पटना : बिहार विधानसभा भवन का 100 साल पूरा हो चुका है. बिहार विधानसभा का भवन 7 फरवरी 1920 को बनकर तैयार हुआ था. आज 100 साल पूरे हो चुके हैं. 2021 में पहली बैठक हुई थी. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय चौधरी आज के दिन को विधानसभा के लिए ऐतिहासिक बता रहे हैं.
22 मार्च 1912: बंगाल से अलग हुआ था बिहार
22 मार्च 1912 को बिहार और उड़ीसा राज्य अस्तित्व में आया था. उस समय 43 सदस्यीय विधान परिषद का गठन किया गया था. इसमें 24 सदस्य निर्वाचित थे, वहीं 19 को मनोनित किया गया था. वही परिषद आज बिहार विधानसभा के रूप में काम कर रही है.
बिहार विधानसभा का भवन 7 फरवरी 1920 को बनकर तैयार हुआ और 7 फरवरी 1921 को पहली बैठक हुई. विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी का कहना है कि जब बिहार और उड़ीसा अलग राज्य बना तो उस समय यह लेफ्टिनेंट गवर्नर के जिम्मे था. लेकिन 1920 में गवर्नर स्टेट का दर्जा दिया गया जिसे आज पूर्ण राज्य कहते हैं.
100 साल में बने कई कानून
विजय चौधरी ने कहा कि बिहार विधानसभा का 100 साल पूरा हो चुका है. इसलिए आज का दिन विशेष महत्व रखता है. विजय चौधरी का यह भी कहना है कि पिछले 100 सालों में बिहार विधानसभा में एक से बढ़कर एक बड़े कानून बनाए गए. जमीदारी उन्मूलन कानून से लेकर शराबबंदी कानून तक यहीं बना.
ऐतिहासिक फैसले:
- बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006: पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण.
- पूर्ण शराबबंदी कानून : 30 मार्च 2016 में नीतीश कुमार ने लागू किया पूर्ण शराबबंदी कानून.
22 मार्च 1912 को जब बिहार की अपनी विधायिका अस्तित्व में आई थी तो उस समय 24 सदस्यों का निर्वाचन हुआ था. 19 सदस्य मनोनीत किए गए थे. लेकिन बाद में संख्या बढ़कर 103 हो गई. 1935 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद के गठन के बाद विधानसभा के सदस्यों की संख्या 152 कर दी गई.
1935 एक्ट के तहत अलग हुआ था बिहार
1952 में पहला आम चुनाव हुआ और इसमें 330 सदस्य निर्वाचित हुए और एक सदस्य मनोनीत किये गए.1977 में जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में विधानसभा सदस्यों की संख्या घटाकर 324 कर दी गई और एक सदस्य पहले की तरह मनोनीत होते रहे. लेकिन जब 2000 में झारखंड बिहार से अलग हुआ तो बिहार विधान सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 हो गई. बिहार विधानसभा की पहली बैठक में शराबबंदी को लेकर चर्चा हुई थी और उसके ठीक 96 साल बाद नीतीश सरकार ने पूर्ण शराबबंदी कानून बनाया जो लागू है.