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पटना AIIMS में 'ब्लैक फंगस' के मरीजों के लिए 20 बेड का वार्ड तैयार, 12 मरीज भर्ती

कोरोना संक्रमण के बीच अब 'ब्लैक फंगस' का भी खतरा मंडराने लगा है. बिहार में कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस के भी कुछ मरीज मिले हैं. पटना AIIMS, IGIMS और निजी अस्पतालों में इसके कुछ मरीज भर्ती हैं. हालांकि इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है. ऐसे मरीजों की पहचान कर इलाज की जा रही है.

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ब्लैक फंगस को लेकर बैठक
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Published : May 15, 2021, 9:15 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना से हर जगह तबाही मचा रखी है. ये तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और नई मुसीबत ने बिहार में दस्तक दे दी है. कोरोना महामारी के बाद अब राज्य में ब्लैक फंगस बीमारी के भी मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. पटना AIIMS में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए 20 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है. वहीं 2 मरीजों को ऑपरेशन से इलाज भी किया गया.

ये भी पढ़ें: बांका में 'ब्लैक फंगस' से दो मरीजों की मौत, भागलपुर के मायागंज में चल रहा था इलाज

ICU की संख्या 60 से बढ़ाकर 80
इसको लेकर पटना AIIMS में पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव ने AIIMS के निदेशक डॉ पी के सिंह के साथ निदेशक मंडल से मुलाकात की और पटना एम्स में चल रहे कोरोना मरीजों के इलाज का भी हालचाल लिया. इस मौके पर रामकृपाल यादव ने पटना AIIMS के निदेशक से आग्रह किया कि ICU की संख्या 60 से बढ़ाकर 80 किया जाए ताकि आम लोगों को थोड़ी सहूलियत हो और उन्हें ICU मिल सके.

'पटना एम्स में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी आई है. उसके लिए अलग से 20 बेड लगाए गए हैं और मरीजों का इलाज किया जा रहा है. फिलहाल, अभी 12 मरीज इसमें भर्ती हैं और उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं 2 मरीजों का ऑपरेशन किया गया. जिनकी हालत ठीक बताई जा रही है.'.- रामकृपाल यादव, सांसद

'पटना AIIMS में 400 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है. जिसमें मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यहां पर पटना AIIMS में कुछ दवाओं को मिलने में परेशानी होती है. उस परेशानी को दूर करने के लिए भी हम बिहार सरकार से बात करेंगे. ताकि मरीजों को कोई असुविधा ना हो'.- डॉ पी के सिंह, पटना एम्स के निदेशक

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ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

ये भी पढ़ें: संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (ICMR) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

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ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

खतरनाक है ब्लैक फंगस !
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

बचाव के लिए करें ये उपाय

  • लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
  • समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.
  • गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं.

ये भी पढ़ें...कोरोना के बीच बढ़ा 'ब्लैक फंगस' का खतरा, पटना में 10 मरीजों में पुष्टि, बांका में 2 की मौत

ये भी पढ़ें...ब्लैक फंगस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग कर रहा अध्ययन: मंगल पांडे

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ICU की संख्या 60 से बढ़ाकर 80
इसको लेकर पटना AIIMS में पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव ने AIIMS के निदेशक डॉ पी के सिंह के साथ निदेशक मंडल से मुलाकात की और पटना एम्स में चल रहे कोरोना मरीजों के इलाज का भी हालचाल लिया. इस मौके पर रामकृपाल यादव ने पटना AIIMS के निदेशक से आग्रह किया कि ICU की संख्या 60 से बढ़ाकर 80 किया जाए ताकि आम लोगों को थोड़ी सहूलियत हो और उन्हें ICU मिल सके.

'पटना एम्स में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी आई है. उसके लिए अलग से 20 बेड लगाए गए हैं और मरीजों का इलाज किया जा रहा है. फिलहाल, अभी 12 मरीज इसमें भर्ती हैं और उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं 2 मरीजों का ऑपरेशन किया गया. जिनकी हालत ठीक बताई जा रही है.'.- रामकृपाल यादव, सांसद

'पटना AIIMS में 400 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है. जिसमें मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यहां पर पटना AIIMS में कुछ दवाओं को मिलने में परेशानी होती है. उस परेशानी को दूर करने के लिए भी हम बिहार सरकार से बात करेंगे. ताकि मरीजों को कोई असुविधा ना हो'.- डॉ पी के सिंह, पटना एम्स के निदेशक

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ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

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क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (ICMR) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

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ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

खतरनाक है ब्लैक फंगस !
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

बचाव के लिए करें ये उपाय

  • लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
  • समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.
  • गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं.

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