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15 साल बनाम 15 सालः NDA ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने का किया दावा

विशेषज्ञ ने कहा कि योजना का लाभ किसानों को जितना मिलना चाहिए था, उनता नहीं मिल सका है. आरजेडी के 15 और एनडीए के 15 साल में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. हालांक कि एनडीए के रीजन में कुछ योजनाएं जरूर लाईं गईं हैं. जिसका लाभ किसानों को मिल सकता है.

कृषि
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Published : Sep 13, 2020, 7:40 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए 15 साल बनाम 15 साल के विकास कार्यों को मुद्दा बना रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों में हुए कार्य को लेकर एनडीए नेताओं की ओर से दावे भी शुरू हो गए हैं. कृषि का क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिहार की 76 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. बिहार सरकार का दावा रहा है कृषि के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं. कृषि रोड मैप, कृषि कैबिनेट, यंत्रीकरण, फसल सहायता योजना, इनपुट सब्सिडी और जैविक कृषि से बिहार में कृषि में काफी बदलाव आया है. इससे उत्पादन बढ़ा है और बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है. किसानों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन आरजेडी का कहना है कि आज किसान सबसे ज्यादा बदहाल हैं. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं योजनाएं तो एनडीए सरकार में कई शुरू हुईं, लेकिन किसानों को जितना लाभ मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला.

15 साल बनाम 15 साल कृषि क्षेत्र में दावेः
बिहार में कृषि लोगों की जीविका का सबसे बड़ा माध्यम है. यहां की बड़ी आबादी किसी ना किसी रूप में कृषि से जुड़ी हुई है. बिहार में उद्योग धंधे बड़े पैमाने पर नहीं होने के कारण कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. एनडीए सरकार का दावा है कि बिहार में कई कदम उठाए गए हैं और उसका असर साफ दिखता भी है. उसी के कारण पिछले 15 सालों में पांच कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिले हैं.

patna
कृषि मंत्री प्रेम कुमार

एनडीए सरकार में कृषि को लेकर लिए गए बड़े फैसले

  • कृषि कैबिनेट का गठन
  • कृषि रोड मैप
  • फसल सहायता योजना
  • किसी के यांत्रिकीकरण पर सब्सिडी
  • जैविक कृषि पर जोर
  • बीज उत्पादन में पहल
  • बाढ़ और सुखाड़ में किसानों को इनपुट सब्सिडी
patna
मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी

कृषि मंत्री के अनुसार कृषि के क्षेत्र में आरजेडी के शासन काल से एनडीए के शासन की कोई तुलना नहीं है. लालू प्रसाद यादव के शासन से एनडीए के शासन में कृषि के क्षेत्र में फर्क साफ दिखता है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि 2005 से पहले कृषि विभाग का कुल बजट 20 करोड़ था. जो आज बढ़कर 24 सौ करोड़ तक पहुंच गया है. पहले गेहूं की उत्पादकता 18.23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और कुल उत्पादन 37.86 लाख मीट्रिक टन था. एनडीए सरकार में 28.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन 61.55 लाख मीट्रिक टन हो गया हैं, यानी दोगुने से भी अधिक उत्पादन हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार के कृषि के क्षेत्र में किए गए कार्य के कारण पिछले 15 सालों में बिहार को पांच कृषि कर्मन पुरस्कार मिले हैं.

वहीं, आरजेडी का कहना है आज सबसे अधिक बदहाल अन्नदाता किसान है. एनडीए के लोग भले ही आरजेडी शासन को गाली दे दें, लेकिन किसान की बदहाली क्यों है. इसका जवाब उन्हें देना चाहिए.

patna
डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ

विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ने नीतीश सरकार की कई योजना का अध्ययन किया है. जिन्हें योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए था, उन तक सही ढंग से योजना नहीं पहुंच पाई है. कृषि का विकास ग्रोथ अच्छा नहीं रहा है. इसलिए कृषि के क्षेत्र में ग्रोथ के मामले में 15 साल बनाम 15 साल में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. लेकिन कई नई योजना एनडीए सरकार ने शुरू की और उसका लाभ किसानों को मिल सकता है.

