पटना: कोरोना एक तरफ जानलेवा रुख अख्तियार किए हुए है. वहीं दूसरी ओर जिन लोगों की मौत कोविड-19 से हो रही है उनके परिजन अनुदान के लिए तरस रहे हैं. बिहार में कोविड-19 से मौत पर सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. लेकिन जिन मरीजों की मौत निजी अस्पताल या होम आइसोलेशन में हो रही है. वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
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बिहार में कोरोना एक 'आपदा'
मुख्यमंत्री राहत कोष के न्यासी परिषद की 20वीं बैठक में सीएम नीतीश कुमार मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के तहत ये फैसला लिया गया था कि कोरोना वायरस के संक्रमण से जिन लोगों की मौत हुई उनके परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. अभी तक आपदा विभाग की ओर से 16 सौ पीड़ितों को 4 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की जा चुकी है.
3000 से ज्यादा लोगों की मौत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कोरोना से अब तक 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि गैर आधिकारिक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं. जिन लोगों की मौत होम आइसोलेशन में हो रही है उनकी संख्या का अंदाज लगाना भी आसान नहीं है. मुजफ्फरपुर और मुंगेर समेत कई जिलों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उन्हें अब तक अनुदान नहीं मिला है.
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एक साल बाद भी नहीं मिला अनुदान
इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने कुछ पीड़ित परिवारों से बात की. उनका सिर्फ इतना कहना है कि जिन लोगों की मौत पिछले साल नवंबर, दिसंबर में हुई है. उनमें से कई लोगों के परिजन को अब तक अनुदान नहीं मिला है. परिजन लगातार इसके लिए सीओ ऑफिस से लेकर आपदा और स्वास्थ विभाग के दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं. उन्हें अनुदान कब मिलेगा इस बारे में भी कोई अधिकारी स्पष्ट नहीं बता रहे हैं. जानकारी सिर्फ इतनी मिलती है कि पटना से जब कंफर्मेशन होगा तभी उन्हें आपदा विभाग की तरफ से राशि दी जाएगी.
क्या कहती है स्वास्थ्य समिति
इस बारे में राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि जिन जिलों में कोविड-19 की वजह से लोगों की मौत हो रही है, उनका आंकड़ा सिविल सर्जन की ओर से राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजा जाता है. राज्य स्वास्थ्य समिति सिविल सर्जन और विभिन्न मेडिकल कॉलेज से मिले रिपोर्ट के आधार पर मौत का आंकड़ा जारी करता है. इसी आधार पर सीएम सचिवालय में कोविड-19 से हुई मौत का विवरण भेजा जाता है. जहां से आधिकारिक पुष्टि होने के बाद जिला प्रशासन पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये अनुदान के रूप में चेक देता है. राज्य स्वास्थ्य समिति के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कोविड-19 के तहत अब तक 1600 पीड़ितों को 4 लाख अनुदान की राशि स्वीकृत हो चुकी है.
मुआवजा भुगतान की यह है प्रक्रिया
कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत की रिपोर्ट को सिविल सर्जन संबंधित अंचलाधिकारी को भेजता है. इस रिपोर्ट को अग्रसारित करते हुए सीओ आपदा विभाग को इसकी सूचना देता है. मृतक के परिजन आपदा विभाग या संबंधित सीओ के यहां मुआवजा के लिए आवेदन जमा करते हैं. आवेदन के 24 घंटे के अंदर आपदा विभाग प्रक्रिया पूरी कर आश्रित को 4 लाख रुपए का भुगतान करता है.
ये दस्तावेज देना अनिवार्य
- डेथ सर्टिफिकेट(मृत्यु प्रमाण पत्र)
- आवासीय प्रमाण पत्र
- आश्रित के बैंक पासबुक की फोटो कॉपी
उपर्युक्त दस्तावेज के साथ आपदा विभाग या संबंधित सीओ के यहां आवेदन किया जाता है. आवेदन के 24 घंटे के भीतर मुआवजे की राशि मृतक आश्रित के खाते में ट्रांसफर हो जाती है.