पटना: एससीआरबी के आईजी कमल किशोर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान खुशी जताते हुए बताया कि थानों का डिजिटाइजेशन सीसीटीएनएस परियोजना के तहत हो रहा है. 2012 में सीसीटीएनएस योजना पूरे भारत में शुरू हुई थी. हालांकि की दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार पिछड़ गया है. लेकिन, पुलिस मुख्यालय का मानना है कि देर आए पर दुरस्त आए.
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''भारत में बिहार पहला ऐसा राज्य बना है, जिसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है. परंतु, सीसीटीएनएस योजना के तहत पीसीएस को सौंपी गई प्रथम फेज में कुल 894 थानों को जोड़ने का जो लक्ष्य 31 मार्च तक रखा गया था, उसे समय से पहले 16 मार्च को ही पूर्ण कर लिया गया है''- कमल किशोर सिंह, आईजी, एससीआरबी
894 थानों का डिजिटाइजेशन
एससीआरबी के आईजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि सीसीटीएनएस परियोजना में पहले 894 थानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. जिसके बाद 894 थानों का डिजिटाइजेशन किया गया है, उन थानों की एफआईआर अब आईसीजी के तहत ऑनलाइन माध्यम से न्यायालय तक पहुंच रहा है.
1056 थानों को जोड़ने का लक्ष्य
हालांकि, राज्य सरकार के द्वारा बाद में लिए गए निर्णय के बाद बिहार के सभी कुल 1056 थानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से प्रथम फेज में 894 थाने पूर्ण रूप से डिजिटाइज हो चुके हैं. उन सभी थानों के डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया जा रहा है. बाकी बचे 162 थानों को दूसरे फेज में जल्द ही सीसीटीएनएस योजना के तहत से जोड़ा जाएगा.
20 सालों के केस रिकॉर्ड होंगे डिजिटाइज
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक इन सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जैसे ही सभी लोग प्रशिक्षित हो जाएंगे, तब पूरे राज्य की पुलिस डिजिटल मोड में ही काम करेगी. सीसीटीएनएस योजना के तहत पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज किया जा रहा है. आने वाले कुछ महीनों में पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को हम डिजिटाइज कर देंगे. हालांकि उच्च स्तरीय बैठक में 10 साल ही नहीं, बल्कि 20 सालों के केस रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने का निर्णय लिया गया है.
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डिजिटल फॉर्म में होगी एफआईआर दर्ज
सीसीटीएनएस नेटवर्क से जुड़ चुके थानों में दर्ज होने वाली एफआईआर को डिजिटल फॉर्म में तैयार किया जाता है. इसके लिए नेटवर्क में पहले से व्यवस्था की गई है. एफआईआर के साथ स्टेशन डायरी की भी इंट्री डिजिटल फॉर्म में की जाती है. एफआईआर का डिजिटल फॉर्म सीसीटीएनएस के सेंट्रल सर्वर के जरिए इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के पोर्टल पर चला जाता है. इसके बाद ये अदालत के लिए उपलब्ध होता है. अदालत जब चाहे एफआईआर को अपने वहां मौजूद कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर देख सकती है.
894 थानों में हो रही ऑनलाइन इंट्री
894 थानों में ऑनलाइन इंट्री की जा रही है. हालांकि, अभी थानों में डिजिटल के साथ मैनुअल तरीके से भी काम हो रहा है. बिहार में 894 थानों और 206 पुलिस कार्यालय सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं. चार्जशीट के साथ गिरफ्तारी और बरामदगी की जानकारी भी अपलोड किया जा रहा है. ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी और सभी आंकड़े इसी तरह डिजिटल फॉर्म में अपलोड करने का काम जारी रहेगा.
करीब 97 हजार एफआईआर की इंट्री
एडीजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि पिछले 6 महीने में सीसीटीएनएस योजना के तहत बिहार के थानों में काफी काम हुआ है. हम लोगों ने कोरोना काल में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. सीसीटीएनएस योजना को कोरोना काल में बाधित नहीं होने दिया गया है. अब तक बिहार में कुल 894 थाने सीसीटीएनएस से जुड़े गए हैं और उन थानों के लगभग 97 हजार एफआईआर को सॉफ्टवेयर के माध्यम से चढ़ाया गया है.