कृषि के क्षेत्र में 15 साल बनाम 15 साल के आंकड़ेः

फसल का नामआरजेडीएनडीए
गेंहू37.86 61.55
धान42.2476.51
मक्का15.6727.76

(उत्पादन लाख मीट्रिक टन)

फसल का नामआरजेडीएनडीए
गेंहू18.2328.43
धान12.2821.64
मक्का24.6441.54

(उत्पादकता क्विंटल प्रति हेक्टेयर)

बता दें कि आरजेडी के शासन काल में कृषि का बजट 20 करोड़ था. जबकि एनडीए के शासन काल में यह बढ़कर 24 सौ करोड़ हो गया. वहीं आरजेडी के काल के सिंचाई पर 7115 करोड़ खर्च होते थे. जबकि एनडीए के शासन काल में 33164 करोड़ खर्ज हो रही है.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को राहत
मंत्री प्रेम कुमार के अनुसार 2005 से पहले धान की बीज का विस्थापन दर 12 फीसदी था, जो आज 43 फीसदी है, गेहूं का विस्थापन दर 11 फीसदी था जो आज 36 फीसदी है. मक्का का विस्थापन दर 55 फीसदी था जो आज 91 फीसदी है.

सब्सिडी को लेकर भी 2018-19 में 14 लाख 20 हजार किसानों के खाते में 935 करोड़ 75 लाख रुपए इनपुट सब्सिडी भुगतान किए गए. जिसमें 838 करोड रुपए रैयत किसानों को और 97 करोड़ रुपए गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए.

वर्ष 2019-20 में 15 लाख 32 हजार किसानों को खरीफ मौसम में 635 करोड़ रुपए भेजे गए. जिसमें 518 करोड रुपए रैयत किसानों को और 135 करोड़ रुपए गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए है.

वर्ष 2019-20 में रबी मौसम में 18 लाख 56 हजार किसानों के खाते में 570 करोड़ रुपए भेजे गए. जिसमें 426 करोड रुपए रैयत किसानों के खाते में और 149 करोड़ रुपये गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए.

2 वर्षों में बाढ़ सुखाड़ में हुई फसल क्षति के लिए 48 लाख से अधिक किसानों के खाते में 2164 करोड रुपए कृषि इनपुट सब्सिडी के रूप में डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में भेजे गए जो एक रिकॉर्ड है.

वहीं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत भी 75 लाख किसानों के खाते में 5213 करोड रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं. कृषि के क्षेत्र में एनडीए सरकार के कई और दावे हैं और इन्हीं ही दावों के बूते विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जाने का ऐलान कर रहे हैं. अब देखना है कि आरजेडी और विपक्ष कैसे इनका जवाब देते हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए 15 साल बनाम 15 साल के विकास कार्यों को मुद्दा बना रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों में हुए कार्य को लेकर एनडीए नेताओं की ओर से दावे भी शुरू हो गए हैं. कृषि का क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिहार की 76 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. बिहार सरकार का दावा रहा है कृषि के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं. कृषि रोड मैप, कृषि कैबिनेट, यंत्रीकरण, फसल सहायता योजना, इनपुट सब्सिडी और जैविक कृषि से बिहार में कृषि में काफी बदलाव आया है. इससे उत्पादन बढ़ा है और बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है. किसानों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन आरजेडी का कहना है कि आज किसान सबसे ज्यादा बदहाल हैं. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं योजनाएं तो एनडीए सरकार में कई शुरू हुईं, लेकिन किसानों को जितना लाभ मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला.

15 साल बनाम 15 साल कृषि क्षेत्र में दावेः
बिहार में कृषि लोगों की जीविका का सबसे बड़ा माध्यम है. यहां की बड़ी आबादी किसी ना किसी रूप में कृषि से जुड़ी हुई है. बिहार में उद्योग धंधे बड़े पैमाने पर नहीं होने के कारण कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. एनडीए सरकार का दावा है कि बिहार में कई कदम उठाए गए हैं और उसका असर साफ दिखता भी है. उसी के कारण पिछले 15 सालों में पांच कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिले हैं.

patna
कृषि मंत्री प्रेम कुमार

एनडीए सरकार में कृषि को लेकर लिए गए बड़े फैसले

  • कृषि कैबिनेट का गठन
  • कृषि रोड मैप
  • फसल सहायता योजना
  • किसी के यांत्रिकीकरण पर सब्सिडी
  • जैविक कृषि पर जोर
  • बीज उत्पादन में पहल
  • बाढ़ और सुखाड़ में किसानों को इनपुट सब्सिडी
patna
मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी

