पटना: जिले में आधुनिक बिहार के शिल्पकार डॉ श्रीकृष्ण सिंह की 133वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर आदमकद मूर्ति का अनावरण किया गया. इस दौरान उनके परिवार के लोग उपस्थित थे.
डॉ श्रीकृष्ण सिंह की 133वी जयंती
जिले के बिहटा में बुधवार को अमहारा गांव स्थित एसएनबी फाउंडेशन के प्रांगण में अमहारा फाउंडेशन के तत्वाधान में बिहार केशरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह की 133वी जयंती सह स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर राघवेन्द्र मठ के मठाधीश श्री श्री 1008 स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज और संस्थापक अध्यक्ष सनातन सेवा मंडल, द्धारिका, गुजरात सह बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के कुलपति केशवानंद महाराज ने श्रीबाबू की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया.
अतिथियों का किया गया स्वागत
इस मौके पर संबोधित करते हुए अमहरा फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ अशोक गगन ने आगत अतिथियों का स्वागत किया, इसके साथ ही उन्होंने स्वागत उद्बोधन में कहा कि श्रीकृष्ण बाबू ने ही सबसे पहले बिहार के औद्योगिक विकास की बात सोची थी. राज्य में रिफाइनरी, खाद कारखाना, बिजली घर आदि की स्थापना करवाई. वह अपने जीवन काल में महिलाओं के उत्थान से लेकर गरीबों के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहें
डॉ श्रीकृष्ण सिंह एक महान विभूति
इस कार्यक्रम में महान संत श्री श्री 1008 स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज और सांस्कृतिक विद्यापीठ के कुलपति श्री केशवानंद महाराज ने कहा कि श्रीबाबू एक महान विभूति थे. वे न सिर्फ गरीबों के मसीहा थे, बल्कि नवजवानों के लिए भी एक बड़े मसीहा थे. आज लोग सामाजिक न्याय और अधिकार की बात करते है, लेकिन सही मायने में अगर कोई सामाजिक न्याय और विकास का मसीहा थे तो वे श्रीबाबू थे. उन्होंने कहा कि दलितों, वंचितों को हक अधिकार और जमींदारी प्रथा का उन्मूलन कर भूमिहीनों को भूमि देने जैसे कामों को किया है.
डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने दिया था अद्वितीय योगदान
चाणक्या फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दिव्य ज्योति ने कही की अखंड बिहार के विकास में उनके अतुलनीय, अद्वितीय और अविस्मरणीय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. वे आधुनिक बिहार के निर्माण में शिल्पकार की भूमिका निभायी थी. वहीं आईआईटी पटना के रजिस्ट्रार त्रिपुरारी शरण ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के सन्तुलित विकास पर ध्यान देते हुए बिहार और देश को बहुत कुछ दिया है. किसान नेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती अपने वैचारिक लट्ठ लेकर उनके पीछे पड़े रहते थे. यदि कोई उन्हें गुमराह या प्रभावित करने की कोशिश करता है तो, स्वामी जी का परोक्ष भय अथवा प्रेम दिखाकर वह उन्हें वसीभूत कर लेते थे.
कई लोग रहे उपस्थित
इस मौके पर सत्या शर्मा, प्रख्यात चिकित्सक डॉ सत्यजीत कुमार, डॉ शशि रंजन, डॉ ललित मोहन शर्मा, अरबिंद चौधरी, रवि शंकर, सीपी शर्मा, डॉ विजय कुमार, डॉ अर्जुन कुमार, डॉ शाम्भी शांडिल्य, मुखिया नरेश सिंह आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्या शर्मा, मंच संचालन चंद्र भूषण मिश्रा और धन्यवाद ज्ञापन रवि शंकर ने किया.