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बिहार में किराये के भवन में चलते हैं 90 थाने, कई की स्थिति जर्जर

बिहार में लगभग 90 ऐसे थाने हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. कई थाने ऐसे हैं, जो किराए के मकान में या जर्जर भवन में चल रहे हैं. 90 थानों में से 56 ओपी भूमिहीन है. पढ़ें रिपोर्ट.

जर्जर भवन में चल रहा थाना
जर्जर भवन में चल रहा थाना
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Published : Jun 26, 2021, 9:43 PM IST

पटना: पिछले 15 सालों में बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा प्राथमिकता के तहत जर्जर स्थिति में चल रहे पुलिस थानों (Police Station) को नए भवन में शिफ्ट किया गया है. लेकिन अभी भी लगभग 90 ऐसे थाने हैं, जिन्हें अपना भवन प्राप्त नहीं हुआ है. जिस वजह से थाने किराए के मकान में जर्जर स्थिति में चल रहे हैं. पुलिस मुख्यालय (Police Headquarter) द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के 90 थाने और 56 ओपी भूमिहीन हैं. जिसमें से भवन का निर्माण भी अधर में लटका हुआ है.

यह भी पढ़ें- पटना के 8 थानों को मिलेगा नया भवन, 0.5 एकड़ भूमि की गई चिह्नित

जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश
राज्य सरकार ने भूमिहीन थानों को जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. निर्देश को आगे बढ़ाते हुए पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस अधीक्षक और जिला दंडाधिकारी को आपस में समन्वय स्थापित कर इस कार्य को पूरा करने को कहा है. ताकि भवन निर्माण विभाग के तहत थानों का अपना भवन बनाया जा सके.

जर्जर भवन में चल रहा थाना
जर्जर भवन में चल रहा थाना

30 जिलों में यही हाल
राज्य में एक तरफ जहां कानून और विधि व्यवस्था मजबूत करने की बात कही जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर अभी भी कई ऐसे थाने और ओपी हैं, जो भूमिहीन हैं. बिहार के 38 में से 30 जिले के 87 थाने और 56 ओपी के पास अब तक अपनी जमीन नहीं होने की वजह से थानों का अपना भवन नहीं बन पाया है. पटना जिले की बात करें तो 20 थाने, मुजफ्फरपुर के 8 थाने और चार ओपी को अब तक जमीन नहीं मिली. थाने किराए के मकान में या सरकारी किसी अन्य कॉलेज या स्टेडियम में चल रहे हैं.

यह भी पढ़ें- सालिमपुर में नए थाना भवन का शिलान्यास, अभी उपस्वास्थ्य केन्द्र से हो रहा है संचालित

देखें वीडियो

'जल्द ही बिहार के भूमिहीन थानों या ओपी को भी अपना भवन प्राप्त होगा. राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि जिन थानों का अपना भवन और जमीन नहीं है, उसके लिए जीमन उपलब्ध करायी जाए. इसके लिए नए सिरे से अल्प समय अवधि में कार्य किए जा रहे हैं.' -जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

पटना का कोतवाली थाना
पटना का कोतवाली थाना

20 थानों के पास भवन नहीं
राजधानी पटना के राजीव नगर थाना, कदमकुआं थाना, बुद्धा कॉलोनी थाना, कृष्णा पुरी थाना सहित 20 ऐसे थाने हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. कदमकुआं थाना अभी भी मोईनुल-हक-स्टेडियम में चल रहा है. श्रीकृष्णा पुरी थाना एएन कॉलेज के कैंपस में चल रहा है. वहीं दीघा, गांधी मैदान, पीरबहोर, सुल्तानगंज समेत कई अन्य थाने हैं, जिनका अपना खुद का भवन है. थाने के साथ-साथ पुलिस कर्मियों के रहने खाने की व्यवस्था उस भवन में उपलब्ध है. नए थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए भी अलग से शौचालय और रहने की व्यवस्था की गई है.

पटना का गांधी मैदान थाना
पटना का गांधी मैदान थाना

जिले से मांगा गया जमीन का प्रस्ताव
बिहार में लगभग 90 ऐसे थाने और 65 ओपी हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. दरअसल, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में थाना या ओपी या टीओपी के लिए न्यूनतम जमीन की आवश्यकता का मापदंड स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं था. जिस वजह से थाने का भवन बनाने के लिए अड़चनें आ रही थी. ग्रामीण क्षेत्र में ओपी के लिए 0.90 एकड़ और विशेष परिस्थिति में 0.70 एकड़ जमीन की जरूरत होगी. वहीं शहरी क्षेत्र में थाना ओपी या टाउन ओपी के लिए न्यूनतम 0.60 एकड़ जमीन का प्रस्ताव जिले से मांगा गया है.

