पटना: बिहार की राजधानी पटना के पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र से शनिवार को अचानक 85 शिक्षकों ने बीएलओ के कार्य से इस्तीफा दे दिया. शिक्षकों के इस फैसले का बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने समर्थन किया है और संघ ने कहा है कि शिक्षकों के इस फैसले से यदि निर्वाचन कार्य प्रभावित होता है तो इसके लिए राज्य सरकार खुद जिम्मेदार है. शिक्षकों ने इस बाबत बीएलओ के पद से सामूहिक रूप से त्यागपत्र अनुमंडल पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी पटना साहिब क्षेत्र को दे दिया है.
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आरटीई का दिया हवाला : शिक्षकों ने अपने इस्तीफा देने के कारण में बताया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में स्पष्ट है कि शिक्षकों से किसी भी प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्य नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही उक्त अधिनियम में यह भी स्पष्ट है कि शिक्षकों को 45 घंटे प्रति सप्ताह शैक्षणिक कार्य करना है. शिक्षक न केवल विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य करते हैं बल्कि उसके बाद पाठ योजना और पाठ टीका का भी संधारण करते हैं. बीएलओ के कार्य में ड्यूटी लगाए जाने से शिक्षण कार्य में उनको कठिनाई हो रही है.
'सिर्फ मतदान कार्य में कर सकते हैं ड्यूटी' : शिक्षकों ने अपने त्यागपत्र में यह भी लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में स्पष्ट है कि शिक्षकों से केवल तीन प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्य कराए जा सकते हैं. पहला चुनाव में मतदान कर्मी के रूप में कार्य करना, दूसरा भारत सरकार द्वारा आयोजित 10 वर्षीय जनगणना कार्य और तीसरा आपदा में प्रतिनियुक्ति की जा सकती है. शिक्षकों ने कहा है कि चुनाव में मतदान कर्मी के रूप में कार्य करने का मतलब चुनाव से पहले बीएलओ की ड्यूटी करना नहीं है.
"राज्य सरकार पूरे प्रदेश से बीएलओ की ड्यूटी में तैनात शिक्षक को इस ड्यूटी से मुक्त करे. अन्यथा बाध्य होकर पूरे राज्य के शिक्षक बूथ लेवल पदाधिकारी के पद से इस्तीफा दे देंगे और इसके लिए निर्वाचन का कार्य जो प्रभावित होगा उसके लिए राज्य सरकार ही स्वयं जिम्मेदार होगी".- बृजनंदन शर्मा, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