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बिहार में 65% आरक्षण को पटना हाईकोर्ट में चुनौती, 12 जनवरी को होगी सुनवाई

Patna High Court: बिहार में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए 65 फीसदी प्रतिशत किए जाने के फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इस मामले पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ इसी मुद्दे पर दायर गौरव कुमार के याचिका पर 12 जनवरी 2024 को सुनवाई करेगी. पढ़ें पूरी खबर.

पटना हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 3, 2024, 8:46 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने को मोहन कुमार ने एक याचिका दायर कर चुनौती दी है. इस मामले पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इसी मुद्दे पर दायर गौरव कुमार के याचिका पर 12 जनवरी 2024 को सुनवाई करेगी.

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: दायर गौरव कुमार की याचिका में भी राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई है. जिसमें एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में जा सकते हैं. अधिवक्ता दीनू कुमार ने अपनी याचिका में बताया है कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिलहाल लंबित: अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया गया है न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने मामले में आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था. जातिगत सर्वेक्षण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिलहाल लंबित है.

12 जनवरी को होगी सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई. जिसमें राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ा कर 65 फीसदी कर दिया था. आज मोहन कुमार द्वारा दायर इस याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष रखा गया.कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तिथि 12 जनवरी, 2024 को इसी मुद्दे पर गौरव कुमार की याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी.

पटना: पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने को मोहन कुमार ने एक याचिका दायर कर चुनौती दी है. इस मामले पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ इसी मुद्दे पर दायर गौरव कुमार के याचिका पर 12 जनवरी 2024 को सुनवाई करेगी.

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: दायर गौरव कुमार की याचिका में भी राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई है. जिसमें एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में जा सकते हैं. अधिवक्ता दीनू कुमार ने अपनी याचिका में बताया है कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिलहाल लंबित: अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया गया है न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने मामले में आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था. जातिगत सर्वेक्षण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिलहाल लंबित है.

12 जनवरी को होगी सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई. जिसमें राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ा कर 65 फीसदी कर दिया था. आज मोहन कुमार द्वारा दायर इस याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष रखा गया.कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तिथि 12 जनवरी, 2024 को इसी मुद्दे पर गौरव कुमार की याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी.

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