पटना: बिहार में डेढ़ लाख से ज्यादा एफआईआर थानों में पेंडिंग हैं. सबसे अधिक पेंडिंग केस पटना रेंज में है. 90 दिन में चार्जसीट सौंपने की समय सीमा का पुलिस पालन नहीं कर पा रही है. आपको बता दें कि दरोगा, इंस्पेक्टर आदि ने अपना काम समय से पूरा किया होता तो राज्य में अनुसंधान के लिए मात्र 90 हजार कांड होते. जो कि पुलिस की एक अच्छी पहल होती है. केस के आईओ का ट्रांसफर हो जाने की वजह से भी ज्यादा से ज्यादा मामले पेंडिंग हो गए.
राजधानी पटना, मुजफ्फरपुर और गया जैसे बड़े शहरों में सबसे अधिक कांड लंबित हैं. यह संख्या दर्ज होने वाले मामले से चार गुना है. राज्य में करीबन 30 हजार एफआईआर प्रति माह दर्ज हो रहीं हैं. 1 जनवरी से 30 अप्रैल तक 78 हजार 643 कांड दर्ज किए जा चुके हैं. पुलिस मुख्यालय की मानें, तो पुलिस पदाधिकारियों को 90 दिन के अंदर अनुसंधान करना होता है. आपको बता दें कि केस के अनुसंधानकर्ता, आईओ, फॉरेंसिक जांच कोर्ट की कार्यवाही के चलते भी देर हो जाती है.
- 60 हजार मामले पुराने हैं. नए-पुराने मिलाकर करीब डेढ़ लाख मामलों का अनुसंधान होना अभी भी बाकी है.
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के हवाले से खबर के मुताबिक अप्रैल 2020 तक इतने नए मामले आये हैं.
- केंद्रीय रेंज- 12 हजार 843
- शाहाबाद- 6 हजार 979
- मगध- 7 हजार 881
- सारण- 7 हजार 749
- चंपारण- 7 हजार 106
- तिरुहत- 8 हजार 507
- मिथिला- 3 हजार 830
- कोसी- 5 हजार 703
- पूर्णिया- 4 हजार 016
- पूर्वी चंपारण- 3 हजार 501
- बेगूसराय- 3 हजार 040
- रेल- 981
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चुनाव को लेकर तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके मद्देनजर पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार और सीआईडी के एडीजी विनय कुमार के नेतृत्व में अनुसंधान प्रगति की मॉनिटरिंग की जा रही है. पुलिस मुख्यालय हर सप्ताह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हर जिले में दर्ज हुए कांडों के निष्पादन की स्थिति का जायजा ले रहा है. एसपी और एसएसपी से रिपोर्ट ली जा रही है. लॉकडाउन और अनलॉक में पुलिस बेहतर छवि पेश करने को लेकर लॉकडाउन के विधि व्यवस्था संभालने में लगी हुई थी, जिस कारण भी ज्यादा से ज्यादा मामले लंबित हो गए हैं. सवाल यह उठ रहा है कि जब इतनी ज्यादा मामले अभी भी लंबित है तो पुलिस अपराधियों तक कैसे पहुंचेगी.