यह भी पढ़ें- न हाजत न मालखाना, झोपड़ी में चलता दरभंगा का मोरो थाना

पटना: पिछले 15 सालों में बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा प्राथमिकता के तहत जर्जर स्थिति में चल रहे पुलिस थानों (Police Station) को नए भवन में शिफ्ट किया गया है. लेकिन अभी भी लगभग 90 ऐसे थाने हैं, जिन्हें अपना भवन प्राप्त नहीं हुआ है. जिस वजह से थाने किराए के मकान में जर्जर स्थिति में चल रहे हैं. पुलिस मुख्यालय (Police Headquarter) द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के 90 थाने और 56 ओपी भूमिहीन हैं. जिसमें से भवन का निर्माण भी अधर में लटका हुआ है.

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जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश
राज्य सरकार ने भूमिहीन थानों को जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. निर्देश को आगे बढ़ाते हुए पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस अधीक्षक और जिला दंडाधिकारी को आपस में समन्वय स्थापित कर इस कार्य को पूरा करने को कहा है. ताकि भवन निर्माण विभाग के तहत थानों का अपना भवन बनाया जा सके.

जर्जर भवन में चल रहा थाना
जर्जर भवन में चल रहा थाना

30 जिलों में यही हाल
राज्य में एक तरफ जहां कानून और विधि व्यवस्था मजबूत करने की बात कही जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर अभी भी कई ऐसे थाने और ओपी हैं, जो भूमिहीन हैं. बिहार के 38 में से 30 जिले के 87 थाने और 56 ओपी के पास अब तक अपनी जमीन नहीं होने की वजह से थानों का अपना भवन नहीं बन पाया है. पटना जिले की बात करें तो 20 थाने, मुजफ्फरपुर के 8 थाने और चार ओपी को अब तक जमीन नहीं मिली. थाने किराए के मकान में या सरकारी किसी अन्य कॉलेज या स्टेडियम में चल रहे हैं.

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'जल्द ही बिहार के भूमिहीन थानों या ओपी को भी अपना भवन प्राप्त होगा. राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि जिन थानों का अपना भवन और जमीन नहीं है, उसके लिए जीमन उपलब्ध करायी जाए. इसके लिए नए सिरे से अल्प समय अवधि में कार्य किए जा रहे हैं.' -जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

पटना का कोतवाली थाना
पटना का कोतवाली थाना

20 थानों के पास भवन नहीं
राजधानी पटना के राजीव नगर थाना, कदमकुआं थाना, बुद्धा कॉलोनी थाना, कृष्णा पुरी थाना सहित 20 ऐसे थाने हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. कदमकुआं थाना अभी भी मोईनुल-हक-स्टेडियम में चल रहा है. श्रीकृष्णा पुरी थाना एएन कॉलेज के कैंपस में चल रहा है. वहीं दीघा, गांधी मैदान, पीरबहोर, सुल्तानगंज समेत कई अन्य थाने हैं, जिनका अपना खुद का भवन है. थाने के साथ-साथ पुलिस कर्मियों के रहने खाने की व्यवस्था उस भवन में उपलब्ध है. नए थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए भी अलग से शौचालय और रहने की व्यवस्था की गई है.

पटना का गांधी मैदान थाना
पटना का गांधी मैदान थाना

जिले से मांगा गया जमीन का प्रस्ताव
बिहार में लगभग 90 ऐसे थाने और 65 ओपी हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. दरअसल, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में थाना या ओपी या टीओपी के लिए न्यूनतम जमीन की आवश्यकता का मापदंड स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं था. जिस वजह से थाने का भवन बनाने के लिए अड़चनें आ रही थी. ग्रामीण क्षेत्र में ओपी के लिए 0.90 एकड़ और विशेष परिस्थिति में 0.70 एकड़ जमीन की जरूरत होगी. वहीं शहरी क्षेत्र में थाना ओपी या टाउन ओपी के लिए न्यूनतम 0.60 एकड़ जमीन का प्रस्ताव जिले से मांगा गया है.

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