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Patna High Court: बिहार के 12 विश्वविद्यालयों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली रद्द, HC का बड़ा फैसला

पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने राज्य के 12 विश्वविद्यालयों में 4,638 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली रद्द कर दी है. अब कोर्ट ने नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर इन पदों पर बहाली का निर्देश बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया है.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Feb 24, 2023, 1:34 PM IST

पटनाः बिहार के पटना हाइकोर्ट ने राज्य के 12 विश्वविद्यालयों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसरों के बहाली को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय देते हुए बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा 2020 में प्रकाशित विज्ञापन को रद्द कर दिया. जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डा. अमोद प्रबोध व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया.

ये भी पढ़ेंः Patna High Court: बिहार के 2459 मदरसों की जांच, सरकार को 4 महीने में जांच रिपोर्ट का देना होगा ब्योरा

नए सिरे से विज्ञापन निकाल होगी बहालीः कोर्ट ने नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर इन पदों पर बहाली के लिए आरक्षण के प्रावधानों के अनुरूप प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया है. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि कुछ विषयों,अरबी, फ़ारसी व अन्य में अस्टिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होगा. इनकी संख्या लगभग 150 है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बताया था कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया. इसमें राज्य के सभी बारह विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों में 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ.

आरक्षण के प्रावधानों की हुई अनदेखीः उन्होंने बताया कि प्रावधानों के अनुसार आरक्षण की सीमा पचास फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है, लेकिन 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद पर बहाली के लिए 1223 पद ही सामान्य श्रेणी के लिए रखे गए. ये आरक्षण की पचास फीसदी की सीमा से कहीं अधिक हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस तरह इस विज्ञापन संवैधानिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हुआ है. इससे बहुत सारे योग्य उम्मीद्वारों का भविष्य अंधकारमय हो गया.

नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का दिया था आदेशः गौरतलब है कि कोर्ट ने इस मामलें पर 20 दिसंबर, 2022 को सुनवाई करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को अगले आदेश तक किसी भी उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का आदेश दिया था. इस मामलें में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम और अधिवक्ता सुमन कुमार ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया था.

पटनाः बिहार के पटना हाइकोर्ट ने राज्य के 12 विश्वविद्यालयों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसरों के बहाली को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय देते हुए बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा 2020 में प्रकाशित विज्ञापन को रद्द कर दिया. जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डा. अमोद प्रबोध व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया.

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नए सिरे से विज्ञापन निकाल होगी बहालीः कोर्ट ने नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर इन पदों पर बहाली के लिए आरक्षण के प्रावधानों के अनुरूप प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया है. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि कुछ विषयों,अरबी, फ़ारसी व अन्य में अस्टिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होगा. इनकी संख्या लगभग 150 है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बताया था कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया. इसमें राज्य के सभी बारह विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों में 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ.

आरक्षण के प्रावधानों की हुई अनदेखीः उन्होंने बताया कि प्रावधानों के अनुसार आरक्षण की सीमा पचास फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है, लेकिन 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद पर बहाली के लिए 1223 पद ही सामान्य श्रेणी के लिए रखे गए. ये आरक्षण की पचास फीसदी की सीमा से कहीं अधिक हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस तरह इस विज्ञापन संवैधानिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हुआ है. इससे बहुत सारे योग्य उम्मीद्वारों का भविष्य अंधकारमय हो गया.

नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का दिया था आदेशः गौरतलब है कि कोर्ट ने इस मामलें पर 20 दिसंबर, 2022 को सुनवाई करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को अगले आदेश तक किसी भी उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का आदेश दिया था. इस मामलें में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम और अधिवक्ता सुमन कुमार ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया था.

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