूली बच्चों के फूड प्वाइजनिंग का मुद्दा, विपक्ष के साथ-साथ BJP ने भी की जांच की मांग
कुव्यवस्था के कारण बच्चे बीमार: जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि छात्र-छात्राओं के सोने के लिए गद्दों की संख्या भी कम थी और कई गद्दो पर चादर तक नहीं थे. इसके अलावा गर्मी के दिन होने के बावजूद पंखे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी. खाने-पीने के लिए सादा भोजन की व्यवस्था भी नहीं थी. खाने-पीने में तला-भुना भोजन और बच्चों के आवासन की कुव्यवस्था और ऊपर से प्रचंड गर्मी ने बच्चों की तबीयत खराब कर दी. जिला प्रशासन की चार सदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह को सौंप दी है और जिलाधिकारी ने भी शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेज दी है.
सोमवार को कार्रवाई संभव: बीते दिनों प्रदेश के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) ने कहा था कि बिहार दिवस में शामिल होने वाले बच्चे सरकार के मेहमान थे और इन्हें किसी हाल में परेशानी नहीं होनी चाहिए थी. मामले में दोषी कर्मचारियों और पदाधिकारियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में तय माना जा रहा है कि शिक्षा विभाग सोमवार को कोई बड़ा निर्णय लेगा और कई कर्मियों पर इसकी गाज गिरेगी.
बच्चों को मिला टैंक का पानी: बता दें कि जिला प्रशासन ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें बताया है कि मौसम के अनुकूल बच्चों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था नहीं की गई थी. इसके अलावा गांधी मैदान में भी सादा भोजन की व्यवस्था नहीं थी. पीने के लिए टैंक का पानी दिया गया, जबकि आरओ वाटर देने का प्रावधान था. इसके अलावा बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में जहां बच्चे ठहराए गए थे, वहां और निर्मित भवन में बच्चियों को ठहरने की व्यवस्था की गई और गद्दे और बेडशीट भी पर्याप्त संख्या में नहीं थे. इसके अलावा जब बिहार दिवस कार्यक्रम के तीसरे दिन बच्चे बीमार पड़ गए, तब उन्हें देखने वाला भी कोई नहीं था.
गर्मी-मच्छर के कारण बच्चे सो नहीं सके: जिला प्रशासन को सौंपी गई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बीएन कॉलेजिएट में जहां बच्चों को ठहराया गया था, वहां बच्चों की संख्या के अनुरूप पंखे की कमी थी. रात भर गर्मी और मच्छर के कारण बच्चे सो नहीं पाए और कॉलेजिएट में अगले दिन परीक्षा होने की वजह से बच्चों को सुबह 5:00 बजे ही उठा दिया गया. ऐसे में रात भर बच्चे गर्मी और मच्छर से नहीं सो पाए और बच्चे थके हुए थे. गांधी मैदान में जैसे ही धूप तेज होने लगी, वैसे ही तमाम बच्चे बीमार पड़ने लगे.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP