पटना: बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है. क्योंकि यहां इस बार लड़ाई 15 साल बनाम 15 साल की है. इन सबों के बीच जो नब्बे के दशक से पिछल्लगु पार्टी बनकर रही कांग्रेस के लिए इस बार कुछ खास हो सकता है. बिहार चुनाव 2020 को लेकर ज्यादातर मीडिया चैनलों के एग्जिट पोल में महागठबंधन को बढ़त दिख रही है. वहीं, एनडीए को काफी घटा हुआ है. अगर एग्जिट पोल एडजेक्ट पोल में तब्दील हो जाए तो कांग्रेस वर्तमान सत्ता धारी दल जेडीयू से बड़ी पार्टी बन सकती है.
1990 के बाद के चुनावों में जब से कांग्रेस लालू यादव के साथ आई, तब से वो उसके पीछे-पीछे ही चलती आ रही है. अभी तक वो बिहार की राजनीति में नंबर-4 की पार्टी बनकर रह गई थी. हालांकि 2015 के चुनाव में महागठबंधन बनने के बाद कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 41 में से 27 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी. न केवल कई साल बाद इतना बढ़िया प्रदर्शन किया था, बल्कि सरकार में कई अहम मंत्रालय भी झटकने में सफलता पाई थी.
कांग्रेस के तत्काली प्रदेश अध्यक्ष जेडीयू में शामिल
हालांकि 2017 में महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली. इसके कुछ ही समय बाद कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी जेडीयू में शामिल हो गए.
कांग्रेस को मिला था जवाब
उसी दौरान जब विधानसभा में एक बहस के दौरान जब कांग्रेस के विधायक नीतीश कुमार पर हमलावर थे और जनादेश के साथ धोखा देने का आरोप लगा रहे थे, तभी नीतीश कुमार भड़क उठे. उन्होंने कांग्रेस की उसकी 'हैसियत' याद दिलाते हुए कहा था कि उन्हें कोसने से पहले याद रखें कि उनकी बदौलत ही 27 सीटें मिली, वरना दहाई अंक में भी विधायक नहीं जीत पाते.
पिछले चुनाव से बढ़िया प्रदर्शन
अब जबकि मतदान हो चुके हैं और 10 नवंबर को नतीजे आएंगे, उससे ठीक पहले जिस तरह से अलग-अलग चैनलों के एग्जिट पोल्स आ रहे हैं, अगर वह सच साबित होता है तो कांग्रेस पिछले चुनाव से भी बढ़िया प्रदर्शन करने जा रही है. न केवल सीटें पहले से अधिक जीतती दिखाई पड़ रही है, बल्कि आश्चर्यजनक तरीके से नीतीश की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को पीछे धकेल कर तीसरे नंबर की पार्टी का रुतबा हासिल कर सकती है. इसका मतलब ये कि आरजेडी और बीजेपी के बाद सबसे अधिक विधायक कांग्रेस के खाते में होंगे, जबकि सत्ताधारी जेडीयू चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह जाएगी.
1995 से 2015 तक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन
1995 में कांग्रेस 29 सीटें लाई थी. इसके बाद 2000 में 23 सीट, 2005(फरवरी) में 10 और 2005( नवंबर) में 09 सीटें, 2010 में सिर्फ 4 सीटें लाई थी. इस तरह से कांग्रेस का विघटन जारी था. हालांकि 2015 में 27 सीटें लाई और सत्ता में भी साझेदारी करने का मौका मिला. हालांकि कुछ दिनों के बाद ही सरकार टूट गई तो फिर से कांग्रेस विपक्ष की पार्टी बन गई. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के एग्जिट पोल के अनुसार 30-35 सीटें लाने का अनुमान है.