''लगभग 32 लाख स्टेशन डायरी सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अंकित की गई है. उसके साथ-साथ लगभग 5500 केस डायरी को भी अब तक अंकित किया गया है. आईसीजीएस के माध्यम से सभी न्यायालयों को इससे जोड़ा गया है. उसके बाद बचे और थाने जिन्हें दूसरे फेज में जोड़ना है उसे भी पूरा किया जाएगा. आगामी अप्रैल महीने के बाद से बिहार के सभी थानों और पुलिस कार्यालय में पेपर लेस कार्य कर पाएंगे, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है''- कमल किशोर सिंह,आईजी,एससीआरबी
देश के 16 हजार थानें कनेक्ट
बता दें कि बिहार के सभी थाने डिजिटलाइज हो जाएंगे तो सबसे आसान पुलिसकर्मियों के लिए होगा अगर किसी अपराधी के बारे में जानकारी लेनी होगी तो वह सीधे एक क्लिक बटन से उस कांड या उस अपराधी के बारे में आसानी से जानकारी जुटा सकेंगे. बिहार के 894 थाने समेत देश के कुल 16 हजार थानें सीसीटीएनएस योजना के तहत जुड़ गए हैं. सिर्फ बिहार ही नहीं देश के किसी कोने से किसी भी अपराधी या किसी तरह की जानकारी ली जा सकती है.
आसानी से मिल सकेगी जानकारी
एसपी रैंक से लेकर डीजी रैंक के अधिकारियों के लिए खुद सुपर विजन के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा. पुलिसकर्मी के साथ-साथ आम जनता को भी जब सभी थाने और सभी पुलिस कार्यालय डिजिटलाइज हो जाएंगे, तो आम जनता को सबसे ज्यादा फायदा होगा. वो घर बैठे ही केस से रिलेटेड किसी तरह की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद नवंबर 2016 से ही पब्लिक डोमेन में किसी भी एफआईआर को 24 से 48 घंटे के अंदर पब्लिक डोमेन में डाल दिया जाता है और एनसीआरबी की वेबसाइट पर सभी एफआईआर लोड होते हैं. सिर्फ ऐसी एफआईआर लोड नहीं किए जाते हैं, जिसे डालने की अनुमति नहीं है. जैसे कि महिला के साथ उत्पीड़न, सामूहिक दुष्कर्म, नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े मामले, बच्चों के साथ उत्पीड़न, कम्युनल लॉ एंड ऑर्डर से रिलेटेड मामलों को भी पब्लिक डोमेन में नहीं डालने के निर्देश हैं.
पुलिस डायरी में हेरफेर नामुमकिन
जब पुलिस के सभी कार्यालय और बिहार के सभी थाने डिजिटलाइज हो जाएंगे, तब चरित्र सत्यापन, लापता सामग्रियों की सूचना, खोए या चोरी हुए सामानों की जानकारी आदि भी ऑनलाइन मिलेगी. अपराधियों के फिंगरप्रिंट का डेटाबेस होगा. फिंगरप्रिंट डेटाबेस से सिर्फ 89 सेकंड में अपराधी की पहचान हो सकेगी. थानों में गुंडा रजिस्टर एफआईआर रिकॉर्ड आदि भी डिजिटल होंगे. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी एक थाने से दूसरे थाने में सूचना के आदान-प्रदान में बहुत सुविधा और पारदर्शिता होगी. इससे पुलिस डायरी में हेरफेर करना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा.
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देशभर में सूचना का आदान-प्रदान
बता दें कि सीसीटीएनएस योजना का मूल मकसद था कि देश के किसी भी थाने दूसरे थाने से ऑनलाइन माध्यम से जुड़ सके और वहां का डाटा जो कि शेयरेबल होगा, उसे आसानी से प्राप्त कर सकेंगे. सीसीटीएनएस से जब पूर्ण रूप से कार्य होगा तब ई-प्रिजंस, ई-कोर्ट, ई-प्रॉसीक्यूशन और ई-एसएसएल आपस में किसी भी केस से जुड़ी इन्फॉर्मेशन शेयर कर सकेंगे.