कृषि मंत्री के अनुसार कृषि के क्षेत्र में आरजेडी के शासन काल से एनडीए के शासन की कोई तुलना नहीं है. लालू प्रसाद यादव के शासन से एनडीए के शासन में कृषि के क्षेत्र में फर्क साफ दिखता है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि 2005 से पहले कृषि विभाग का कुल बजट 20 करोड़ था. जो आज बढ़कर 24 सौ करोड़ तक पहुंच गया है. पहले गेहूं की उत्पादकता 18.23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और कुल उत्पादन 37.86 लाख मीट्रिक टन था. एनडीए सरकार में 28.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन 61.55 लाख मीट्रिक टन हो गया हैं, यानी दोगुने से भी अधिक उत्पादन हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार के कृषि के क्षेत्र में किए गए कार्य के कारण पिछले 15 सालों में बिहार को पांच कृषि कर्मन पुरस्कार मिले हैं.

वहीं, आरजेडी का कहना है आज सबसे अधिक बदहाल अन्नदाता किसान है. एनडीए के लोग भले ही आरजेडी शासन को गाली दे दें, लेकिन किसान की बदहाली क्यों है. इसका जवाब उन्हें देना चाहिए.

patna
डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ

विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ने नीतीश सरकार की कई योजना का अध्ययन किया है. जिन्हें योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए था, उन तक सही ढंग से योजना नहीं पहुंच पाई है. कृषि का विकास ग्रोथ अच्छा नहीं रहा है. इसलिए कृषि के क्षेत्र में ग्रोथ के मामले में 15 साल बनाम 15 साल में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. लेकिन कई नई योजना एनडीए सरकार ने शुरू की और उसका लाभ किसानों को मिल सकता है.

कृषि के क्षेत्र में 15 साल बनाम 15 साल के आंकड़ेः

फसल का नामआरजेडीएनडीए
गेंहू37.86 61.55
धान42.2476.51
मक्का15.6727.76

(उत्पादन लाख मीट्रिक टन)

फसल का नामआरजेडीएनडीए
गेंहू18.2328.43
धान12.2821.64
मक्का24.6441.54

(उत्पादकता क्विंटल प्रति हेक्टेयर)

बता दें कि आरजेडी के शासन काल में कृषि का बजट 20 करोड़ था. जबकि एनडीए के शासन काल में यह बढ़कर 24 सौ करोड़ हो गया. वहीं आरजेडी के काल के सिंचाई पर 7115 करोड़ खर्च होते थे. जबकि एनडीए के शासन काल में 33164 करोड़ खर्ज हो रही है.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को राहत
मंत्री प्रेम कुमार के अनुसार 2005 से पहले धान की बीज का विस्थापन दर 12 फीसदी था, जो आज 43 फीसदी है, गेहूं का विस्थापन दर 11 फीसदी था जो आज 36 फीसदी है. मक्का का विस्थापन दर 55 फीसदी था जो आज 91 फीसदी है.

सब्सिडी को लेकर भी 2018-19 में 14 लाख 20 हजार किसानों के खाते में 935 करोड़ 75 लाख रुपए इनपुट सब्सिडी भुगतान किए गए. जिसमें 838 करोड रुपए रैयत किसानों को और 97 करोड़ रुपए गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए.

वर्ष 2019-20 में 15 लाख 32 हजार किसानों को खरीफ मौसम में 635 करोड़ रुपए भेजे गए. जिसमें 518 करोड रुपए रैयत किसानों को और 135 करोड़ रुपए गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए है.

वर्ष 2019-20 में रबी मौसम में 18 लाख 56 हजार किसानों के खाते में 570 करोड़ रुपए भेजे गए. जिसमें 426 करोड रुपए रैयत किसानों के खाते में और 149 करोड़ रुपये गैर रैयत किसानों के खाते में भेजे गए.

2 वर्षों में बाढ़ सुखाड़ में हुई फसल क्षति के लिए 48 लाख से अधिक किसानों के खाते में 2164 करोड रुपए कृषि इनपुट सब्सिडी के रूप में डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में भेजे गए जो एक रिकॉर्ड है.

वहीं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत भी 75 लाख किसानों के खाते में 5213 करोड रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं. कृषि के क्षेत्र में एनडीए सरकार के कई और दावे हैं और इन्हीं ही दावों के बूते विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जाने का ऐलान कर रहे हैं. अब देखना है कि आरजेडी और विपक्ष कैसे इनका जवाब देते हैं.

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